पति की मृत्यु के बाद उसकी सारी संपत्ति पे उसके बेटे का अधिकार होगा. यदि किसी स्थिति में उस घर में कोई बीटा नहीं है तो इस केस में सारी सम्पत्ति पे केवल पत्नी का अधिकार होगा. ये अधिनियम 1933 की धारा 8 (1) (डी) के प्रावधान में स्पष्ट हैं. कुछ समय पहले एक ऐसे ही केस को सुलझाते हुए सुप्रीम कोर्ट पे इस बात का फैसला किया. की यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस घटना में उसकी छोड़ी हुई सारी सम्पत्ति या तो उसके बेटे की होगी यदि उस परिवार में उस व्यक्ति का कोई बीटा नहीं है तो सारी सम्पत्ति उसकी पत्नी को मिलेगी इसके अलावा इस सम्पत्ति में किसी बेटी का कोई हिस्सा नहीं होता. चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित।
कुछ समय पहले कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमे एक औरत की ३ पुत्रियां थी. जिसमे उसके पति का दिहांत हो गया था और इस केस में उस व्यक्ति की सारी सम्पत्ति उसकी पत्नी को मिलगई थी लेकिन उस औरत ने अपनी सम्पत्ति का कुछ भाग बेच दिया और बचा हुआ भाग अपनी एक पुत्री को दे दिया. जिसके बाद उसकी बची दो पुत्रियों ने इस बात का विरोध किया और बात हाई कोर्ट तक गयी. जिसमे हाई कोर्ट ने उस सम्पत्ति पे माँ और तीन पुत्रियों को बराबर का अधिकार देने का निर्देश दिया.
लेकिन ये बात उस व्यक्ति की पत्नी को सही नहीं लगी और वो सुप्रीम कोर्ट गयी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय उस औरत के पक्ष में सुनाया और कहा की किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी सम्पत्ति पे केवल उसके बेटे का अधिकार होता है यदि किसी कारणवस उस घर में कोई बेटा नहीं होता है तो उस केस में उस व्यक्ति सारी सम्पत्ति उसकी पत्नी को मिलती है और किसी भी हाल में इस सम्पत्ति में बेटी का कोई अधिकार नहीं होता चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित।
ये निर्णय कानूनी नियमों के आधार पे लिया गया था और नियम का जिक्र लॉज़ में भी किया गया है. ये अधिकार अधिनियम 1933 की धारा 8 (1) (डी) के प्रावधान में स्पष्ट हैं। और जो सम्पत्ति औरत को उसके पति की मृत्यु के बाद मिलती है और उसके बाद यदि उसकी सम्पत्ति में कोई बढ़ोत्तरी होती है तो इस केस में इस सम्पत्ति का उस बढ़ी हुई सम्पत्ति से कोई मतलब नहीं होगा और ये सम्पत्ति पहले की तरह उसी औरत के पास ही रहेगी.