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(Mosque & Dargah) मस्जिद और दरगाह में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Mosque and Dargah” अर्थात “मस्जिद और दरगाह” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “मस्जिद और दरगाह क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. दोनों ही इस्लाम धर्म के पवित्र स्थान हैं, लेकिन दोनों में कई भिन्नताएं हैं, जिन्हे आज हम आपको बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

मस्जिद क्या है | What is Mosque in Hindi !!

मस्जिद क्या है | What is Mosque in Hindi !!

मस्जिद जिसे अंग्रेजी में “Mosque” के नाम से जानते हैं, जो इस्लाम धर्म का एक धार्मिक स्थल है, ये वो स्थान होता है जहाँ मुस्लिम पूजा अर्थात नवाज पढ़ते हैं. इस स्थान पर सभी मुसलमानो ने खुद को अल्लाह को शाप दिया जा था. मुस्लिम द्वारा दी गयी इस शाप को उर्दू में सुजूद के नाम से जाना जाता है. जिस प्रकार हिंदुओं का मंदिर, सिख का गुरुद्वारा और ईसाईयों का चर्च होता है, उसी प्रकार मुस्लिम का मस्जिद होता है.

दरगाह क्या है | What is Dargah in Hindi !!

दरगाह क्या है | What is Dargah in Hindi !!

दरगाह भी इस्लाम का एक पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन यहां मुसलमान पूजा नहीं करते हैं. ये स्थान एक सम्मानित धार्मिक नेता की कब्र पर सूफी मुस्लिमों द्वारा बनाया गया पूजनीय स्थल होता है. दरगाह अक्सर सूफी संत की कब्र पर बनाये जाते हैं. ये संत वो होते हैं, जिन्हे अल्लाह का चाकर और दूत माना जाता है. यहां लोग नवाज न पढ़के श्रद्धा की चादर चढ़ाते हैं.  आसान भाषा में समझाया जाये तो दरगाह महान मुस्लिम संत की कब्र पर बनते हैं, जिन्हे अल्लाह का दूत माना जाता है.

Difference between Mosque and Dargah in Hindi | मस्जिद और दरगाह में क्या अंतर है !!

# मस्जिद इस्लाम धर्म का वो स्थान है जहाँ अल्लाह की पूजा की जाती है जबकि दरगाह महान संतों की कब्र पर बनाये जाते हैं जहाँ लोग पूजा के लिए नहीं बल्कि श्रद्धा से जाते हैं.

मस्जिद में नवाज पढ़ी जाती है जबकि दरगाह में नहीं पढ़ी जाती है.

# दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है जबकि दरगाह में नहीं.

# मस्जिद में अल्लाह का निवास होता है जबकि दरगाह में अल्लाह के दूत की कब्र होती है.

# दरगाह एक कब्र पर बनाया जाता है जबकि मस्जिद एक ऐसा स्थल होता है जहाँ प्रमुख पुजारी उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो इस यात्रा को पूर्ण करते हैं.

# इस्लाम में कब्रिस्तान और शौचालय को छोड़ के किसी भी स्थान पर पूजा करना मान्य है लेकिन फिर भी दरगाह माननीय मानी गयी है.

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Ankita Shukla

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