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कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको बताने जा रहे हैं कम्पाइलर और इंटरप्रेटर के बारे में. जैसा की हम सब जानते है कि कम्पाइलर और इंटरप्रेटर दोनों ही कंप्यूटर प्रोग्राम है. जो सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को पढ़ता है और उन्हें मशीन लैंग्वेज में बदल देता है. लेकिन क्यूंकि “कम्पाइलर और इंटरप्रेटर” दोनों समान काम करते हैं, इसलिए लोगों को दोनों में अंतर समझने में थोड़ी दिक्क्त होती है. इसलिए आज हम आपको दोनों में अंतर बताएंगे। आज हम बताएंगे कि “Difference between Compiler and Interpreter” अर्थात “कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में क्या अंतर है?”. लेकिन इसे बताने से पहले हम आपको अपने पाठकों से जुड़ी एक जानकारी देना चाहते हैं.

दोस्तों हम जो भी जानकारी अपने वेबसाइट पे लेके आते हैं. वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठे सवालों के उत्तर होते हैं. जो हमे तब पता चलते हैं जब आप सब द्वारा हमे नीचे कमेंट बॉक्स में सवालों के कमेंट आये हुए होते हैं. जिनके जबाब हो सकता है थोड़ा विलम्ब से आपको मिले। लेकिन हम उनके जबाब आपको अवश्य देते हैं. इसलिए यदि आपके मन में और भी प्रश्न हो तो आप हमसे पूछ सकते हैं”. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

कम्पाइलर क्या है | What is Compiler in Hindi !!

कम्पाइलर एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो किसी high-level programming language को मशीन लैंग्वेज में बदल देता है क्यूंकि कंप्यूटर केवल मशीन लैंग्वेज ही समझता है. जब भी हम कोई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोड लिखते हैं तो कम्पाइलर उसे पढ़ता है और फिर उसे मशीन लैंग्वेज में बदल देता है. कम्पाइलर को एक प्रकार का ट्रांसलेटर माना गया है जो डिजिटल डिवाइस को सपोर्ट करता है. इसका मुख्य प्रयोग high-level programming language को Low-level programming language में बदलने का है. जिसमे low-level programming language में “assembly language, object code, or machine कोड, आदि” आता है.

इंटरप्रेटर क्या है | What is Interpreter in Hindi !!

इंटरप्रेटर का प्रयोग मुख्य रूप से कंप्यूटर साइंस में होता है क्यूंकि ये एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम है, इसमें प्रोग्राम को कम्पाइलर द्वारा मशीन लैंग्वेज में बदलने की जरूरत नहीं होती है. क्यूंकि ये बिना कम्पाइल किये डायरेक्ट प्रोग्राम और इंस्ट्रक्शन को एक्सीक्यूट करा देता है. काफी हद तक दोनों का काम समान है लेकिन प्रक्रिया अलग अलग है.

Difference between Compiler and Interpreter in Hindi | कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में क्या अंतर है !!

कम्पाइलर पुरे कोड को एक साथ ट्रांसलेट करता है और इंटरप्रेटर एक एक लाइन को ट्रांसलेट करता है.

# कम्पाइलर में एरर एक साथ बाद में पता चलते हैं और इंटरप्रेटर एरर हर एक लाइन का बताता है और हर एक लाइन का एरर हटने के बाद ही दूसरी लाइन पे आता है.

# कम्पाइलर कम समय लेता है और इंटरप्रेटर अधिक समय लेता है.

# कम्पाइलर द्वारा प्रोग्राम में एरर होने की संभावना होती है जबकि इंटरप्रेटर में एरर की संभावना नहीं होती है.

उम्मीद है दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी काफी पसंद आयी होगी. और यदि कोई त्रुटि आपको हमारे ब्लॉग में दिखाई दे या कोई मन में सुझाव या सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे आप की उम्मीदों पे खरा उतरने की. धन्यवाद !!

Ankita Shukla

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