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(FERA & FEMA) फेरा और फेमा में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “FERA and FEMA” या “फेरा और फेमा” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “फेरा और फेमा क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. बात उस समय कि है जब भारत में ब्रिटिश साम्रज्य था, उस दौरान भारत में विदेशी मुद्राएं बहुत सीमित मात्रा में हुआ करती थी. इन्ही कारणों को देखते हुए सरकार को देश पर पूरी तरह से नजर रखनी पड़ती थी. इसके बाद सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम या Foreign Exchange Regulation Act (FERA) को लाया गया, जिसका मुख्य कारण विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सके. लेकिन इस कानून के कारण देश की विकास प्रक्रिया में बाधा आने लगी.

तब इस कानून को दूसरे कानून के जरिये रीप्लेस करने पर विचार करते हुए सन 1997-98 के बजट में सरकार ने फेरा-1973 के स्थान पर फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) को लाने का प्रस्ताव रखा. जिसे दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया. और जून 1, 2000 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद फेमा को पूरी तरह लागू कर दिया गया था. आज दोस्तों हम इन्ही दोनों टॉपिक के ऊपर बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

फेरा क्या है | What is FERA in Hindi !!

FERA का फुल फॉर्म “Foreign Exchange Regulation Act” है, जिसे हिंदी में “विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम” के नाम से जानते हैं. इस कानून का मुख्य उद्देश्य विदेशी भुगतान पर नियंत्रण लगाना, पूँजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर नजर रखना और विदेशियों द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद को नियंत्रित करना था.

इस कानून को देश के अंदर उस समय लाया था जब देश में विदेशी पूँजी भंडार की स्थिति बहुत दयनीय थी. इस कानून को चलाने का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा का संरक्षण और देश की अर्थव्यवस्था के विकास में इसका सही उपयोग करना था. लेकिन कुछ दिक्क्तों को देखते हुए कानून में कुछ बदलाव किये गए और फेमा को लाया गया.

फेमा क्या है | What is FEMA in Hindi !!

FEMA का फुल फॉर्म “Foreign Exchange Management Act” है, जिसे हिंदी में “विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम” के नाम से भी जाना जाता है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी कानूनों का संशोधन और एकीकरण करना था. साथ ही ये देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को बढ़ावा देने और विदेशी पूँजी और निवेश को देश में बढ़ाने पर कार्य करता है, जिसके जरिये औद्योगिक विकास और निर्यात को बढ़ावा मिल सके.

ये वो कानून है जिसके जरिये भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के रखरखाव और सुधार में प्रोत्साहन मिलता है. इसके जरिये भारत के प्रत्येक व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता मिल पाती है. इस नियम के तहत एक भारतीय भारत के बाहर संपत्ति को आसानी से खरीद सकता है और उसका ओनर बनने का हक़ ले सकता है.

Difference between FERA and FEMA in Hindi | फेरा और फेमा में क्या अंतर है !!

# फेरा को संसद ने 1973 में पारित किया जबकि फेमा को संसद द्वारा 1999 में पारित किया था.

# फेरा वर्तमान में लागू नहीं है जबकि फेमा वर्तमान में चलाया जा रहा है.

# फेरा में अनुभागों (sections) की संख्या 81 थी जबकि फेमा में अनुभागों (sections) की संख्या 49 है.

# फेरा को भारत में विदेशी भुगतानों पर नियंत्रण लगाने और विदेशी मुद्रा का सदुपयोग करने के लिया बनाया गया था जबकि फेमा को विदेशी व्यापार और विदेशी भुगतानों को बढ़ावा देने और देश में विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बनाया गया है.

# फेरा में भारत का नागरिक उसी व्यक्ति को माना जाता था जो भारत का नागरिक होता है जबकि फेमा में भारत का नागरिक उस व्यक्ति को भी माना जाता है जो 6 महीने से भारत में रह रहा हो.

# फेरा में पाए जाने वाले अपराध को क्रिमिनल अपराध की श्रेणी में रखा जाता था जबकि फेमा में पाए जाने वाले अपराध को दीवानी अपराध की श्रेणी में रखा जाता है.

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Ankita Shukla

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