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नीम करौली बाबा कौन हैं !!
नीम करौली बाबा जी एक महान गुरु थे जिन्हे हिन्दू धर्म में बहुत माना जाता है. कुछ लोग इन्हे नीम करोरी बाबा के रूप में भी जानते हैं. इन्हे इनके श्रद्धालु महाराज जी कह के पुकारते हैं. ये भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे. ये भारत में ही नहीं बल्कि बाहर के देशो में भी काफी प्रशिद्ध हैं. ये कई श्रद्धालुओं के गुरु रह चुके हैं. इनके अमेरिका में भी बहुत सारे श्रद्धालु हैं. इनके कई स्थानों में आश्रम हैं जैसे की वृन्दावन, ऋषिकेश, शिमला, कैंची आदि. इनका मुख्य मंदिर नीब करोरी में है जो की एक गांव है उत्तर प्रदेश में. ये गांव खिमसेपुर, फर्रुखाबाद में आता है.
नीम करौली बाबा की जीवनी | Neem Karoli Baba Biography in Hindi !!
असली नाम: लक्ष्मी नारायण शर्मा
उपनाम: महाराज जी
व्यवसाय: हिंदू गुरु, रहस्यवादी, और हिंदू देवता हनुमान के भक्त
जन्मदिन: 11 सितम्बर 1900
जन्मस्थान: गांव अकबरपुर, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
उम्र: 11 सितम्बर 1900 से 11 सितम्बर 1973 तक
मृत्यु तारीख: 11 सितम्बर १९७३
मृत्यु का कारण: कोमा
मृत्यु स्थान: वृन्दावन
राशि: कन्या
घर: गांव अकबरपुर, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता: भारतीय
धर्म: हिन्दू
जाति: ब्राह्मण
नीम करौली बाबा की शिक्षा | Neem Karoli Baba Education !!
स्कूल: पता नहीं
कॉलेज: पता नहीं
शैक्षिक योग्यता: पता नहीं
नीम करौली बाबा का परिवार | Neem Karoli Baba Family !!
पिता: जानकारी नहीं
माता: जानकारी नहीं
भाई: जानकारी नहीं
बहन: जानकारी नहीं
वैवाहिक स्थिति: शादीशुदा
पत्नी: नहीं पता
शादी की तारिख: 1911
बच्चे: अनेग सिंह शर्मा, धर्म नारायण शर्मा (बेटे), गिरिजा (बेटी)
दामाद: जगदीश भटेले
नीम करौली बाबा की कुल सम्पत्ति !!
नहीं पता
नीम करौली बाबा के हस्ताक्षर !!
नीम करौली बाबा का इतिहास | Neem Karoli Baba History in Hindi !!
इनका जन्म 11 सितम्बर 1900 में गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ. इनका परिवार एक ब्राह्मण परिवार था. इनकी शादी मात्र 11 वर्ष की आयु में करा दी गयी थी. जिसके बाद इन्होने साधु बनने का फैसला किया. बाद में जब इनके पिता ने इन्हे समझाया तब ये घर बापस आये और अपना सांसारिक धर्म पूर्ण किया। इनके दो बेटे और एक बेटी थी.
इनकी मान्यता के अनुसार एक कहानी है जिसे सुन के लोगों के मन में इनके प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है. दरसल बात 1958 की है जब ये और बाबा लक्सम दास बिना टिकट के ट्रैन में सवारी कर रहे थे. तभी वहां ट्रैन का टिकट कंडक्टर आया और इनसे टिकट मांगी लेकिन इनके पास टिकट नहीं थी तो उसने इन्हे ट्रैन से उतरने को कहा और जहां उतरने को कहा वो स्थान नीब करोरी गांव था जो जिला फर्रुखाबाद में पड़ता है.
