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इंटर्नशिप क्या है | इंटर्नशिप प्रशिक्षण क्या है !!
इंटर्नशिप एक तरह का लिमिटेड टाइम पीरियड है जिसमे कोई भी आर्गेनाइजेशन में हम काम करते हैं. पहले ये मेडिकल स्नातक के छात्रों के लिए हुआ करता था लेकिन अब ये सभी प्रकार के प्रोफेशनल कोर्स में जरुरी कर दिया गया है. इसमें आखिरी के वर्ष में स्नातक के छात्रों को किसी आर्गेनाइजेशन में जा के (जो उनके प्रोफेशनल कोर्स से जुडी हो) उनमे कुछ लिमिटेड समय के लिए काम कर के एक्सपीरियंस लेना होता है. वहां ये सीखना होता है की काम कैसे करना है आर्गेनाइजेशन में, केसा माहौल होना चाहिए आर्गेनाइजेशन का आदि. जिसे पूरा करने के बाद कॉलेज में आखिर में उसकी थीसिस भी जमा करानी होती है जो सुनिक्षित करता है की आपका काम और एक्सपीरियंस कैसा रहा इंटर्नशिप के दौरान.
इंटर्नशिप का मतलब क्या है | what is Internship explain in Hindi !!
इंटर्नशिप यदि सभी प्रकार के करियर कोर्स से जोड़ के देखे तो सभी में कुछ समानताएं होती है. लेकिन उनमे कोर्स के अनुसार काफी भिन्नता भी होती है. समानता ये होती है की सभी को किसी न किसी आर्गेनाइजेशन में फाइनल ईयर में जाके इंटर्नशिप करनी होती है चाहे वो मेडिकल का छात्र हो, या इंजीनियर, या कोई बिज़नेस से जुड़े कोर्स का. और असमानता ये हैं की सभी आर्गेनाइजेशन में कार्य अलग अलग तरह का होता है और छात्र को अपनी शिक्षा और कोर्स के अनुसार ही आर्गेनाइजेशन का चयन करना होता है. जैसे की: मेडिकल का छात्र हॉस्पिटल में इंटर्नशिप करता है. इंजीनियर अपनी ट्रेड के अकॉर्डिंग अपनी कम्पनी चुनता है. एक फार्मेसी का छात्र कोई ऐसी दवाइयां बनाने वाली कंपनी में इंटरशिप करेगा जहाँ उसे दवाइयों से जुडी जानकारी मिले. एक होटल मैनेजमेंट का छात्र किसी होटल में अपनी इंटर्नशिप पूरा करेगा और कोई MBA का छात्र की किसी कम्पनी में एक्सपीरियंस लेगा.
इंटर्नशिप के प्रकार | Types of Internship in Hindi !!
इंटर्नशिप कई प्रकार की होती है ये किसी भी कम्पनी या उसके मैनेजमेंट पे निर्भर करती है. इंटर्नशिप पेड भी हो सकती है और अनपेड भी. या हो सकता है उसमे स्टिपेन्ड मिले. आपकी इंटर्नशिप हो सकता है फुल टाइम हो या हाफ टाइम. या वो छात्र के स्केडुल के अनुसार हो. ज्यादातर इंटर्नशिप एक से लेके चार महीने तक की होती है. और ये चीज जरूरत के अनुसार बदल भी सकती है. ये बढ़ भी सकती है और कम भी हो सकती है.
# पेड इंटर्नशिप
पेड इंटर्नशिप में कुछ प्रोफेशनल फील्ड शामिल होती हैं जैसे की मेडिसिन, आर्किटेक्चर, साइंस, इंजीनियरिंग, लॉ, बिज़नेस, टेक्नोलॉजी और एडवरटाइजिंग से जुडी. इसमें आपका एक्सपीरियंस सेकंड और थर्ड ईयर में माँगा जाता है जब आप अपने कॉलेज में अपनी स्नातक पूरी कर रहे होते हैं. इंटर्नशिप में छात्र को कॉलेज का ज्ञान अपने वर्क प्लेस पे लगाना होता है और कम्पनी से भी बाकि कुछ सीखना होता है.
