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LLC क्या है | What is LLC (limited liability company) in Hindi !!
LLC : लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी को दो तरीकों से समझा जा सकता है। पहला तरीका यह बताता है कि यह एक ऐसी कंपनी है जिसमें लायबिलिटी लिमिटेड यानि किसी सीमित रहेगी। वहीं दूसरी तरफ लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी को पार्टनरशिप कंपनी के नजरिये से भी देखा जा सकता है। इसमें एक कंपनी के दो या इससे ज्यादा पार्टनर होते हैं। कम से कम दो पार्टनर होना बहुत जरूरी हैं और यह भी जरूरी है कि एक पार्टनर इंडिया का ही नागरिक हो। तो यही दो खास फीचर हैं जो किसी कंपनी को लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी बनाते हैं। इसके लिए हर पार्टनर को शेयर की साझेदारी के हिसाब से ही जिम्मेदारी और अधिकारी मिलते हैं और एक पार्टनर अपनी जिम्मेदारी के लिए ही जवाबदेह होता हैं। यहां पर हम आपको लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के प्रकार, फायदे, नुक्सान और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बारे विस्तार से बताएंगे कि आखिर लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी को कैसे रजिस्टर किया जा सकता है और क्या यह छोटी कंपनियों के लिए फायदेमंद है या फिर बड़े स्तर की कंपनियों के लिए। हम यहां आपको हर प्रकार की जरूरी जानकारी लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के बारे देने जा रहे हैं। तो अगर आप अपनी खुद की कंपनी शुरू करने जा रहे हैं तो यहां पर दी जाने वाली जानकारी के आपके लिए काफी फायदेमंद होगी।
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के फायदे | LLC Advantage in Hindi !!
अब बात करते हैं लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के फायदों के बारे में। तो दोस्तों आपको बता दें कि छोटे स्तर के बिजनेस के लिए इस तरह की कंपनी बेहद फायदेमंद हैं। वहीं अगर आप पार्टनरशिप में बिजनेस खोलना चाहते हैं तो इससे बेहतर विकल्प आपके पास और कोई नहीं होगा। तो यहां पर आप पढ़िये लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के फायदों के बारे में।
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टैक्स में छूट
एक लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के मेंबर यानि कि पार्टनर और साझेदार होने के नाते यह जरूरी नहीं है कि आप टैक्स स्लैब में आते हों। आपकी कंपनी में आपका कितना शेयर है और यह शेयर टैक्स स्लैब में आता है या नहीं इसके अाधार पर ही आप भी टैक्स स्लैब में आएंगे। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आप कंपनी खोलने के बाद भी व्यक्तिगत तौर पर टैक्स स्लैब से बाहर रहें, क्योंकि आपकी आय इस स्लैब से कम है तो आपके लिए लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी बेस्ट रहेगी।
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सीमित देयता यानि लिमिटेड लायबिलिटी
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसमें आपकी देयता लिमिटेड रहेगी। कंपनी की जितनी भी लायबिलिटी होगी उसमें आप सारी लायबिलिटी के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यानि अगर आप 20 प्रतिशत साझेदार हैं तो आपकी देयता भी 20 प्रतिशत तक ही सीमित रहेगी।
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ज्यादा झंझट नहीं
किसी बड़े कोर्पोरेशन के मुकाबले में लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी खोलना और चलाना बेहद आसान है। इसमें इतना झंझट नहीं है। इसमें कागजी कार्रवाई भी अन्य के मुकाबले कम होती है।
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व्यक्तिगत ईकाई से अलग
आपकी एलएलसी को आपके व्यक्तिगत यूनिट से अलग समझा जाएगा। इसका फायदा यह होता है कि अगर आपकी एलएलसी यानि लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी डूब रही है तो आप व्यक्तिगत तौर पर इसके जिम्मेदार नहीं होंगे और आपकी व्यक्तिगत संपत्ति पर इसका असर नहीं होगा। आपको उतना ही नुक्सान होगा जितनी आपकी साझेदारी एलएलसी में थी।
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लचीलापन
एलएलसी यानि लिमिटेड लायेबिलिटी कंपनी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इसमें लचीलापन बहुत है। इसमें आपने अगर लायबिलिटी निर्धारित करके तीन साझेदारों के साथ कंपनी बनाई है तो आप किसी भी समय लायेबिलिटी को बढ़ाते हुए इसमें अन्य सदस्यों को भी शामिल कर सकते हैं।
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के नुक्सान | LLC Disadvantages in Hindi !!
