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(रचनात्मक तथा योगात्मक आकलन) Formative & Summative Assessment Difference in Hindi !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “रचनात्मक तथा योगात्मक आकलन” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे “difference between formative and summative assessment in hindi” अर्थात “रचनात्मक तथा योगात्मक आकलन क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?” . जैसा कि हम सब जानते हैं कि आकलन कई प्रकार के होते हैं जिनमे से रचनात्मक तथा योगात्मक आकलन भी एक हैं. आज हम आपको इन्ही के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे. दोस्तों रचनात्मक आकलन शिक्षण प्रक्रिया की दशा का ज्ञान कराता है और योगात्मक आकलन द्वारा ये पता लगाया जाता है कि शिक्षण प्रक्रिया कितनी सफल रही. आज हम आपको इन्ही के विषय में बताने का प्रयास करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

रचनात्मक आकलन क्या है | What is Formative Assessment in Hindi !!

रचनात्मक आकलन का कार्य शिक्षण प्रक्रिया की दशा का ज्ञान कराना होता है. ये आकलन शिक्षण प्रक्रिया के दौरान लगातार होता है. इसका प्रयोग अधिगम के लिए आकलन के रूप में किया जाता है. रचनात्मक आकलन का कार्य छात्रों का पृष्ठपोषण प्रदान करना है. इसके द्वारा विद्यार्थी को ये पता लगता है कि उसे कहाँ सुधार की आवश्यकता है.

योगात्मक आकलन क्या है | What is the Summative Assessment in Hindi !!

योगात्मक आकलन का कार्य शिक्षण प्रक्रिया कितनी सफल रही इसका ज्ञान कराना होता है. ये सदैव एक निश्चित अवधि के पश्चात होता है. योगात्मक आकलन “अधिगम के आकलन” के रूप में किया जाता है. इसका कार्य छात्र को ग्रेड व परिणाम प्रदान करना होता है. इसके द्वारा विद्यार्थी को यह पता लगता है कि उसमे कितना सुधार किया गया है.

रचनात्मक तथा योगात्मक आकलन में क्या अंतर है | Difference between Formative and Summative assessment in Hindi !!

# रचनात्मक आकलन का प्रयोग शिक्षण प्रक्रिया की दशा का ज्ञान करने के लिए होता है जबकि योगात्मक आकलन का प्रयोग शिक्षण प्रक्रिया कितनी सफल रही इसका ज्ञान करने के लिए होता है.

# रचनात्मक आकलन शिक्षण प्रक्रिया के दौरान लगातार होता है जबकि योगात्मक आकलन निश्चित अवधि के बाद होता है.

# रचनात्मक आकलन का प्रयोग “अधिगम के लिए आकलन” के रूप में किया जाता है जबकि योगात्मक आकलन का प्रयोग “अधिगम का आकलन” करने लिए किया जाता है.

# रचनात्मक आकलन का कार्य छात्रों का पृष्ठपोषण प्रदान करना है जबकि योगात्मक आकलन का कार्य छात्रों को ग्रेड और परिणाम प्रदान करने का होता है.

# रचनात्मक आकलन द्वारा विद्यार्थी को ये पता लगता है कि उसे कहाँ सुधार की आवश्यकता है जबकि योगात्मक आकलन द्वारा विद्यार्थी को ये पता लगता है कि उसने कितना सुधार किया है.

दोस्तों आपको हमारे द्वारा मिली जानकारी कितनी कारगर लगी हमे अवश्य बताएं हम आपके जबाब की प्रतीक्षा करेंगे और साथ ही यदि कोई अन्य सवाल भी आप पूछना चाहते हैं तो वो भी आप हमसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिये पूछ सकते हैं. धन्यवाद !!

Ankita Shukla

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