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रोहतांग पास | रोहतांग दर्रा क्या है !!
रोहतांग दर्रा या रोहतांग पास और इसे पहले के समय में ‘भृगु-तुंग’ भी कहा जाता था. ये एक पर्यटक स्थल है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है. इसका सूंदर दृश्य देखने के लिए लोग दूर दूर से बड़ी मेहनत के साथ आते हैं. इसकी ऊंचाई 13,500 फीट/समुद्री तल से 4111 मीटर ऊँची है. इसे हिमाचल प्रदेश का मुख्य दर्रा माना जाता है. जैसा की हम सब जानते ही है की किसी भी स्थान का नाम समय समय पे बदलता रहता है वैसे ही इसका नाम भी बदल के रोहतांग रखा गया है जबकि इसका पुराना नाम ‘भृगु-तुंग’ था.
दर्रा की खासियत ये है की यहां बहुत जल्दी जल्दी मौसम में बदलाव होते हैं. यहां आने की अवधि भी हर साल की बहुत कम होती है. यहां आने की आज्ञा आर्मी फाॅर्स द्वारा अप्रैल में दी जाती है और अधिक वर्फबारी अक्टूबर में होने लगती है जिसके कारन सितम्बर से ही यहां के रस्ते बंद कर दिए जाते हैं. ये जितना सूंदर है उतना की खतरनाक भी. यहां से मनाली का पूरा दृश्य बहुत सूंदर दिखाई देता है. ये मनाली से लगभग 51 किलोमीटर की दुरी पे स्थित है.
यहां आके लोग ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, पैरालाइडिंग और स्किंईंग आदि का भी आनंद लेते हैं. ये एक बहुत सूंदर प्रकृति का उपहार है भारत के लिए. जिसकी हमे हमेशा सुरक्षा करनी चाहिए. इसे हमे हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए. यहां के नियमों का पालन करना चाहिए. यहां रहने वाले लोग अपना गुजारा आलू और मटर की खेती कर के करते हैं इसलिए ऐसे स्थान को किसी प्रकार की छति नहीं पहुचानी चाहिए.
यहां जाने के समय ऊनि वस्त्र अवश्य साथ ले जाएँ और यदि न हो तो वहां आपको ये किराये पे मिल जायेंगे क्यूंकि इनके बिना आपको बहुत तकलीफ होगी.
यहां जाने के लिए आप मनाली या कुल्लू से जीप कर सकते हैं. यहां आप अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं. यहां जाने के लिए आपको सबसे सही रास्ता मनाली से ही मिलेगा.
रोहतांग पास का इतिहास | Rohtang Pass History in Hindi !!
यदि इसके इतिहास की बात की जाये तो इसका इतिहास ये है की ये पहले के जमाने में कही जाने वाली सोने की चिड़िया भारत का हिस्सा था और है. इसका पहले नाम भृगु-तुंग’ था जो अब बदल के रोहतांग दर्रा या रोहतांग पास कर दिया गया है. यहां से एक नदी भी गुजरती है जिसका नाम व्यास नदी है जो कई राज्यों से होते हुए पाकिस्तान में मिलती है. पाकिस्तान भी पहले भारत का ही हिस्सा था उस समय रोहतांग की सुंदरता देखने और भी लोग आ पाते थे. यहां पहले के समय से ही अक्टूबर से लेके अप्रैल की शुरुआत तक वर्फबारी होती थी और होती है जिसके कारण इसके रास्ते पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं. इसकी रक्षा केवल आर्मी फाॅर्स ही करती आ रही है वर्फ के समय में. जिसमे उन्हें काफी मुसीवत का सामना भी करना पड़ता है. लेकिन वो सब झेलते हुए हमारे देश के सुन्दर स्थान की रक्षा करते हैं. यही है रोहतांग पास का इतिहास।
Rohtang pass height in feet !!
13,050′feet / 3,978 m
Rohtang pass km from delhi !!
585 km