नमस्कार दोस्तों…. आज हम आपको “VAT और CST” के बारे में बताने जा रहे हैं. अधिकतर मैन्युफैक्चरर या ट्रेडर ये जरूर जानना चाहते हैं कि Value Added Tax (VAT) और Central Sales Tax (CST) क्या है, और इनमे क्या अंतर हैं और ये कब लगाए जाते हैं. वैसे तो ये अब कोई अस्तित्व नहीं रखते हैं क्यूंकि इनके स्थान पे GST नामक एक कर लगाया जाने लगा है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए आज हम आपको इन दोनों के विषय में अवश्य बताएंगे। सीधे शब्दों में, VAT को इंट्रा-स्टेट ट्रेड पर लगाया जाना है, जबकि CST को अंतर-राज्य व्यापार पर लगाया जाता है।
सूची
VAT क्या है | What is VAT in Hindi !!
VAT का पूरा नाम Value-added tax है, जिसे हिंदी में “मूल्य वर्धित कर” कहा जाता है. ये वो टैक्स था जिसे उत्पादन के दौरान अप्रत्यक्ष तरीके से लगाया जाता था. इसे अप्रत्यक्ष कर इसलिए कहा जाता था, क्यूंकि ये विक्रेताओं द्वारा अपने ग्राहकों से बसूला जाता था और उसके बाद ये कर विक्रेता सरकार को देते थे. भारत में अलग अलग सामान पे अलग अलग % में कर लिया जाता था. अधिकतर सामान को चार सूचियों में रखा गया था, और इनपे 1% से 15% में किसी भी दर का कर लगाया जाता था. व्यापारियों या निर्माताओं को वैट पंजीकरण के लिए आवेदन करना आवश्यक होता था.
CST क्या है | What is CST in Hindi !!
CST का पूरा नाम “Central Sales Tax” है, जो कि एक अप्रत्यक्ष कर है, जिसे अंतरराज्यीय बिक्री पे लगाया जाता है. इसे किसी भी सामान के उत्पादन या उसकी खरीद पे तब तक नहीं लगाया जाता है जब वो किसी दूसरे राज्य में बिक्री के लिए न जाये. ये कर तब ही लगाया जाता है जब कोई निर्माता दूसरे राज्य से सामान लेने का फैसला करता है, तो CST लगाया जाता है.
Difference between VAT and CST in Hindi | VAT और CST में क्या अंतर है !!
# VAT आयातित वस्तुओं के साथ-साथ देश के भीतर निर्मित वस्तुओं पर भी लागू होता है और CST भी VAT के साथ आयातित वस्तुओं पे लगाया जाता है. ये कर दूसरे राज्य में आयातित वस्तुओं पे लगता है.
# VAT के लिए हर विक्रेता को पंजीकरण कराना आवश्यक था और उन्हें माह की एक निश्चित तारीख तक VAT भुगतान करना होता था और ये कर विक्रेता ग्राहकों से बसूलते थे और वही बाद में सरकार को VAT के रूप में चुकाते थे. और CST भी VAT के साथ ही विक्रेता को चुकाना होता था समान तारीख को.
# दोनों कर एक राज्य वाणिज्यिक कर विभाग के द्वारा लिया जाता था.
# VAT सामानो पे कोई भी रियायत नहीं देता था और इसमें सभी सामानो पे लगाया गया VAT राज्य द्वारा अलग अलग दर का भी हो सकता था जबकि CST में करों पे कुछ रियायत दी जाती थी.
# VAT सभी जगह लगाया गया कर था जबकि CST केवल एक से दूसरे राज्य के आयातित वस्तुओं पे था.
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