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LC और BG में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों। ….. आज हम आपको दो कॉन्ट्रैक्ट और फाइनेंस के बारे में बताने जा रहे हैं. आज का आलेख हमारा “LC और BG अर्थात Letter of Credit और Bank Guarantee क्या है और इनमे क्या अंतर होता है” पे बेस्ड है. दोस्तों ये दोनों नॉन फण्ड बेस्ड क्रेडिट फैसिलिटी होती हैं. जो एक बैंक अधिकतर ट्रेडिंग फाइनेंस के अंदर देता है. कुछ लोग दोनों को एक सा ही इंस्ट्रूमेंट समझने लगते हैं जबकि ये बहुत अलग अलग होते हैं और अलग अलग जगहों पे इस्तेमाल किये जाते हैं.

दोस्तों हम अपने ब्लॉग में जितने भी जबाब लेके आते हैं वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नो के जबाब हैं. जो हमे तब पता चल पाते हैं जब हमारे पाठक हमे वेबसाइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के इनके जबाब पूछते हैं. हम उन सवाल का जबाब अवश्य लेके आते हैं. लेकिन कभी कभी हमे थोड़ा विलम्ब हो जाता है लेकिन आप लोगों द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर हम आपको देने की पूरी कोशिश करते हैं. तो यदि आप लोगों के मन में कोई सवाल हो तो आप भी कमेंट बॉक्स के जरिये हमसे पूछ सकते हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

बैंक गारंटी (BG) क्या है | What is BG/Bank Guarantee in Hindi !!

जब एक buyer और seller एक एग्रीमेंट पे आते हैं जिसमे seller buyer को सामान भी बेच सकता है, कोई कॉन्ट्रैक्ट के जरिये उसके साथ काम करना चाह रहा हो, या एक कांट्रेक्टर और टेंडरिंग एजेंसी का भी एग्रीमेंट हो सकता है. इस हालत में seller buyer से परफॉरमेंस गारंटी मांगता है कि यदि वो दोनों साथ में काम करेंगे और उसमे यदि buyer द्वारा कोई गलती होती है, तो seller उसका मुआबजा buyer की परफॉरमेंस गारंटी से लेगा. और इस केस में buyer एक बैंक से रिक्वेस्ट करेगा कि वो इस बात की गारंटी ले कि यदि buyer द्वारा कोई गलती होती है तो बैंक उसका मुआबजा सेलर को देगा। तो इस केस में जो बैंक गारंटी देता है उसे बैंक गारंटी कहते हैं.

साख पत्र (LC) क्या है | What is Letter of Credit in Hindi !!

जब दो लोग इंटरनेशनल ट्रेड के अंदर कोई एग्रीमेंट पे काम करते हैं जिसमे buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं. अधिकतर ये एक्सपोर्टर और इम्पोर्टर के टर्म में उपयोग किया जाता है जिसमे seller buyer से गारंटी के रूप में Letter of Credit मांगता है. इस केस में buyer, issuing bank (buyer’s bank) से रिक्वेस्ट करता है लेटर ऑफ़ क्रेडिट की. और जब issuing bank buyer की रिक्वेस्ट मान लेती है, तो वो advising bank जो की seller की बैंक होती है उसके पास लेटर ऑफ़ क्रेडिट भेज देती है. फिर advising bank लेटर ऑफ़ क्रेडिट (साख पत्र) सेलर को भेजता है जिससे सेलर संतुष्ट हो जाता है कि buyer  अब business को लेके सीरियस है. और फिर सेलर buyer को goods सप्लाई कर देता है. इस हाल में advising bank, seller को उसका पैसा देती है और issuing bank, advising bank को पेमेंट करती है और buyer, issuing बैंक को पेमेंट करता है.

Difference between LC and BG in Hindi | LC और BG में क्या अंतर है !!

# बैंक गारंटी एक प्रकार का प्रॉमिस होता है बैंक की तरफ से सेलर को कि यदि buyer की तरफ से कोई त्रुटि होगी तो seller को उसका उतना मुआबजा दिया जायेगा. जबकि लेटर ऑफ़ क्रेडिट में एक विश्वास पत्र होता है जो बैंक सेलर को देती है कि उस पत्र पे लिखा पैसा सेलर को हर हालत में बैंक देगी.

# बैंक गारंटी एक तरह से इन्शुरन्स की तरह काम करता है और loss को reduce करता है लेकिन यदि buyer काम बीच में छोड़ देता है तो बैंक केवल रिकवरी का पैसा ही देगी पूरा नहीं. जबकि लेटर ऑफ़ क्रेडिट में पूरी पेमेंट इसी लेटर के जरिये होती है जिसमे buyer से नुकसान खाने जैसी कोई समस्या नहीं होती है और ये एक surety होती है सेलर के लिए.

# बैंक गारंटी का अधिकतर प्रयोग ट्रेडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर के कॉन्ट्रैक्ट में होता है जबकि लेटर ऑफ़ क्रेडिट इंटरनेशनल ट्रेड में प्रयोग होता है जिसमे buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं.

# बैंक गारंटी डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों हो सकती है और इसमें buyer और seller एक दूसरे को जानते होते हैं जबकि लेटर ऑफ़ क्रेडिट में buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं और ये इंटरनेशनल कॉन्ट्रैक्ट के लिए ही प्रयोग किया जाता है.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

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