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कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष” के विषय में बताने जा रहे हैं. दोस्तों आपने भी पंचांग नाम तो सुना ही होगा। ये कुछ और नहीं बल्कि हिन्दू धर्म का कैलेंडर है, जिसका हिन्दू धर्म में काफी अधिक महत्व है. पंचांग में पांच कारकों यानी तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र होते हैं, जिनके अनुसार पंचांग गणना और कार्य करता है. इसलिए इसे पंचांग नाम दिया गया है.

Difference between Krishna paksha and Shukla paksha in Hindi | कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में क्या अंतर है !!

अंग्रेजी कैलेंडर की तरह ही पंचांग में भी एक साल में 12 महीने होते है और इस में एक दिन को एक तिथि के रूप मे जाना जाता है. जो तिथि होती है, उसकी अवधि 19 से 24 घंटों तक की हो सकती है. पंचांग के अनुसार भी एक माह में तीस दिन होते हैं और इन महीनो की गणना सूर्य और चंद्र की गति के अनुसार निर्धारित की होती है. चन्द्रमा की कलाओं के अधिक या कम होने के अनुसार महीने को दो पक्षों में बांटा गया है. जिसमे एक को कृष्ण पक्ष और दूसरे को शुक्ल पक्ष कहा जाता है. जिन्हे आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

Difference between Krishna paksha and Shukla paksha in Hindi | कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में क्या अंतर है !!

कृष्ण पक्ष क्या है | What is Krishna Paksha in Hindi !!

कृष्ण पक्ष वो होता है, जो पूर्णिमा और अमावस्या का मध्य भाग होता है. ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा के अगले दिन से ही कृष्ण पक्ष आरम्भ हो जाता है. इस पक्ष को किसी शुभ कार्य के लिए शुभ नहीं माना जाता है. और ये भी माना जाता है, कि इस पक्ष में कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो शुभ हो, जैसे कि: शादी, मुंडन या घर में कोई भी अन्य विशेष अवसर।

ये इसलिए ऐसा माना जाता है क्यूंकि जैसे पूर्णिमा के बाद जब चन्द्रमा घटता है यानी चन्द्रमा की कलाएं कम होती है और उससे चन्द्रमा की शक्ति भी कम होने लगती है. और चन्द्रमा के आकार में कमी होने के कारण रात्रि अधिक अँधेरी होने लगती है. इसी कारण इस पक्ष को शुभ नहीं माना जाता है. जितना शुक्ल पक्ष को मानते हैं.

शुक्ल पक्ष क्या है | What is Shukla Paksha in Hindi !!

शुक्ल पक्ष वो पक्ष है जो अमावस्या और पूर्णिमा के बीच का अंतराल होता है. अमावस्या के बाद के 15 दिन इस पक्ष में आते है। अमावस्या के अगले दिन से ही चन्द्रमा का आकार बढ़ने लगता है और उसकी शक्ति अधिक होने लगती हैं. ऐसा भी माना जाता है कि चन्द्रमा की कलाएं भी बढ़ती है जिससे चन्द्रमा बड़ा होता जाता है और जिससे रातें अँधेरी नहीं बल्कि चाँद की रौशनी से चमक जाती है और चाँद की चांदनी से भरी होती है। और जब ये होता है तो उस समय चंद्र बल काफी मजबूत होता है. जिससे सब शुभ होने के आसार लोगों को प्रतीत होते हैं. इसलिए किसी भी शुभ काम के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ पक्ष की उपाधि दी गयी है. और यदि कोई नया काम करना होता है तो ये पक्ष बहुत शुभ माना जाता है उसके लिए.

हर माह को दो भागों में बांटा गया है जिसमे पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं. दोनों ही पक्ष अपनी अपनी खासियत रखते हैं. और शुक्ल पक्ष को कृष्ण पक्ष से अधिक शुभ माना गया है.

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Ankita Shukla

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