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NCR और FIR में क्या अंतर है !!

हेलो दोस्तों.. आज के आलेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि NCR और FIR क्या होता है और इनमे क्या क्या अंतर पाए जाते हैं. ये एक दूसरे से कितना भिन्न हैं. क्यूंकि दोस्तों हमने देखा है कि बहुत लोगों को कानूनी जानकारी नहीं होती है जिसके कारण वो अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं या अपने लिए न्याय नहीं पा पाते। इसलिए हम कोशिश करेंगे कि हम आपको कानूनी शिकायत से जुड़ी दो महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी दे पाएं जिससे आपको भविष्य यदि इनकी आवश्यकता का अनुभव हो तो आप सही चीज का चुनाव कर पाएं.

NCR क्या है | What is NCR in Hindi !!

जैसा की हम सब जानते हैं की रोजाना आयेदिन कोई न कोई घटना किसी न किसी के साथ होती ही रहती है जिसके कारण लोगों को पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं. तो जब किसी के साथ कोई घटना होती है और वो उसकी शिकायत पुलिस स्टेशन पे करने जाता है तो शिकायत को दर्ज करने के दो तरीके होते हैं पहला FIR और दूसरा एनसीआर. दोस्तों FIR आपका संज्ञेय (कॉग्निजेबल) होता है और एनसीआर आपका असंज्ञेय (नॉन-कॉग्निजेबल) होता है.

जब कोई मामला बहुत गंभीर नहीं होता है और उसमे हुआ अपराध या मामला मामूली होता है जैसे की पॉकेट कट जाना, मोबाइल चोरी हो जाना, दस्ताबेज चोरी होना, आदि तब पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए जो लोग जाते हैं तो उनके मामलों को FIR न मानते हुए एनसीआर में दर्ज किया जाता है. ऐसे मामले आते तो अपराध की श्रेणी में हैं लेकिन ये मामूली अपराध होते हैं इनके लिए एनसीआर का नियम चलाया गया है जिसमे शिकायती की शिकायत एनसीआर के रूप में दर्ज कर के उसकी एक कॉपी शिकायती को भी दी जाती है. जिससे यदि उसके चोरी सामान से कभी कोई घटना होती है और उसका सामान उसको तब तक बापस न मिला हो तो वो एनसीआर की कॉपी दिखा के ये साबित कर सकता है की उस घटना में उसका कोई हाथ नहीं है.

FIR क्या है | What is FIR in Hindi !!

दोस्तों FIR एक संज्ञेय (कॉग्निजेबल) मामला होता है जो तब दर्ज किया जाता है जब मामला या अपराध बहुत गंभीर होता है. जैसे कि: कत्ल होना, किसी को मरने की कोशिश करना, बलत्कार होना, डकैती होना, आदि. ऐसे मामले में शिकायती जब अपनी शिकायत दर्ज कराता है तो उस मामले की FIR दर्ज होती है. यदि किसी शिकायती की FIR दर्ज़ नहीं कर रहा है कोई पुलिस स्टेशन तो उसकी शिकायत के लिए सीआरपीसी की धारा 154 का हवाला दे के शिकायती अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है यदि तब भी कोई पुलिस वाला FIR नहीं दर्ज करता है तो इस बात की शिकायत शिकायती DSP से कर सकता है.

जीरो FIR क्या है !!

दोस्तों जीरो FIR, 2012 में निर्भया कांड के बाद लागू किया गया है जिसमे एक लड़की के साथ उसके क्षेत्र से बाहर बलत्कार हुआ था और उसमे उसकी मृत्यु हो गयी थी जिसके लिए पुरे देश ने प्रोटेस्ट भी किया था और सभी नागरिक सड़क पे निकल आये थे जिसके बाद सरकार द्वारा जीरो FIR का नियम चलाया गया इसके तहत यदि कोई मामला बहुत संगीन है और वो आपके क्षेत्र से बाहर का है तब भी आप जीरो FIR के तहत पास के किसी भी पुलिस स्टेशन में उस मामले की FIR कर सकते हैं और उसपे तुरंत एक्शन लिया जायेगा.

Difference Between NCR and FIR in Hindi !!

NCR और FIR में क्या अंतर है !!

# एनसीआर एक असंज्ञेय (नॉन-कॉग्निजेबल) होता है जो मामूली अपराध के लिए दर्ज की जाने वाली शिकायत होती है और FIR संज्ञेय (कॉग्निजेबल) होता है जो गंभीर मामलों के लिए दर्ज की जाने वाली शिकायत होती है.

# एनसीआर का उदाहरण: मोबाइल चोरी होना, दस्ताबेज की चोरी या खो जाना, पॉकेट मार ली जानी आदि. FIR का उदाहरण: कत्ल होना, बलत्कार होना, डकैती, मारने की कोशिश आदि.

# एनसीआर छोटे मामलों के लिए दर्ज की जाने वाली शिकायत होती है और FIR बड़े और गंभीर मामलों के लिए दर्ज की जाने वाली शिकायत होती है.

# दोनों ही अपराध होने के बाद शिकायत का रूप होते हैं जो कानूनी और लिखित रूप में होते हैं.

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Ankita Shukla

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