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छठ पूजा क्यों मनाया जाता है !!
छठ एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व है हिन्दुओं का, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसे मनाने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और माता छठी और सूर्य देव पुरे वर्ष आपको खुश और समृद्ध रखते हैं. इसकी कुछ कथाएं हैं इस पर्व को लेके लोगों की अलग अलग धारणा है कोई इसे रामायण जोड़ता है, तो कोई इसे राजा प्रियंवद से. तो वहीं कुछ लोग इसे महाभारत के कर्ण से तो कोई इसे द्रोपदी से जोड़ता है. जिनके आधार पे ये मनाया जाता है. यदि आप भी छठ पूजा की कथा और इतिहास जानना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पे क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.
आप के लिए : छठ पूजा का इतिहास / कहानी
छठ व्रत विधि !!
खाए नहाय: ये छठ पूजा का पहला दिन माना गया है इसमें सभी छठ पूजा करने वालों को अपने घर की सफाई कर के खुद को साफ और शुद्ध रखना होता है उसके बाद इसमें आप केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण कर सकते हैं.
खरना: खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है इसमें व्यक्ति को पूरे दिन का उपवास करना होता है और उसके बाद शाम को गन्ने के रस या गुड़ की बनी खीर का सेवन प्रशाद के रूप में ग्रहण करना होता है. इस दिन बनी हुई खीर बहुत पोस्टिक और स्वादिस्ट होती है.
शाम का अर्घ्य: ये छठ पूजा का तीसरा दिन होता है इसमें पुरे दिन का व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने की प्रथा है. इसमें सारी पूजा की सामग्रियों को लकड़ी के डोल में रखकर नदी के तट तक ले जाते हैं उसके बाद शाम को सूर्य को अर्घ्य देते हैं और घर बापस पूरी सामग्री के साथ आ जाते हैं और सामान को वैसे ही रख देते है उसके बाद रात को छठी माता के गीत गाते हैं और उनकी कथा सुनते हैं.
आप के लिए : छठ पूजा का महत्व क्या है
सुबह का अर्घ्य: ये दिन छठ का आखिरी और चौथा दिन होता है इसमें सुबह सुबह सूर्योदय से पहले ही घाट पर जाते हैं और सूर्य की पहली किरण के उगने पे अर्घ्य देते हैं. फिर घाट (नदी तट) पर छठ माता को प्रणाम करते हैं और उनसे संतान, पति और घर की खुशहाली का वरदान मांगते हैं. अर्घ्य देने के बाद घर बापस आ जाते हैं और पुरे घर को प्रशाद देते हैं और खुद भी प्रशाद ग्रहण करते हैं.
छठ पर्व की मान्यता (Chhath Puja) !!
इस व्रत की श्रद्धा लोगों के मन बहुत ज्यादा है और माना जाता है की जो भी इस व्रत को करता है वो कभी भी निसंतान नहीं रहता है और उसके घर में हमेशा सुख सम्पत्ति वास करता है. उसके सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं.
मासिक धर्म के समय छठ पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें पूरी सफाई का ध्यान रखना होता है और जैसा की पुराणों में बताया है की मासिक धर्म के समय महिला को साफ नहीं माना गया है इसलिए छठ पूजा की पवित्रता देखते हुए इस व्रत को वो औरते नहीं करती हैं जो मासिक धर्म में फस जाती है छठ पूजा के दिनोमे।
छठ में पीरियड में व्रत रखते है क्या !!
मासिक धर्म के समय छठ पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें पूरी सफाई का ध्यान रखना होता है और जैसा की पुराणों में बताया है की मासिक धर्म के समय महिला को साफ नहीं माना गया है इसलिए छठ पूजा की पवित्रता देखते हुए इस व्रत को वो औरते नहीं करती हैं जो मासिक धर्म में फस जाती है छठ पूजा के दिनोमे।
छठ पूजा गीत वीडियो !!
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