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(CT & PT) करंट ट्रांसफार्मर और वोल्टेज ट्रांसफार्मर में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…. आज हम आपको “करंट ट्रांसफार्मर और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर” के विषय में बताने जा रहे हैं. दोनों का काम लगभग समान होता है. लेकिन इनमे कुछ भिन्नताएं भी होती हैं. जिन्हे साथ ही साथ हम आपको बताएंगे। जैसा कि हम सब जानते हैं कि ट्रांसफार्मर का कार्य हाई वैल्यू को लौ वैल्यू में बदलना होता है.

लेकिन “CT और PT” अर्थात “करंट ट्रांसफार्मर और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर” को अलग अलग क्यों रखा गया है. इस विषय में जानना भी आवश्यक है. तब ही आप दोनों को अच्छे से जान पाएंगे. हम आज आपको बताएंगे कि “करंट ट्रांसफार्मर और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या है और दोनों में क्या अंतर है?”. लेकिन इसे बताने से पहले हम आपको अपने पाठकों से जुड़ी कुछ जानकारी देना चाहते हैं.

दोस्तों हम अपने ब्लॉग में जितने भी जबाब लेके आते हैं वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नो के जबाब हैं. जो हमे तब पता चल पाते हैं जब हमारे पाठक हमे वेबसाइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के इनके जबाब पूछते हैं. हम उन सवाल का जबाब अवश्य लेके आते हैं. लेकिन कभी कभी हमे थोड़ा विलम्ब हो जाता है लेकिन आप लोगों द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर हम आपको देने की पूरी कोशिश करते हैं. तो यदि आप लोगों के मन में कोई सवाल हो तो आप भी कमेंट बॉक्स के जरिये हमसे पूछ सकते हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

करंट ट्रांसफार्मर (CT) क्या है | What is Current Transformer in Hindi !!

करंट ट्रांसफार्मर एक डिवाइस होती है जिसका कार्य हाई करंट वैल्यू को लौ करंट वैल्यू में बदलना होता है. इसका प्रयोग AC उपकरण के साथ किया जाता है जिसके द्वारा हाई करंट वैल्यू का पता चलता है. लाइन करंट काफी हाई होती है और उसे डायरेक्ट मापना काफी मुश्किल काम होता है. इसलिए करंट को मापने और उसको कम करने के लिए करंट ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा हाई करंट वैल्यू को फ्रॅक्शनल वैल्यू में बदल देते हैं जिसके बाद करंट को मापना आसान हो जाता है.

पहला करंट ट्रांसफार्मर को लाइन से जोड़ा जाता है जिसके द्वारा करंट की वैल्यू मापी जा सकती है. और दूसरा करंट ट्रांसफार्मर को अमीटर या मीटर से जोड़ के करंट की वैल्यू मापी जाती है जिसमे वैल्यू फ्रैक्शन में होती है.

पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (PT) क्या है | What is Potential Transformer in Hindi !!

पोटेंशियल ट्रांसफार्मर को वोल्टेज ट्रांसफार्मर भी कहते हैं. ये भी एक प्रकार का इंस्ट्रूमेंट अर्थात उपकरण होता है, जिसका प्रयोग हाई वोल्टेज वैल्यू को लौ वोल्टेज वैल्यू में बदलने के लिए किया जाता है. पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का प्राइमरी टर्मिनल लाइन से जोड़ दिया जाता है जिसके द्वारा लाइन वोल्टेज मापा जाता है. फिर ये ट्रांसफार्मर हाई वैल्यू वोल्टेज को लौ वैल्यू में बदल देता हैं जिसके बाद वोल्टमीटर या मीटर द्वारा वोल्टेज को आसानी से मापा जा सकता है.

Difference between CT and PT in Hindi | करंट ट्रांसफार्मर और वोल्टेज ट्रांसफार्मर में क्या अंतर है !!

Difference between CT and PT in Hindi | करंट ट्रांसफार्मर और वोल्टेज ट्रांसफार्मर में क्या अंतर है !!

करंट ट्रांसफार्मर हाई करंट वैल्यू को लौ करंट वैल्यू में बदलता है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर हाई वोल्टेज वैल्यू को लौ वोल्टेज वैल्यू में बदलता है.

करंट ट्रांसफार्मर सीरीज में ट्रांसमिशन लाइन से जुड़ा होता है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर पैरेलल में.

करंट ट्रांसफार्मर का लमीनेशन स्टेनलेस स्टील का होता है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर कम प्रवाह घनत्व पर उच्च ऑपरेटिंग कोर के साथ बनाया जाता है।

# करंट ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग करंट को मापने के लिए होता है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग वोल्टेज मापने के लिए होता है.

# करंट ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग करंट वाइंडिंग से जुड़ी होती है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग मीटर से जुड़ी होती है.

# करंट ट्रांसफार्मर सीरीज में इंस्ट्रूमेंट से जुड़ा होता है और वोल्टेज पैरेलल में इंस्ट्रूमेंट से जुड़ा होता है.

# करंट ट्रांसफार्मर के प्राइमरी सर्किट में कम घुमाव होते हैं जबकि पोटेंशियल ट्रांसफार्मर में प्राइमरी सर्किट में अधिक घुमाव होते हैं.

# करंट ट्रांसफार्मर के सेकंडरी सर्किट में अधिक घुमाव होते के साथ ये खुले भी नहीं हो सकते हैं जबकि पोटेंशियल ट्रांसफार्मर में सेकंडरी सर्किट में कम घुमाव होते हैं और ये खुले भी होते हैं.

# करंट ट्रांसफार्मर का रेश्यो उच्च होता है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का रेश्यो कम होता है.

# करंट ट्रांसफार्मर की रेंज 5A या 1A होती है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर की रेंज 110v होती है.

# करंट ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग full line करंट रखती है और पोटेंशियल सफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग full line वोल्टेज रखता है.

# करंट ट्रांसफार्मर का मुकाबला कम होता है पोटेंशियल ट्रांसफार्मर की अपेक्षा.

# करंट ट्रांसफार्मर में कांस्टेंट करंट इनपुट के रूप में जाती है और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर में कांस्टेंट वोल्टेज इनपुट के रूप में जाता है.

# करंट ट्रांसफार्मर सेकंडरी बर्डन पे निर्भर नहीं करता है लेकिन पोटेंशियल ट्रांसफार्मर सेकंडरी बर्डन पे निर्भर करता है.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

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