# कार्य शोध, आभासी अनुसंधान (स्नातक) या शोध प्रबंध
इसमें छात्र को आखिरी वर्ष में एक कम्पनी को चुन के उसमे कोई खोज करनी होती है और उसके लिए उसे एक पर्टिकुलर टॉपिक चुनना होता है और उसपे अपनी खोज करनी होती है. इसमें कम्पनी का रोल ये होता है की वो अपने इंटर्न को उसकी खोज के अनुसार सभी प्रकार की सुविधाएँ मुहैया कराती है. और उसकी ज्ञान को और अधिक तेज़ करती है. और बाद में वही खोज की रिपोर्ट अपने कॉलेज में प्रेजेंटेशन के दौरान छात्र को पेश करनी होती है.
# अनपेड इंटर्नशिप
अनपेड इंटर्नशिप में कम्पनी इंटर्न को पे नहीं करती। ये ज्यादातर केवल सीखने में मदद करती हैं और यहाँ से आपको आपके काम के लिए पैसे नहीं दिए जाते हैं.
# पर्सिअली पेड इंटर्नशिप
एक प्रकार की इंटर्नशिप है जिसमे इंटर्न को पे किया जाता है लेकिन एक स्टिपेन्ड की तरह. स्टिपेन्ड एक प्रकार की धनराशि होती है जो एक निश्चित समय पे इंटर्न को दी जाती है. जैसे की एम्प्लॉय को सैलरी दी जाती है किसी एक फिक्स्ड तारीख पे.
# वर्चुअल इंटर्नशिप
भी एक प्रकार की इंटर्नशिप है जिसमे कोई भी छात्र को कम्पनी या कोई भी आर्गेनाइजेशन जाये बिना बाहर से ही वर्क एक्सपीरियंस गेन करता है. जैसे की फ़ोन से, लैपटॉप से, कंप्यूटर से. इसमें किसी को भी ऑफिस में फिजिकली न प्रेजेंट होते हुए भी उसका काम फ़ोन या फिर कंप्यूटर से करना वर्चुअल इंटर्नशिप कहलाता है.
इंटर्नशिप का महत्व | Importance of Internship in Hindi !!
इंटर्नशिप के कई सारे महत्व है और ये किसी भी प्रोफेशनल कोर्स में भी काफी महत्व रखती है. इसे करने से हमे अपने कॉलेज के दिनों में ही कम्पनी में काम करने का एक्सपीरियंस हो जाता है. कम्पनी या किसी भी प्रकार की आर्गेनाइजेशन में कैसे काम करना होता है और कैसा माहौल फेस करना होता है वो भी पता चल जाता है. इसकी सबसे अच्छी बात ये होती है की ये हमे किसी भी कम्पनी को अपना करियर चुनने में मदद करता है. इंटर्नशिप कर के जब लास्ट ईयर में कम्पनी रिक्रूटमेंट के लिए कम्पनी आती है तब हम अपने इंटर्नशिप का एक्सपीरियंस उपयोग में लाके अच्छा प्लेसमेंट पा सकते हैं.
इंटर्नशिप का उद्देश्य !!
इंटर्नशिप का उद्देश्य हमें कम्पनी और आर्गेनाइजेशन से सामना कराना और ये सीखाना की वहां काम कैसे होता है किन हालातों में होता है. क्या एडवांटेज और क्या डिसएडवांटेज होता हैं किसी भी कम्पनी या आर्गेनाइजेशन में काम करने के. हमे कम्पनी के माहौल को समझने में मदद करती है. हमे पहले से ही तैयार करती है की हमे आगे जाके कैसे काम करना है.
इंटर्नशिप के लाभ | Internship advantages In Hindi !!
इंटर्नशिप करने के कई फायदे होते हैं जैसे की हम अभी तक बस पढ़ते आते हैं हमे कुछ भी सीखना होता था तो हम अपने घर वालों या अपने टीचर से पूछते थे. लेकिन इंटर्नशिप के दौरान हमे अपने घर और अपने टीचरों से दूर जाके कुछ सीखना होता है जिसमे स्वयं का सबसे अधिक योगदान होता है. इसमें हमे दूर किसी कम्पनी में जाना होता है. स्वयं ही सबकुछ मैनेज करना होता है. सीखने के लिए बहुत कुछ होता है लेकिन सीखाने वाला स्वयं के अलावा कोई नहीं होता. एक निश्चित लक्ष्य मिलता है आपके करियर को. लोगों से नेटवर्क अच्छा हो जाता है. और आपकी खुद की क्रिएटिविटी का आपको तब पता चलता है. और इंटर्नशिप के बाद आपने काफी कुछ सीख लिया होता है जिससे नौकरी मिलने में आसानी हो जाती है.