जैसा कि आपको पता है कि नुक्सान और लाभ एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। जिस चीज का नुक्सान होता है उसका फायदा भी होता है और जिसका फायदा होगा तो उसका नुक्सान भी होगा। ऐसा ही कुछ लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के साथ भी है। इसके फायदे भी हैं और नुक्सान भी तो हम यहां पर आपको इसके नुक्सान के बारे बताने जा रहे हैं ताकि आप सिर्फ फायदे पढ़ कर ही कंपनी खोलने का फैसला न लें और दोनों तरफ से अच्छे से इसका मूल्यांकन कर सकें।
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कई राज्यों में संचालन के प्रावधान नहीं
एलएलसी का सबसे बड़ा नुक्सान यह है कि भारत के कई राज्यों में इनके संचालन संबंधी कड़े प्रावधान नहीं है। इसका नुक्सान एलएलसी के मेंबरों को होता है। जहां एक राज्य में प्रावधान हाेता है वहां हर एलएलसी के मेंबर को उन प्रावधानों के तहत काम करना होता है। लेकिन सरकारी प्रावधान न होने पर मेंबरों के हित आपस में टकरा सकते हैं। ऐसे राज्यों में एलएलसी को अपने आप्रेटिंग एग्रीमेंट के आधार पर चलना पड़ता है जिसमें बदलाव के लिए कोई भी मेंबर सिफारिश कर सकता है और दबाव बना सकता है। लेकिन सरकारी प्रावधान होने पर कोई मेंबर उस प्रावधान को बदलने का दबाव नहीं बना सकता।
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पूंजी और निवेश जुटाना मुश्किल
एलएलसी यानि लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के मालिकों यानि मेंबरों को एक और समस्या परेशान करती है। यह समस्या पूंजी और निवेश जुटाने की होती है। अक्सर देखा जाता है कि बड़े इन्वेस्टर बड़ी कंपनियों या फिर छोटी कोरपोरेशनों में इन्वेस्टमेंट करने में रूचि ज्यादा दिखाते हैंं। एलएलसी में इन्वेस्ट करने की रूचि दिखाने वाले बहुत कम लोग होते हैं। ऐसे में एलएलसी के लिए पूंजी और निवेश जुटाना भी आसान नहीं होता है।
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अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग शुल्क
एलएलसी को रजिस्टर केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कोरपोरेटस के साथ किया जाता है। ऐसे में रजिस्ट्रेशन तक तो हर किसी के लिए शुल्क और प्रक्रिया एक जैसी ही रहती है। लेकिन लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी को संचालित करने के लिए आपको अपने राज्य के अनुसार शुल्क देने होंगे। तथा यह शुल्क अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भी हो सकते हैं। इसमें कई प्रकार के शुल्क शामिल होते हैं।
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हर साझेदार के पास हैं अधिकार
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी का एक नुक्सान यह भी है कि इसमें हर मेंबर यानि हर मालिक के पास अधिकार होते हैं। यह हर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम नहीं करती है जिसमें मालिक, प्रबंधन और शेयर होल्डरों के बीच बड़ा अंतर होता है। जो निर्णय प्रबंधक लेता है उसमें मालिक या शेयर होल्डर भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। लेकिन लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी में ऐसा नहीं है। इसमें हर साझेदार ही मालिक और प्रबंधक जितने अधिकार रख सकता है।
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कर्ज मिलना मुश्किल
अगर बात करें हम लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी की तो इसमें आपको कर्ज मिलना मुश्किल होता है। यदि आप अपनी लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी को आधार बनाकर किसी बैंक या लोन कंपनी से लोन या कर्ज लेना चाहते हैं तो यह मुश्किल होगा। ऐसा इसलिए होता है कि कंपनी में आपकी प्रापर्टी पर्सनली अटैच नहीं की जा सकती जिस कारण लोन देने वाले को पैसे वापिस लेने में मशक्कत करनी पड़ सकती है इसी डर से बैंक आदि लोन नहीं देते हैं।
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के प्रकार | Types of LLC In Hindi !!
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी खोलने से पहले आप जरूर इसके प्रकार के बारे जानना चाहते होंगे। तो यहा हम आपको बता दें कि लिमिटेड लायबलिटी कंपनियां दो प्रकार की होती हैं !!
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प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
प्रावइेट लिमिटेड कंपनी एक तरह की लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी है। अगर आपकी कंपनी एक लाख या इससे भी कम पूंजी के शेयर से बनने जा रही है तो यह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहलाएगी।
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पब्लिक लिमिटेड कंपनी
यदि आपकी लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी पांच लाख तक की पूंजि से बनने जा रही है तो आपकी कंपनी को पब्लिक लिमिटेड कंपनी के दायरे में रखा जाएगा।
लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी कैसे बनाएं | How to Start LLC Company in Hindi !!
बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी कैसे बनाई जा सकती है। तो आपको बता दें कि लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी बनाना बेहद आसान काम है। इसका प्रोसीजर ज्यादा लंबा चौड़ा नहीं है। इसके लिए आपको भारत सरकार के कोरपोरेट अफेयर मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके लिए कंपनी के दो पार्टनर होने चाहिए, जिनमें एक का भारतीय होना बहुत जरूरी है, जरूरी दस्तावेज और निर्धारित फीस चुकानी होगी। जरूरी दस्तावेजों में आपकी कंपनी का मेमोरैंडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग यानि एमओयू और आर्टिकल आॅफ एसोसिएशन भी होना चाहिए। इसके बाद मंत्रालय के कंपनी रजिस्ट्रार के पास डॉक्यूमेंट और आवेदन जमा करवाने होंगे और जो हिदायतें मिलेंगी उनका पालन करना होगा।