बहुत लोगों के मन में ये सवाल हर दिन आता है की क्यों टाइगर ही हमारा नेशनल animal है और क्या इससे पहले भी कोई हमारा राष्ट्रिय पशु रह चूका है. यदि आप भी यही सोच रहे हैं तो आप सही सोच रहे हैं जी हाँ टाइगर से पहले भी कोई दूसरा पशु हमारा राष्ट्रिय पशु रह चूका है. और वो कोई नहीं बल्कि हमारा सबका जंगल का राजा शेर था.
बाघ और शेर दोनों रॉयल्टी के लिए जाने जाते हैं , यदि एक भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को सजाता हैं, तो वहीं दूसरा रॉयल बंगाल टाइगर देश का राष्ट्रीय पशु कहलाता है। कुछ साल पहले शेर को ‘जानवरों के राजा’ माना गया था और ये यूरोप और मध्य पूर्व में सम्मानित भी किया गया था और आज अफ्रीका में ये एक माननीय पद पे भी है और उसका शीर्षक भी है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाघ ने हमेशा पूर्वी एशिया में सिंहासन पर कब्जा कर के अपना सिक्का जमा लिया। वहीं अशोक स्तंभ के ऊपर बैठे शेर, मुगलों से जुड़े थे। यह शाही अंग्रेजों का प्रतीक भी था।
जिसके कारण पहले हमने शेर को अपना राष्ट्रीय पशु माना था लेकिन १९७२ में बाघ को उसकी चतुराई के लिए भारत का राष्ट्रिय पशु मान लिया गया है. यह कोई कही हुई बात नहीं बल्कि वैज्ञानिक द्वारा सिद्ध की हुई बात है.
शेर को मुग़ल के काल से ही भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता था और वहीं ये अशोक द्वारा स्थापित स्तम्भ में भी अपनी जगह बना चुके हैं. जिसके कारन शेर को अपना राष्ट्रीय पशु माना गया था. लेकिन भारत के स्वतंत्रता के कुछ सालों बाद बाघ को नेशनल एनिमल घोषित कर दिया गया था.
शेर की जगह बाघ को राष्ट्रीय पशु बनाने की खास बजह यह थी की शेर केवल गुजरात के जंगल पे अपना राज्य बनाये हुए था वही बाघ ने भारत के १६ राज्यों में अपना राज्य बनाया हुआ है. और ताकत, बुद्धि, फुर्ती और भी कई चीजों में बाघ शेर से ज्यादा तेज है जिसे वैज्ञानिक भी साबित कर चुके हैं. (Tiger se pahle india ka national animal kon tha | टाइगर से पहले कौन था भारत का राष्ट्रिय जानवर)