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धर्म और कर्म में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “धर्म और कर्म” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “धर्म और कर्म क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप किस धर्म से जुड़े हैं, किस भाषा का प्रयोग करते हैं, धर्म और कर्म दो ऐसे शब्द हैं जो प्रत्येक रिलिजन, भाषा के लोगों को आगे बढ़ने में मदद करते हैं. आज हम आपको इन्ही के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

धर्म क्या है | What is Dharma in Hindi !!

धर्म क्या है | What is Dharma in Hindi !!

धर्म शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के “धरी धातु” से हुई है, जिसका अर्थ है “वह चीज़ जिसके द्वारा स्थिरता आती है और पूरे विश्व में सामंजस्य स्थापित होता है”. धर्म का मुख्य उद्देश्य अपने कर्तव्य को पूरा करना होता है. धर्म व्यक्ति के परिवार, उसके समय और उसकी कक्षा के अनुसार बदलते रहते हैं. इसमें हमारे कर्म, कर्तव्य, बातचीत, स्वभाव, रिलिजन, आदि जैसे कई महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं. धर्म का मुख्य उद्देश्य भगवत गीता में भगवान विष्णु द्वारा महाभारत के दौरान बताये गए थे.

कर्म क्या है | What is karma in Hindi !!

कर्म क्या है | What is karma in Hindi !!

कर्म हमारे द्वारा किये गए हर एक कार्य को व्यक्त करता है. कर्म के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं है. प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कोई न कोई कर्म अवश्य करता है. कर्म अच्छे भी होते हैं और खराब भी. सकाम कर्म या कामनायुक्त कर्म के दो परिणाम या फल कहलाते हैं अर्थात पाप और पुण्य। पाप से दुख और पुण्य से सुख प्राप्त होता है। कर्म केवल अच्छे हो ये आवश्यक नहीं। कर्म अच्छे बुरे दोनों प्रकार के होते हैं.

Difference between Dharma and Karma in Hindi | धर्म और कर्म में क्या अंतर है !!

धर्म का मूल कर्म है. यदि कर्म नहीं होंगे तो धर्म का पता नहीं लगेगा।

# कर्म हमारे द्वारा किये गए कार्य को व्यक्त करता है जबकि धर्म हमारे व्यवहार, कर्म, रिलिजन, स्वभाव, आदि को व्यक्त करता है.

# धर्म में मानव के कर्तव्य जुड़े है जबकि कर्म में मानव के द्वारा लिया गया प्रत्येक एक्शन जुड़ा है.

# धर्म सदैव पुण्य का प्रतीक है जबकि कर्म बुरे और अच्छे दोनों प्रकार के होते हैं.

कर्म, धर्म का एक अंश है, धर्म हमेशा पुण्य कर्मो की प्रेरणा देता है।

# यदि कर्म को सकाम कर्म के रूप में किया जाये तो इस जीवन में सुख और मरण उपरांत स्वर्ग मिलता है और यदि कर्म को निष्काम के रूप कर्म किया जाए तो मोक्ष की प्राप्ति संभव है क्यूंकि भगवद गीता के अनुसार निष्काम कर्म का फल नहीं होता है.

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Ankita Shukla

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