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नरम दल और गरम दल में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “नरम दल और गरम दल” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “नरम दल और गरम दल क्या है और इनमे क्या अंतर है?”. दोनों ही भारत की स्वतंत्रता से पहले गठित पार्टियां हैं. जिसमे गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक और नरम दल का नेतृत्व मोती लाल नेहरू करते थे. इन दो पार्टियों का गठन दोनों नेताओं के बीच के मतभेद के कारण हुआ. क्यूंकि उससे पहले ये दोनों पार्टियां एक थी. आज हम आपको इसी के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

नरम दल क्या है | What is Naram Dal in Hindi !!

नरम दल का गठन भारत की स्वंत्रता से पहले कांग्रेस पार्टी के दो खेमों में विभाजित होने के कारण हुआ, जिसमे जिस खेमे का नेतृत्व मोती लाल नेहरू कर रहे थे वो खेमा नरम दल कहलाया। जब सरकार को बनाने को लेके कांग्रेस के सदस्यों के मन में मतभेद उत्त्पन्न हुआ, तो पार्टी का विभाजन दो हिस्सों में हो गया.

जिसमे एक का नाम नरम दल पड़ा और दूसरे का नाम गरम दल, जिसे गंगाधर तिलक समर्थन कर रहे थे.

ऐसा मतभेद उत्त्पन्न होने का कारण यह था, कि मोती लाल नेहरू चाहते थे, कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ कोई मिलकर संयोजक सरकार बनाये। जो बात गंगाधर तिलक को नहीं भाई. जिसके कारण दो दल का निर्माण हो गया.

गरम दल क्या है | What is Garam Dal in Hindi !!

जहाँ एक दल का नाम नरम दल पड़ा, तो वहीं दूसरा दल गंगाधर तिलक ने बनाया, जिसे गरम दल नाम दिया गया. गंगाधर तिलक का मानना था कि यदि अंग्रेजों के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे तो ये भारत के साथ फिर धोखा होगा. ये वंदे मातरम का नारा लगाते थे. जो मोतीलाल नेहरू को पसंद नहीं था, क्यूंकि इससे भारतियों के मन में उनके देश के लिए प्रेम जाग सकता है. जबकि मोतीलाल नेहरू बस अंग्रेजों के आगे पीछे घूमने और उनकी चापलूसी करने वालों में से थे.

पहले गंगाधर तिलक और मोतीलाल नेहरू दोनों ही कांग्रेस का हिस्सा थे, लेकिन जब मोतीलाल नेहरू का प्रस्ताव अंग्रेजो के हित में देखा तो गंगाधर तिलक ने इसका विरोध किया और जब दोनों में सुलाह नहीं हुई, तो गंगाधर तिलक ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया. जिसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया जिसका नाम गरम दल पड़ा.

Difference between Naram dal and Garam dal in Hindi | नरम दल और गरम दल में क्या अंतर है !!

# दोनों ही कांग्रेस के विभाजन से बने दल थे, जिसमे एक का नाम नरम दल और दूसरे का नाम गरम दल था.

नरम दल का नेतृत्व मोती लाल नेहरू करते थे और गरम दल का नेतृत्व लोकमान्य तिलक करते थे.

# गरम दल के नेता लोकमान्य तिलक एक क्रन्तिकारी की तरह थे, जो हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे वहीं दूसरी ओर नरम दल के नेता मोती लाल नेहरू थे, जो अंग्रेजों का समर्थन करते थे.

# नरम दल के लोग अंग्रेजों के साथ रहना, उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना, हर समय अंग्रेज़ों से समझौते में रहते थे जबकि गरम दल के लोग अंग्रेजों को पसंद भी नहीं करते थे.

# वन्दे मातरम अंग्रेजों को बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए गरम दल वाले वन्दे मातरम गाते थे जबकि नरम दल वाले गरम दल को चिढ़ाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत “जन गण मन” गाया करते थे

नरम दल वाले अंग्रेजों के चमचे थे, इसलिए उन्होंने मुस्लिम के मन में ये बात डाल दी कि उन्हें वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। जिस कारण मुस्लिम ने वंदे मातरम गाना छोड़ दिया था. उस दौरान मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे.

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Ankita Shukla

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