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Synchronous Transmission और Asynchronous Transmission में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Synchronous और Asynchronous Transmission” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “Synchronous और Asynchronous Transmission क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि हम जानते हैं कि सीरियल ट्रांसमिशन में डाटा बिट के फॉर्म में एक के बाद एक सेंड होता है और एक दूसरे का अनुसरण भी करता है. ये दो प्रकार के होते हैं पहला Synchronous Transmission और दूसरा Asynchronous Transmission. इन दोनों अर्थात “Synchronous और Asynchronous Transmission” में मुख्य अन्तर यह है कि Synchronous Transmission में sender और receiver के पास डेटा ट्रांसमिशन से पहले सिंक्रोनाइज़्ड क्लॉक होनी चाहिए जबकि Asynchronous Transmission में क्लॉक की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यह ट्रांसमिशन से पहले डेटा में एक parity bit जोड़ता है। आज हम आपको इन्ही के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक।

Synchronous Transmission क्या है | What is Synchronous Transmission in Hindi !!

Synchronous Transmission क्या है | What is Synchronous Transmission in Hindi !!

पहले हम बात करते हैं Synchronous Transmission की, इसमें डाटा ब्लॉक या फ़्रेम के रूप में full duplex mode में प्रवाहित होते है। इसमें sender और receiver के मध्य Synchronization बनाना जरूरी होता है क्यूंकि उसी से sender को पता चल पाता है कि नई बाइट कहाँ से शुरू होती है (क्योंकि यहाँ डेटा के बीच में कोई अंतर नहीं होता है)।

ये एक बड़ी मात्रा में डेटा को ट्रांसफर करने के लिए सबसे कुशल और विश्वसनीय होता है. ये सभी जुड़े उपकरणों जैसे: चैट रूम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीफोन पर बातचीत, साथ ही साथ आमने-सामने बातचीत को real-time communication प्रदान करता है.

Asynchronous Transmission क्या है | What is Asynchronous Transmission in Hindi !!

Asynchronous Transmission क्या है | What is Asynchronous Transmission in Hindi !!

यदि बात Asynchronous Transmission की करें तो इसमें एक समय में half duplex mode में, 1 byte या एक character के रूप प्रवाहित होता है. ये डाटा को बाइट की continuous stream के रूप में transmit करता है. आमतौर पर, इसमें भेजे गए character का साइज 8 bits का होता है जिसमे एक parity bit को जोड़ दिया जाता है. जो शुरुआत और अंत में जोड़ा जाता है जिससे इनका साइज बढ़कर कुल 10 बिट हो जाता है. ये synchronization के लिए क्लॉक का प्रयोग नहीं करता है इसकी जगह ये parity bits का प्रयोग करता है जिससे रिसीवर को पता लग जाता है कि डाटा को किस प्रकार interpret किया गया है.

ये एक आसान और सस्ता तरीका है लेकिन इसमें 2-way communication की अनिवार्यता नहीं होती है. इसके उदाहरण: Letters, emails, forums, televisions और radios हैं.

Difference between Synchronous and Asynchronous Transmission in Hindi !!

# Synchronous Transmission, Asynchronous Transmission की अपेक्षा अधिक कुशल है.

# Asynchronous Transmission में डाटा ट्रांसफर synchronous transmission की अपेक्षा धीमी गति से होता है.

# Synchronous Transmission में sender और receiver के पास डेटा ट्रांसमिशन से पहले सिंक्रोनाइज़्ड क्लॉक होनी चाहिए जबकि Asynchronous Transmission में क्लॉक की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यह ट्रांसमिशन से पहले डेटा में एक parity bit जोड़ता है।

# Asynchronous Transmission में डेटा को एक बार में 1 बाइट ही प्रसारित करता है जबकि Synchronous Transmission में डाटा को फ्रेम के रूप में ट्रांसफर करते हैं.

आपको हमारी जानकारी कैसी लगी हमे अवश्य बताएं साथ ही यदि कोई सवाल या सुझाव भी हो तो वो भी आप हमे बता सकते हैं. धन्यवाद !!

Ankita Shukla

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