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मांगलिक दोष क्या है, पहचान, लक्षण, फायदे, परिहार, निवारण, काट !!

मांगलिक दोष क्या है | Mangala Dosha in hindi !!

जनश्रुति के अनुसार यदि बात करे तो, ‘मांगलिक दोष‘ एक ऐसा दोष है जिसके होने से दांपत्य के जीवन के सुख में हानि होना सम्भव होता है। यह बात एक तरह से आंशिकरूपेण सत्य है, लेकिन इसे पूर्णरूपेण नहीं कहा जा सकता। जैसा कि हम अपनी पिछली पोस्ट में स्पष्ट कर चुके हैं कि दांपत्य सुख को प्राप्त करने के लिए या ना उसमे सुख न होने के लिए एकाधिक कारक उत्तरदायी होते हैं, केवल ‘मांगलिक दोष’ के जन्म पत्रिका में होने मात्र से ही दांपत्य सुख का अभाव है यह कहना उचित नहीं है।

सबसे पहले हम बताना चाहेंगे कि ‘मांगलिक दोष’ होता क्या है?, इस बात पर हम आप सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहेंगे। सामान्यत: किसी भी जातक की जन्म पत्रिका में लग्न चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में मंगल का स्थित‍ होना ‘मांगलिक दोष’ का होना कहलाता है.

‘लग्ने व्यये पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे।
कन्याभर्तुविनाश: स्वाद्भर्तुभार्याविनाशनम्।।’
कुछ बड़े विद्वानो के अनुसार इस दोष को तीनों लग्न अर्थात लग्न के अतिरिक्त चंद्र लग्न, सूर्य लग्न और शुक्र में भी देखा जाता हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि ‘मांगलिक दोष’ वाले वर अथवा कन्या का विवाह किसी ‘मांगलिक दोष’ वाले जातक से ही होना जरूरी होता है। अन्यथा यदि किसी एक मात्र के मांगलिक होने से दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रह पाता है.
‘कुजदोषवती देया कुजदोषवते किल।
नास्ति न चानिष्टं दामप्तत्यो: सुखवर्धनम्।।’

मांगलिक दोष की पहचान !!

मांगलिक दोष वैसे से खुद जातक के लिए तब तक बुरा नहीं है, जब तक उसकी शादी नहीं होती, क्योंकि मांगलिक दोष दाम्पत्य के सुख में विघ्नं उत्पन्न कर सकता है और वह भी तब जब दोनों वर और वधु में केवल एक मांगलिक हो. अर्थात यदि कोई वर या वधु मांगलिक है तो उसके लिए दूसरा वर या वधु भी मांगलिक ही ढूंढ़ना चाहिए. यदि दोनों मांगलिक होंगे तो उनका दाम्पत्य जीवन अन्य लोगो की तरह सुखमय बीतेगा. वैसे तो कुंडली और नकक्षत्र ही बता सकते हैं कि जातक मांगलिक है की नहीं. इसे पहचानने के लिए कुछ लक्षण होते हैं जिन्हे हम बताने जा रहे हैं.:-

  1. ज्योतिष लोगों की प्रसिद्ध लाल किताब के अनुसार मंगल का असर सबसे अधिक आंखों में पाया जाता है। अर्थात हमारे शरीर की नसों में जो दोड़ने वाला खून है वह भी मंगल ही होता है। ऐसे में यदि लाल किताब की बात मानी जाये तो अगर किसी व्यक्ति की आंखे हमेशा लाल दिखती हैं. या साथ ही सीधा देखते वक्त उसकी पुतलियां उपर उठी हुई सी रहती है तो वो व्यक्ति मंगल से प्रभावित पाया जाता है।
  2. मंगल के प्रभावित व्यक्ति अक्सर जुबान के तीखे होते हैं। अन्य लोगों को उनकी बोली कुछ खास अच्‍छी नहीं लगती। ऐसे जातको की बातें से लोगों का दिल दुख सकती है.
  3. मांगलिक लोग अक्सर स्वतंत्र विचारधारा के पाए जाते हैं। ये हमेशा अपने मन की करना पसंद करते हैं. ये कभी भी दूसरों के अनुसार नहीं चलते।
  4. ऐसे लोग जीवन के प्रति बहुत सैद्धांतिक होते हैं, यह कभी भी झूठ अधिक झूट बोलने का प्रयास नहीं करते हैं, जहां बहुत जरूरी हो वहीं झूठ का प्रयोग करते हैं, पर हमेशा अपने सिद्धांत पर अडिग होते हैं।
  5. मांगलिक व्यक्ति जल्दी किसी का बुरा नहीं सोचते, पर अगर किसी से दुश्मनी हो जाए तो फिर उसे कभी छोड़ते नहीं।
  6. ऐसे लोग खुद को ज्ञानी और शक्तिशाली मानते हैं। ऐसे में अगर ये गलत रास्ते पर चल पड़े तो असामाजिक या अपराधी बनने के योग ज्यादा हो जाते हैं, वहीं अगर सही रास्ते पर जाएं तो धर्मात्म भी अपना सकते हैं।
  7. मंगल दोष के व्यक्ति क्रोधी स्वभाव के होते है। गुस्से में वो कुछ भी कर सकते है।

मांगलिक दोष के फायदे !!

