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करंट क्या होता है। What is current in Hindi !!
इलेक्ट्रिकल चार्ज कैरियर जिसे हम इलेक्ट्रोन्स कहते हैं, के फलो को करंट कहते हैं। करंट इन इलेक्ट्रोन्स के माध्यम से फलो होता है। यह निगेटिव से पोजिटिव प्वाइंटस की तरफ फलो होता है। करंट को एसआई यूनिट माप एम्पेयर होता है यानि कि करंट के फलो को मापने के लिए एम्पयेर एक एसआई यूनिट है। एम्पयेर में करंट के फलो को मापा जा सकता है कि कितनी शक्ति में करंट फलो कर रहा है। एक एम्पेयर का अर्थ होता है एक कोलम्ब इलेक्ट्रिकल चार्ज एक यूनीक प्वाईंट को एक सेकेंड में पास कर रहा है। इलेक्ट्रिकल करेंट का प्रयोग इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक डिवाइस में पॉवर देने के लिए होता है। यहां हम आपको करंट के बारे बताने के अलावा करंट के प्रकार, करंट के फलो करने तरीके, करंट के फलो को मापने की तकनीक समेत अन्य विधियों के बारे आपको बताएंगे। यहां पर मिलने वाली जानकारी संपूर्ण होगी। इसके बाद आपको कहीं दूसरी जगह पर जानकारी ढूंढने की जरूरत नहीं रहेगी। यहां पर करंट के प्रकार, एम्पयेर क्या होता है। ओहम लॉ के प्रयोग आदि के बारे में हम यहां पर बताएंगे।
उदाहरण के लिए हमारे कम्पयुटर से लेकर घर में चल रहे पंखे तक हर किसी में इलेक्ट्रिकल करेंट फलो करता है। हालांकि हर डिवाइस में फलो करने वाला करेंट अलग अलग प्रकार का होता है। हम आपको करंट के प्रकार के बारे भी आगे बताने जा रहे हैं तो ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ते रहें। तो जैसा कि आपको अब पता चल ही गया है कि करंट का मतलब इलेक्ट्रोन्स का फलो होता है तो आपको अब यह समझ में आ ही गया है कि किसी भी इलेक्ट्रोनिक या इलेक्ट्रिक डिवाईस को चलाने के लिए इलेक्ट्रोन्स को उसके इलेक्ट्रिकल सिस्टम में दौड़ाना पड़ता है।
करंट कितने प्रकार का होता है। Types of Current in Hindi !!
करंट मुख्य तौर पर दो प्रकार का होता है। पहला प्रकार अल्टरनेटिंग करंट है तो दूसरा डायरेक्ट करंट होता है। दोनों का प्रयोग अलग—अलग होता है। नीचे हम दोनों प्रकार के करंट के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
- अल्टरनेटिंग करंट
- डायरेक्ट करंट
अल्टरनेटिंग करंट क्या है | Alternating current in Hindi !!
अल्टरनेटिंग करंट वह करंट होता है जो डायरेक्ट फलो होने की बजाए साइन वेव में फलो होता है। अल्टरनेटिंग करंट में करंट सीधे फलो नहीं होता है। उदाहरण के लिए एक सर्किट को लेते हैं। सर्किट में एक प्वाईंट से दूसरे प्वाईंट तक जाने के लिए अल्टरनेटिंग करंट साइन वेव में जाएगा। यह डायरेक्ट करंट के बिल्कुल विपरीत है।
डायरेक्ट करंट क्या क्या है | Direct current in Hindi !!
डायरेक्ट करंट सीधे फलो करता है। यह अल्टरनेटिंग करंट के एकदम विपरीत काम करता है। इसमें करंट सीधे ही दूसरे प्वाईंट पर बिना रूक और बिना किसी डायवर्शन के फलो करता है। जबकि अल्टरनेटिंग करंट उपर नीचे होता हुआ दूसरे प्वाईंट तक पहुंचता है। डायरेक्ट करंट को सीधे से उदाहरण के माध्यम से समझने के लिए आप एक बैटरी के करंट को देख सकते हैं। बैटरी के करंट में डायरेक्ट करंट होता है।
करंट को मापा कैसे जा सकता है !!