जब उन्हें ट्रैन से उतार दिया गया तो कडंक्टर क्या देखता है की ट्रैन दोबारा चल ही नहीं पा रही. काफी प्रयास किये गए लेकिन ट्रैन नहीं चली तो सबने कंडक्टर से बाबा जी को दोबारा से ट्रैन में बिठाने को कहा और तब कंडकटर को अपनी गलती समझ आयी और उन्होंने बाबा को ट्रैन में बैठने का आग्रह किया लेकिन बाबा नहीं माने जब सबने अधिक बोला तो उन्होंने कहा ठीक है लेकिन इसी स्थान पे पहले रेलवे को स्टेशन बनवाना पड़ेगा। तब ये ही मै बैठूंगा तब सभी ने वादा किया और बाबा ट्रैन में बैठे तो ट्रैन चली दी.
उसके बाद वहां बाबा का भव्य मंदिर भी बनवाया गया और रेलवे द्वारा वहां स्टेशन का भी निर्माण हुआ. जो नीब करोरी के नाम से जाना जाता है.
नीम करौली बाबा के रोचक तथ्य | Neem Karoli Baba Facts in Hindi !!
# इन्होने जब गुजरात के ववाणीया मोरबी में तपस्या की तब इन्हे वहां के लोग तल्लैया बाबा कहने लगे थे.
# वृन्दावन के निवासी इन्हे चमत्कारी बाबा कह के पुकारते हैं.
# इन्हे और भी नाम दिए जा चुके हैं जैसे की हांडी वाले बाबा, लक्ष्मण दास, आदि.
# ये अधिकतर लकड़ी के तखत पे बैठना पसंद करते थे और अधिकतर ये दो रंग का कंबल ओढ़ते थे. ये लोगों को प्रशाद दिया करते थे और इनके पास आये लोग दोबारा यहां जरूर आते थे क्यूंकि ये उनके साथ लतीफे करते थे और हस्ते थे जो लोगों को श्रद्धा के अलावा इनके स्वाभाव से भी मोहित करता था.
# कभी कभी ये बिलकुल शांत हो जाते थे और ध्यान लगा लेते थे चाहे उस समय उनके भक्त हो या न हो.
# बात कुछ 1973 की है जब इनके एक भक्त योगेश बहुगुणा ने 8 संतरे लिए जिन्हे वो बाबा जी को बार बार खाने का आग्रह कर रहे थे लेकिन कुछ ही पल में बाबा जी ने उन फल को अपने बाकि भक्तों और कार्यकर्ताओं के बीच बाट दिया जिसे देख योगेश जी चकित हो गए क्यूंकि वो फल केवल 8 थे और कुछ ही पल में वो 18 को गए थे.
# 1960 से 1970 में इनकी पहचान बाहर के राष्ट्रों में भी हो गयी.
# इन्हें भगवान हनुमान से सिद्धि प्राप्त थी ऐसा माना जाता है और ये समय समय पे अपने चमत्कार दिखाते रहते थे.
# ये सामाजिक दुनिया से बिलकुल हट चुके थे और जिस किसी को भी कोई परेशानी होती थी तो ये उसे दूर करने की कोशिश करते थे.
# रिचर्ड एल्पेर्ट अमेरिकी दवाओं के बड़े व्यापारी थे, लेकिन जब उनकी मुलाकात बाबाजी से हुई, उसके बाद वह पूरी तरह से बदल गए और बाबा रामदास के नाम से शिक्षक बन गए।
# सितम्बर 1973 में उसकी छाती में अचानक दर्द हुआ. तो इन्होने वृन्दावन के अस्पताल ले जाने को कहा जहां डॉक्टर ने बताया की इन्हे डायबिटिक कोमा हुआ है लेकिन बाबा जी ने कई बार गंगा जल की मांग की जिसके बाद उन्होंने रात 1:15 पे अपने प्राण छोड़ दिए शांति से.
# इनकी समाधि स्थल वृन्दावन आश्रम में स्थित है.
# इनका नीब करोरी में भी भव्य मंदिर बना है जिसमे एक स्थान पे इन्होने साधना की थी वो मिटटी का बना है. जहां मान्यता है की कुछ मान्यता मांग के यदि वहां धागा बांधा जाये तो मान्यता पूरी हो जाती है.
Thank you for the information . Very interesting.