# मांगलिक दोष वाला जातक एक सकारात्मक सोच रखता है, वह किसी का जल्दी बुरा न सोचता है और न करना चाहता है. ऐसे लोग ऑस्कर सत्य बोलना पसंद करते हैं. यह लोग जो ठान लेते हैं वह ही करना पसंद करते हैं. ऐसे लोग लॉजिकल भी होते हैं.  सच बोलना पसंद करते हैं.

# जैसा की हम जानते हैं कि एक मांगलिक व्यक्ति की शादी दूसरे मांगलिक के साथ होना अधिक शुभ होता है तो इस स्थिति में यदि दो समान गुण के लोगो की शादी होती है, तो उससे उनका दाम्पत्य जीवन भी सुखमय रहता है.

मांगलिक दोष के परिहार !!

‘मुहूर्त दीपक’, ‘मुहूर्त पारिजात’ तथा अन्य मानक ग्रंथों के अनुसार मांगलिक दोष के कुछ आत्म कुंडलीगत तथा कुछ पर कुंडलीगत परिहार बताए गए हैं। इसके अनुसार यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्ठम व द्वादश भावों में कहीं भी मंगल का होना पाया जाता है और अन्य ग्रहों की स्थिति, दृष्टि या युति निम्न प्रकार हो, तो कुजदोष स्वतः ही प्रभावहीन हो जाता है :-

# यदि मंगल ग्रह वाले भाव का स्वामी बली हो, और वह उसी भाव में बैठा हो या उसपे दृष्टि रखता हो, साथ ही सप्तमेश या शुक्र अशुभ भावों (6/8/12) में न हो।
# यदि मंगल शुक्र की राशि में पाया जाये तथा सप्तमेश बलवान होकर केंद्र त्रिकोण में हो।
#  यदि गुरु या शुक्र बलवान हो और उच्च के होकर सप्तम में हो तथा मंगल निर्बल या नीच राशिगत में हो।
# मेष या वृश्चिक का मंगल चतुर्थ में, कर्क या मकर का मंगल सप्तम में, मीन का मंगल अष्टम में तथा मेष या कर्क का मंगल द्वादश भाव में पाया जाये तो.
# यदि मंगल स्वराशि, मूल त्रिकोण राशि या अपनी उच्च राशि में मौजूद हो।
# सबसे मुख्य बात यदि वर-कन्या दोनों में से किसी एक के भी कुंडली में मंगल दोष मौजूद हो तथा परकुंडली में उन्हीं पाँच में से किसी भाव में कोई पाप ग्रह स्थित हो। तो कहा जाता है –
शनि भौमोअथवा कश्चित्‌ पापो वा तादृशो भवेत्‌।
तेष्वेव भवनेष्वेव भौम-दोषः विनाशकृत्‌॥

मांगलिक दोष के निवारण, काट !!

मांगलिक दोष को दूर किया जा सकता है, और इसे जीवन पर गलत प्रभाव डालने से रोका जा सकता है, इसके आपको आपके पंडित को अपनी कुंडली दिखानी होती है और उसके अनुसार जो वो आपको समाधान बताएंगे उसे करना होता है.

कहा जाता है कि मांगलिक दोष सबसे अधिक दाम्पत्य जीवन के लिए बुरा होता है, इसलिए यदि किसी भी जातक के कुंडली में मांगलिक दोष हो, तो उसे अपनी शादी करने से पहले एक पीपल के पेड़ के साथ शादी कर लेनी चाहिए और वह भी पुरे विधि विधान के साथ. उसके बाद अपने पंडित से सारे नियम जानकर आगे की रश्मि पूरी करनी चाहिए. जिसके बाद मांगलिक दोष को हटाया जा सकता है और फिर किसी भी सामान्य व्यक्ति के साथ एक मांगलिक दोष वाला व्यक्ति शादी कर सकता है.

इसके अलावा कहा जाता है कि यदि एक मंगल दोष वाला जातक दूसरे मगल दोष वाले जातक से विवाह करता है, तो भी यह दोष हट जाता है. इन्ही सब निवारणों से एक मांगलिक दोष का जातक भी अपना जीवन आसानी से सुखमय तरीके से व्यतीत कर सकता है.

मांगलिक दोष Video

Ankita Shukla

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