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किन्नर कैलाश का इतिहास !!

किन्नर कैलाश परिचय !!

दोस्तों नमस्कार , आज के आलेख में हम आपसे किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला के बारे में बातें करेंगे | किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला भारत के हिमाचल प्रदेश किन्नौर जिले में जो तिब्बत सीमा है उसके ठीक पास में तकरीबन 6050 मीटर ऊंचा बना हुआ है। जिसका हिंदू मान्यता के अनुसार आस्था रखने वाले लोगों में बहुत ही ज्यादा विशेष धार्मिक महत्व पाया जाता है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता तो यही है कि इस की चोटी पर एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है | किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला पर पूरी दुनिया भर के हजारों से भी ज्यादा पर्यटक यहां हर साल अपनी छुट्टियों का आनंद लेने आते हैं । किन्नर कैलाश पर्वत श्रृंखला में जो परिक्रमा होती है वह आस्था रखने वाले हिंदुओं के लिए हिमालय पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में से एक माना जाता है । दुनिया भर से आये यहां पर पर्यटक अपने मनोरंजन होना चुनौती भरे रोमांच के लिए पहाड़ों पर ट्रैकिंग भी करते हैं। किन्नौर कैलाश पर्वत मंदिर की श्रंखला हिमाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बनी हुई है जो कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है |

किन्नर कैलाश : धर्म से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य !!

हिमालय पर्वत पर बनी यह श्रृंखला हिंदू पुरातत्व आस्था के साथ साथ हिंदू समाज की पौराणिक कथाओं में भी अपना बहुत महत्व रखती है । आपको एक और बात बता दें कि किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला उद्गम स्थल है जहां से हमारी पवित्र नदी गंगा का उद्गम होता है। एक और तस्वीर घाटी है जिसे देवताओं की घाटी कहा जाता है इसी घाटी के नजदीक में पड़ती है। सबसे ज्यादा आश्चर्य कर देने वाली बात तो यह है कि यहां पर तकरीबन 350 से भी ज्यादा देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं। इन सब मंदिरों के अलावा भी अमरनाथ और मानसरोवर झील भी किन्नर पर्वत श्रंखला पर स्थित है । हिंदू धर्म के अलावा भी धर्म की दृष्टि से देखा जाए तो किन्नर पर्वत श्रंखला सिख और बौद्ध धर्म के लिए भी बहुत बड़ा महत्व रखता है | एक दिलचस्प बात यह भी है कि दुनिया का सबसे बड़ा स्नोफिल्ड (यानी कि जिसे हम बर्फ से बनी सड़क कहते हैं ) माना जाता है | यह स्नोफील्ड तकरीबन 45000 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है ।

किन्नर कैलाश : शास्त्रों में महत्व !!

किन्नर कैलाश पर्वत का प्राचीन शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है | जहां पर इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है । अगर आपने भगवत गीता पढ़ी है तो तो उसने भी किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला का वर्णन किया गया है | जिसके अंदर भगवान श्री कृष्ण ने हिमालय पर्वत श्रंखला को अपना घर बताते हुए कहा है कि ” मेरा निवास पर्वतों के राजा हिमालय में है ” । उक्त लाइन का अनुवाद भगवत गीता के अंदर स्पष्ट रूप से किया गया है। हिमाचल पर्वत की इस श्रंखला को देवभूमि भी कहा जाता है | क्योंकि किस पर्वत श्रृंखला कौ हिंदू धर्म के लोग अपने देवताओं के सबसे करीबी स्थान का दर्जा देते हैं |

किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला की परिभ्रमण !!

सन 1993 से पहले पर्वत श्रंखला का भ्रमण करना अर्थात यहां पर पर्यटकों का आना पूर्ण रूप से निषेध था । परंतु सन 1993 के बाद से पर्वत श्रंखला की घुमाई के लिए यह क्षेत्र आने वाले पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था | जोकि पर्वत श्रंखला के नीचे से 19849 फुट की ऊंचाई पर बना हुआ है। वहां पर एक 79 फुट ऊंचा भगवान शिव का शिवलिंग बना हुआ है | इसका आकार एक पत्थर नुमा है | परंतु यह देखने में बिलकुल शिवलिंग के जैसा लगता है | इसकी खास बात यह है कि इसको हिंदू धर्म के लोगों को यह द्वारा पूजने के साथ साथ बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा भी समान रूप से पूजा जाता है | यहां पर परिक्रमण करने के लिए पर्यटकों की बहुत ही ज्यादा संख्या में भीड़ भाड़ रहती है | प्राचीन समय से ही लिखे जो शास्त्रों के अनुसार किन्नौर जिले के निवासी को किन्नर कहा जाता है इसका मतलब होता है कि आधा किन्नर और आधा ईश्वर है |

किन्नर कैलाश यात्रा !!