तो अब आपको पता चल चुका है कि करंट के प्रकार कितने होते हैं। आप डायरेक्ट करंट को भी समझ चुके हैं और अल्टरनेट करंट को भी आप अब समझ चुके हैं। इसके बाद बारी आती है आपको करंट को मापने की विधि बताने की। करंट मापने की विधि अब हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं। जैस कि आपको पता है कि करंट को मापने की यूनिट को हम एम्पेयर कहते हैं। तो जो भी करंट मापा जाएगा उसे हम एम्पेयर यूनिट में ही काउंट करेंगे। तो यहां पर आपको हम बता दें कि करंट फलो को मापने के लिए हम ओहम ला का प्रयोग करते हैं। इस विधि के तहत, जो करंट कंडक्टर से फलो करता है उसका माप वह होता है जितना डिस्टेंस दो प्वाइंट के बीच होता है। यानि कि कंडक्टर के दो प्वाईंटस के बीच जहां करंट फलो करता है वहां उन दोनों प्वाईंटस के बीच का डिस्टेंस ही करंट की फलो है। जो कांस्टेंट प्रोपोशनेलिटी में प्रयोग होता है उसे रजिस्टेंस कहते हैं और इसकी मैथेमैटिकल इक्वेशन I =V/R बनती है।
करंट फलो होने पर पैदा होती है हीट !!
आपको बता दें कि करंट के फलो होने पर हीट और चुम्कीय प्रभाव पैदा होते हैं। जब कोई करंट कंडक्टर से गुजरता है यानि फलो करता है तो हीट जेनरेट होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंडक्टर में ओहमिक घट जाता है। ओहमिक के घटने पर ही हीट जेनरेट होती है। करंट के फलो होने पर पैदा होती हीट के सहारे ही बल्ब जलते हैं। ब्लब के अंदर फिलामेंट लगा होता है जिससे करंट पास किया जाता है। करंट पास होने पर फिलामेंअ गर्म होता है और जगमगा उठता है। इसी तरही ही कपड़े प्रेस करने वाली मशीन चलती है। प्रेस में भी फिलामेंट लगा होता है जिसमें से करंट फलो करवाया जाता है इसके बाद यह फिलामेंट गर्म हो जाता है और हम कपड़े प्रेस कर लेते हैं।
करंट फलो क्या होता है !!
करंट फलो का सिंबल I से दर्शाया जाता है वहीं इसकी स्टैडंर्ड यूनिट यानि कि एसआई एम्पयेर होती है जिसे हम A सिंबल से दर्शाते हैं। जैसा कि हमने उपर बताया कि करंट फलो का मतलब इलेक्ट्रोन्स का एक प्वाइंट से दूसरे प्वाईंट तक जाना होता है। लेकिन इसमें ऐसा नहीं है कि इलेक्ट्रोन्स डायरेक्टली एक प्वाईंट से दूसरे प्वाईंट तक चले जाते हैं। बल्कि इलेक्ट्रोन्स कम दूरी तक ही जाते हैं। असल में यह अपने नजदीकी एटोम तक जाते हैं इसके बाद यह अगले एटोम तक जाते हैं इसके बाद यह एक प्वाईंट से दूसरे प्वाईंट तक पहुंच जाता है। इलेक्ट्रोन्स में चार्ज होते हैं। इलेक्ट्रोन्स को चार्ज कैरियर के रूप में प्रयोग किया जाता है। करंट निगेटिव प्वाईंटस से पॉजिटिव और पॉजिटिव से निगेटिव की तरफ फलो करता है।
कौन—सा करंट बेहतर है !!
इस सवाल का जवाब इतना सीधा और आसान नहीं है। दोनों ही करंट का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है। लेकिन अल्टरनेटिव करंट का प्रयोग अधिक होता है। अल्टरनेटिव करंट का प्रयोग घरों के बिजली सिस्टम में होता है। इसके पीछे एक बडा कारण है। दरअसल बिजली प्रोडक्शन प्लांट में जब हाईवोल्टेज बिजली पैदा होती है तो उस बिजली को इतनी हाई वोल्टेज के साथ सीधे घरों तक नहीं भेजा जा सकता है। ऐसे में अल्टरनेटिव करंट से वोल्टेज को तोड़ कर घरों तक पहुंचाया जाता है। अल्टरनेटिव करंट में हाईवोल्टेज करंट को तोड़ना आसान होता है। जबकि डायरेक्ट करंट में यह काम मुश्किल होता है। ऐसे में अल्टरनेटिव करंट का प्रयोग घरों में होता है।