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नैना देवी मंदिर परिचय !!
दोस्तों नमस्कार, आज के आलेख में हम आपको भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जिले के एक बहुत ही पवित्र स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के अंदर नैनीताल जिले में उच्च कोटि के महा ज्ञानी शक्ति धर्मो का जन्म स्थान नैना देवी माता का पवित्र मंदिर बना हुआ है। भारत के अंदर सबसे प्रसिद्ध मुख्य शक्तिपीठों में से नैना देवी माता का मंदिर एक है । नैना देवी माता का मंदिर का संपूर्ण वर्णन कुशनकाल में मिलता है । सन 1880 के अंदर पहाड़ों में भूस्खलन के कारण मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था।
नैना देवी मंदिर स्थापना !!
इसके बाद में इसका निर्माण फिर से करवाया गया | माता नैना के इस मंदीर में माँ सटी की भी पूजा की जाती है । इस मंदिर के अंदर नैना देवी माता की मूर्ति की स्थापना सन 1842 के अंदर की गई थी। यह स्थापना भक्त मोती राम शाह द्वारा की गई थी । नैना माता का यह मंदीर नैना झील के उत्तरी किनारे पर बना हुआ है । यहाँ की सबसे विशेष बात तो यह है कि नैना माता के मंदिर में माता की पूरी बड़ी मूर्ति नहीं है अर्थात इनके सिर्फ दो नयन विराजमान हैं | मंदिर के अंदर इनके दो नैनो की ही पूजा की जाती है । नैना माता के इस मंदिर में भक्त दूर दूर से चलकर माता की पूजा के लिए आते हैं। नैना माता के मंदिर के विशाल प्रांगण में बहुत सारे अलग-अलग प्रजातियों के फूल लगे हुए हैं जो किस मंदिर की शोभा को रंगीन बना देते हैं। नैना माता के इस मंदिर में नंदा अष्टमी के दिन( एक भारतीय हिंदू धर्म दिवस) एक बहुत ही बड़े मेले का आयोजन किया जाता है । इस मेले का आयोजन लगातार 8 दिन तक चलता है । नैना माता को नंदा देवी की बहन भी कहा जाता है तथा नंदा देवी की बहन नैना देवी की मूर्ति का विसर्जन किसी ने ली वाले दिन के आयोजन में किया जाता है। नैना माता के मंदिर में इन सबके अलावा खास बात की है कि मां के दोनों नैनों की पूजा एक पिंडी के रूप में की जाती है । अगर आप मंदिर में कभी भी घूमने जाए तो आपको मंदिर में से लिखने वाले नैनीताल की खूबसूरत दृश्य और नैनी झील का खूबसूरत दृश्य देखना नहीं भूलना चाहिए ।
उत्तराखंड के इस नैनीताल मैं बनी नैना माता के मंदिर पर अगर आपको जाना हो तो सबसे पहले आपको नैनीताल के बस स्टैंड पहुंचना पड़ेगा । नैनीताल बस स्टैंड से नैना माता के मंदिर की दूरी तकरीबन 2 से 3 किलोमीटर के बीच में हैं । कहने का मतलब आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 से 4 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी । बस स्टैंड पर आपको रिक्शा मिल जाएगा । जो आपको मंदिर तक तकरीबन 9 से 12 मिनट के अंदर अंदर पहुंचा देगा । यहां की यह बड़ी खासियत है कि और घूमने वाले स्थानों की तरह यहां पर कोई घूमने का शुल्क नहीं लिया जाता । मंदिर के प्रातः खुलने का समय 6:00 बजे होता है तथा साइको बंद होने कासमय 10:00 बजे रहता है।
नैना देवी मंदिर का इतिहास | Naina Devi Temple History in Hindi !!
दोस्तों हर पवित्र स्थल के पीछे उसका बहुत बड़ा इतिहास छुपा होता है या फिर उसका शास्त्रों में वर्णन दिया होता है। इन दोनों चीजों की वजह से यह स्थल इतना मशहूर और इतना प्रसिद्ध बनता है। माता नैना देवी के इस मंदिर के पीछे भी एक बहुत बड़ा इतिहास छुपा हुआ है। इसके पीछे एक लोककथा भी है जो कि हमारे हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से जुड़ी हुई है। भारत के अंदर हिंदू ग्रंथ के अंदर भी नैना माता के इस मंदिर का ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के मुताबिक दक्ष प्रजापति की पुत्री उमा प्रजापति का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। भगवान शिव को दक्ष प्रजापति बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे वे नहीं चाहते थे कि उनकी पुत्री का पति शिव बने। दक्ष प्रजापति ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे कि जिस में शिव भगवान शिव की बेइज्जती ना की जाए। एक बार की बात है दक्ष प्रजापति ने अपने घर पर एक महान यज्ञ रखा तथा उसे यज्ञ के अंदर सभी देवताओं गणों को आमंत्रित किया परंतु भगवान शिव व अपनी पुत्री उमा को उन्होंने नहीं आमंत्रित किया। यह पता लगते ही उनकी पुत्री उमा प्रजापति ने यज्ञ में सभी देवता गणों को पाकर अपने में अपने पति का बहुत ज्यादा अपमान देखा
। और वह उस यज्ञ को भंग करने के लिए उस यज्ञ के अग्नि कुंड में कूद गई और मृत्यु को प्राप्त हो गई। यह सब सुनकर भगवान शिव बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए थे। भगवान शिव के क्रोध को देखकर सभी देवताओं गणों ने सोचा कि भगवान शिव हो सकता है प्रलय ना कर दे | इससे भयभीत होकर सभी देवताओं और दक्ष प्रजापति ने मिलकर भगवान शिव से माफी मांगी | इतना सब होने के बाद भगवान शिव अपनी पत्नी की जला हुआ शरीर लेकर अकाश गंगा में घूमने लगे। जले हुए शरीर के अंदर से जहां जहां पर माता के अंग पड़े वहां वहां पर इनके पीठ
बन गए जिन्हें आज शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है | जहां पर माता के दोनों नयन पड़े वहां पर आज नैनीताल जिला है और प्रमुख स्थान को माता नैना देवी का मंदिर बना दिया गया। इन सब के साथ एक मान्यता और भी है कि जहां पर है माता के आंसुओं की बूंदे गिरी थी उस स्थान को एक ताल बना दिया गया बस तभी से इस जिले का नाम नैनीताल पड़ गया।
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Naina Devi Temple timings
6:00 AM – 10:00 PM
नैना देवी मंदिर फोटो | Naina Devi Temple Images !!