दोस्तों अगर आप यहां घूमने जा रहे हैं तो आपको सबसे पहले दिन इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस की पोस्ट पर यात्रा के लिए अपना पंजीकरण कराना बहुत जरूरी होता है | इस पोस्ट की ऊंचाई तकरीबन 8727 फुट है| जोकि किन्नौर जिले से 41 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है | यह पोस्ट घूमने के बाद आपको लाबार के लिए निकलना चाहिए | इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह है तकरीबन 9678 फुट ऊंचा है जो इस एरिया से 10 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है | आपको यहां पर पहुंचने के लिए खच्चरों का सहारा लेना पड़ेगा ।

आपकी यात्रा का दूसरा दिन सफल करने के लिए आपको सबसे पहले चारंग के लिए निकलना होगा | चारंग की ऊंचाई 11319 फुट है जिसमें आपको 8 से 9 घंटे लग सकते हैं| आपको थोड़ा आगे जाने पर चारंगा गांव मिलेगा | जहां पर स्वास्थ्य विभाग का गेस्ट हाउस बना हुआ है| वहां पर आप अपना कुछ देर तक विश्राम कर सकते हैं और खाना वगैरह कुछ खा सकते हैं । इसके बाद आपको ललान्ति के लिए प्रस्थान करना होगा | जिसकी ऊंचाई 14108 फिट है । जिसमें आपको 6 से 7 घंटे लग सकते हैं|

इन दोनों यात्राओं के बाद आपको अगले दिन चारंग से 2 किलोमीटर की ऊँचाई पर रंग्रिक तुंगमा का मंदिर बना हुआ है | इसके बारे में यहां पर एक प्राचीन मान्यता है कि अगर आपने यहां पर दर्शन नहीं किए तो आप के पूरे दर्शन अर्थात परिक्रमा को अधूरा माना जाएगा| यह सब करने के बाद आपको एक 14 घंटे की लंबी जुड़ाई की शुरुआत करनी होगी | इन सब के बाद आपको ललान्ती दर्रे से एक लंबी चढाई करते हुए माता चित कुल देवी के मंदिर के दर्शन के लिए निकलना होगा|

किन्नर कैलाश पहुंचने का मार्ग !!

अगर आप किन्नर कैलाश पर्वत श्रंखला पर घूमने जाना चाहते हैं आपको यहां पर पहुंचने के लिए सबसे पहले शिमला से किन्नौर जिले के मुख्यालय रेकोंग प्यो पहुंचना पड़ेगा | वहां पर आप किसी बस या टैक्सी के माध्यम से भी जा सकते हैं जहां पर आप तकरीबन 231 किलोमीटर यानी कि 9 घंटे में आ पहुंच सकते हैं | यहां से काल्पा को पहुंचना होगा जो कि 17 किलोमीटर दूर है | उसके बाद थांगी आ जाता है और आपकी यात्रा शुरू हो जाती है

इसके बाद आपको दो बहुत ही मुश्किल दर्रा से होकर निकलना पड़ेगा। इस पर्वत श्रृंखला का पहला दर्रा लालान्ती दर्रा है। इस दर्रा की ऊंचाई 14501 फुट है| इससे गुजरने के बाद अगली दर्रा आती है जिसका नाम चारंग दर्रा है, जिसकी ऊंचाई पहली दर्रा से थोड़ी ज्यादा है जो 17218 फुट है| आपको बता दें की जहां पर परिक्रमा की जाती है उस स्थान का आरंभ कल्पा और त्रिउंग घाटी से शुरू होता है | जो फिर से कल्पा घाटी से होते हुए सांगला घाटी की ओर मुड़ जाती है| सबसे ज्यादा भीड़ तो तब रहती है जब सावन का महीना होता है| सावन के महीने में यहां पर तीर्थ यात्रियों की बहुत ही ज्यादा संख्या में भीड़ रहती है| क्योंकि इस सावन के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी और भगवान शिव के त्यौहार बनाए जाते हैं। यहां की एक और खास बात है कि सावन के महीने में अगर आप यहां पर जाते हैं तो कुछ दल आपको निशुल्क सेवाएं प्रदान करेंगे कुछ दल आप से पैसे लेकर सेवाएं प्रदान करेंगे | सरकार की तरफ से यहां पर फ्री में शिवाय उपलब्ध करवाई जाती हैं| पर हम आपको एक सलाह देते हैं कि अगर आप वहां पर घूमने जाए तो अपना सामान लेकर ही जाएं जैसे कि स्लीपिंग बैग रजाई, कोट और स्वेटर जैसी जरूरी वस्तुएं|

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किन्नर कैलाश फोटो | Kinnaur Kailash HD Images !!

किन्नर कैलाश का इतिहास | Kinnaur Kailash History in Hindi !!

 

किन्नर कैलाश का इतिहास | Kinnaur Kailash History in Hindi !!

 

किन्नर कैलाश का इतिहास | Kinnaur Kailash History in Hindi !!

 

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Ankita Shukla

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