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ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है !!

Difference between Jyotirlinga and Shivling in Hindi | ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों..आज हम आपको “ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि “ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग क्या है और इनमें क्या अंतर होता है?”. दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं कि शिवरात्रि एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसकी तैयारी काफी दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जब हम ऐसे पर्वों पे ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग की बात करते हैं, तो हम इनको अलग अलग नाम से क्यों पुकारते हैं, क्यों नहीं हम इन्हे एक नाम से ही पुकारते है?. यदि आपके मन में भी यही सवाल है कि “ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग” अलग अलग क्यों है, तो आपको इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ना चाहिए क्यूंकि आज हम आपको इसी दुविधा से दूर करने और आपको सटीक उत्तर देने की कोशिश करेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

ज्योतिर्लिंग क्या है | What is Jyotirlinga in Hindi !!

ज्योतिर्लिंग क्या है | What is Jyotirlinga in Hindi !!

शिवपुराण में एक कथा के अनुसार, एक बार की बात है जब ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेके विवाद छिड़ गया. दोनों में मतभेद ये उत्पन्न किया दोनों में कौन सर्वश्रेष्ठ है, जिसमे ब्रह्माजी खुद को श्रेष्ठ कह रहे थे और विष्णु जी खुद को. इसी विवाद को खत्म करने और दोनों के भ्रम को दूर करने के लिए शिवजी एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए. जिसका मात्र थाह भी दोनों देव नहीं पा सके. तो उस समय जो ज्योति स्तंभ उत्पन्न हुआ था, उसे ही ज्योतिर्लिंग कहा गया. जिसमे ज्योति का अर्थ हम सभी जानते ही हैं और लिंग का अर्थ है प्रतीक यानी शिव के ज्योति रुप में प्रकट होने और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक. इसे स्वयंभू भी कहा जाता है.

शिवलिंग क्या है | What is Shivlinga in Hindi !!

शिवलिंग क्या है | What is Shivlinga in Hindi !!

शिवलिंग भी भगवान शिव का ही रूप है. लेकिन इसे मानव द्वारा भी स्थापित किया जाता है और ये स्वयंभू भी हो सकते हैं. ये आमतौर पे सभी शिव मंदिर में स्थापित होते हैं. इन्हे मानव खुद अपने अनुसार अपने भक्ति हेतु भगवान की पूजा के लिए स्थापित करता है. ये स्वयं प्रकट नहीं होते हैं. ये आपको किसी भी मंदिर में मिल सकते हैं.

ज्योतिर्लिंग मंदिर कहाँ कहाँ स्थित हैं !!

सोमेश्वर या सोमनाथ : इन्हे पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता है, ये गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में स्थित है.

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन : ये आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल नामक पर्वत पर विराजमान है.

महाकालेश्वर : इन्हे मध्य प्रदेश के उज्जैन में पाया जाता है, इन्हे पहले के समय में अवन्तिका या अवंती के नाम से सम्बोधित किया जाता था.

ओंकारेश्वर : इन्हे भी मध्य्प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के तट पर विरजमान पाया जाता है.

केदारेश्वर : ये ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री केदारनाथजी या केदारेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है.

भीमाशंकर : ये ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है. इसलिए इन्हे भीमाशंकर भी कहा जाता है.

विश्वेश्वर : वाराणसी या काशी में विराजमान भूतभावन भगवान श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर महादेव को सातवें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है.

त्र्यम्बकेश्वर : ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के किनारे स्थित है, इन्हे आठवां ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.

वैद्यनाथ महादेव : ये नौवें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाने जाते है, जो झारखण्ड राज्य देवघर में विराजमान है.

नागेश्वर महादेव : दसवां ज्योतिर्लिंग जिसे नागेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है, ये बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास है. इस पावन स्थान को दारूकावन के नाम से भी जाना जाता है.

रामेश्वरम : एकादशवें ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है, यह तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थपित है.

घुष्मेश्वर : ये द्वादशवें ज्योतिर्लिंग हैं, जिन्हे घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. यह महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थापित हैं.

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Ankita Shukla

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