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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर की कहानी !!

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर परिचय !!

दोस्तो नमस्कार , आज की आलेख में हम आपको घृष्णेश्वर मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । घृष्णेश्वर मंदिर भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर के नजदीक दौलताबाद से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है । यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख है । कुछ लोगों की मान्यता यह भी है इसका नाम घुश्मेश्वर मंदिर भी है । एक बात और जानकर आपको हैरानी होगी की प्रसिद्ध एलोरा की गुफाएं घृष्णेश्वर मंदिर के तकरीबन तकरीबन समीप ही बनी हुई है । घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण कार्य देवी श्री अहिल्याबाई होलकर ने संपूर्ण करवाया था । घृष्णेश्वर मंदिर शहर से दूर होने के बावजूद भी सादगी और अपनेपन से भरा हुआ है। सभी ज्योतिर्लिंगों में से घृष्णेश्वर मंदिर का यह ज्योतिर्लिंग अंतिम स्थान रखता है । इस मंदिर को घुश्मेश्वर मंदिर भी कहा जाता है । यह मंदिर दौलताबाद के वेरुल गांव के पास बना हुआ है । घृष्‍णेश्‍वर  मंदिर का निर्माता मालोजी राजे भोसले , और शिवाजी के पितामह थे। इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है ।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर का परिवेश !!

घृष्णेश्वर महादेव जी के इस मंदिर में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं। घृष्णेश्वर महादेव जी के मंदिर में दीवारों पर हस्तकला के माध्यम से देवी देवताओं की मोतियों की चित्रकला की खुदाई की गई है । महादेव जी के इस मंदिर में बहुत सारे खम्भों का निर्माण किया गया है । इन खंभों में पत्थरों का उपयोग किया गया है जिन पर हाथों से सुंदर नक्काशी तराशकर साला सभामंडप निर्माण किया गया । यहां पर तकरीबन 24 खम्भे बने हुए है । मंदिर का प्रांगण 289 वर्ग फुट का है । इसके अंदर भगवान शिव की बड़े आकार की शिवलिंग की स्थापना की गई है । जिसका मुख्य पूर्व दिशा की ओर है । इसके पास में ही भव्य नंदीकेश्वर भगवान की प्रतिमा की भी स्थापना की गई है। आकार के आधार पर देखा जाए तो सभामंडल की तुलना में प्रागण का आकार थोड़ा कम है । प्रांगण की चौखट पर तथा मंदिर में अन्य स्थानों पर फूल पत्तों , पशु पक्षियों , और मनुष्यों की अनेकों हस्तनिर्मित शिल्प कला का निर्माण किया गया है । यहां की एक खास बात और है की यहां पर भगवान गणेश के 21 गणेश पीठो में से लक्षविनायक नामक पीठ यहां पर प्रसिद्ध है। प्राचीन समय की दृष्टि से देखा जाए तो यह मंदिर लोगों में बहुत श्रद्धा रखता है। मंदिर के अंदर सुबह व शाम को अभिषेक और महाविशेक बहुत संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है। घृष्णेश्वर शिव मंदिर में सोमवार, शिवरात्रि , व अन्य त्योहारों पर यहां पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इसके साथ-साथ यहां पर दुनियाभर से पर्यटक यह मेला
देखने आते हैं ।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर : दर्शन का उचित समय !!

आप भगवान शिव के मंदिर पर घूमने जा रहे हैं यहां पर मंदिर खुलने का समय, पूजा का समय जैसी जरूरी जानकारियां जान लेनी चाहिए । प्राचीन ग्रंथों की मान्यता के आधार पर यहां आने वाले प्रत्येक यात्री भगत को दर्शन करने के लिए सबसे पहले अपने कमीज, बनियान तथा बेल्ट उतारकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पड़ते हैं । भगवान घृष्णेश्वर का यह मंदिर रोज सुबह 5:30 से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। यदि आप श्रावण के महीने में यहां आए तो आप को बढ़िया मौका मिल सकता है क्योंकि यह मंदिर सुबह के 3:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक भक्तों के लिए खोल दिया जाता है । यहां पर त्रिकॉल पूजा तथा आरती भी की जाती है जिसका समय सुबह 6:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक होता है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की आराधना जोरों शोरों से की जाती है इसके साथ साथ इनकी पालकी को पास में बनी शिवालय तीर्थ कुंड तक ले जाया जाता है। घृष्णेश्वर मंदिर का संपूर्ण प्रबंधन यहां के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है जिसका नाम श्री घृष्णेश्वर मंदिर देवस्थान ट्रस्ट है ।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर : रुकने का प्रबंध !!

अगर आप यहां पर घूमने के साथ साथ रात बिताना चाहते हैं तो आप के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि रुकने के लिए इस मंदिर का खुद का ट्रस्ट बना हुआ है । जिसमें आप रुक कर विश्राम कर सकते हैं । ट्रस्ट द्वारा कमरे का बहुत ही कम शुल्क लिया जाता है जो कि तकरीबन 200 से 250 रहता है । अगर आप घृष्णेश्वर मंदिर के इस ट्रस्ट में नहीं रुकना चाहते तो आपके लिए मंदिर से तकरीबन 1 किलोमीटर दूरी पर कुछ होटल बने हुए हैं जिनमें कमरे का किराया ₹800 से लेकर ₹2000 के बीच रहता है । हमारी राय यह है कि आप ट्रस्ट में रुके तो ज्यादा अच्छा रहेगा ।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर : पहुंचने का मार्ग !!

यदि आप घृष्णेश्वर मंदिर घूमने जा रहे हैं तो आपको हम कुछ रास्तो के बारे में बताएंगे जिनके माद्यम से आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते हो | आपको सबसे पहले मुंबई जाना होगा यह मंदीर मुंबई से तकरीबन 422 किमी की दूरी पर है | इसके आलावा आप पुणे से होकर भी जा सकते है यह मंदीर पुणे से तकरीबन २५० कीमी की दूरी पर है | इन दोनों के आलावा अगर आप औरगावाद जा सके तो सबसे बढ़िया रहेंगा क्योकि घृष्णेश्वर मंदिर ओरंगाबाद से ३५ किमी की दूरी पर ही है जो की सबसे नजदीक वाली जगह है | आप यह s आप यह सफरसफर बस या ट्रेन के माद्यम से भी कर सकते है | ट्रेन के माद्यम से आप ओरंगाबाद वाला मार्ग ही चुने |

हमे आशा है की दोस्तों आपको हमारा आलेख पसंद आया होगा | अगर आप हमारे आलेख में कोई गलती पाते है तो हमे कमेंट करके जरुर बताये ताकि हम आपको आगे एक बेहतरीन जानकारी से अवगत करवा सके |

Ankita Shukla

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