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Difference between Shia and Sunni in Hindi | शिया और सुन्नी में क्या अंतर है !!
नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “शिया और सुन्नी” के विषय में बताने जा रहे हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि शिया और सुन्नी दो अलग अलग समुदायों के मुसलमान हैं और दोनों अलग अलग विचारधारा के स्वामी है. कहा जाता है कि इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद, सन 632 में, इस्लाम के उत्तराधिकारी के पद को लेके एक लड़ाई छिड़ गयी और जिसके बाद ये दो अलग अलग समुदाय में बट गए.
शिया का मानना है कि मुहम्मद साहब ने अपने चचेरे भाई और दामाद अली को इस्लाम का वारिस बनाया था और वहीं दूसरी तरफ सुन्नी का मानना ये है कि मुहम्मद साहब ने सिर्फ़ हज़रत अली का ध्यान रखने को कहा था और असली वारिस अबू बकर को होना चाहिए था। इससे ये अर्थ निकाला गया था कि जितने भी लोग अली के उत्तराधिकार के समर्थक हैं उन्हें शिया कहा गया और जो अबू बकर के नेता बनाने के समर्थन में थे उन्हें सुन्नी मान किया गया.
शिया क्या है | What is Shia in Hindi !!
जितना की इस्लामी इतिहास बताता है उसके अनुसार शिया एक राजनीतिक समूह के रूप में थे, जिन्हे शियत अली’ यानी अली की पार्टी माना जाता था. शिया के लोगों का मानना है कि मुसलमानों का नेतृत्व करने का अधिकार अली और उनके वंशजों का ही है और होना भी चाहिए. अली पैग़ंबर मोहम्मद के दामाद थे. मुसलमान का नेता किसको बनना चाहिए इस बात को लेके होने वाले संघर्ष में अली मारे गए और उसके बाद उनके पुत्र हुसैन और हसन ने भी इसी बात को लेके संघर्ष किया। जिसमे हुसैन की मौत युद्ध के दौरान हो गयी थी और हसन को जहर दे दिया गया था. इस कारण ही शिया में शहादत और मातम को मनाया जाता है.
सुन्नी क्या है | What is Sunni in Hindi !!
सुन्नी मुसलमान के दूसरे समुदाय के लोग हैं जो खुद को इस्लाम की सबसे धर्मनिष्ठ और पारंपरिक शाखा का हिस्सा मानते हैं. सुन्नी शब्द की उत्तपत्ति ‘अहल अल-सुन्ना’ से हुई है, जिसका अर्थ परम्परा को मानना और अपने कर्तब्य को निभाना है. परम्परा का अर्थ यहाँ पे ऐसी रिवाजों से है जो पैग़ंबर मोहम्मद और उनके क़रीबियों के व्यवहार या दृष्टांत को दर्शाती है.
सुन्नी समुदाय के लोग उन सभी पैगंबरों को मानते हैं, जिनका जिक्र कुरान में हुआ है. और इनके अंतिम पैगंबर मोहम्मद जी थे. और इसके बाद आये सभी मुस्लिम नेताओं को सांसारिक शख़्सियत के रूप में ही माना जाता है. माना जाता है कि शिया की अपेक्षा सुन्नी धार्मिक शिक्षक और नेता ऐतिहासिक रूप से सरकारी नियंत्रण में ही सदैव पाए गए हैं.
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