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रुधिर और लसीका में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “रक्त और लसीका के बीच अंतर” बताने जा रहे हैं. जिसे हम अंग्रेजी में ” Blood और Lymph” भी कहते हैं. ये दोनों हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. जिन्हे आज हम आपको बताने और समझाने की कोशिश करेंगे. उससे पहले हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बात बताना चाहते हैं.

दोस्तों हम अपने ब्लॉग में जितने भी जबाब लेके आते हैं वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नो के जबाब हैं. जो हमे तब पता चल पाते हैं जब हमारे पाठक हमे वेबसाइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के इनके जबाब पूछते हैं. हम उन सवाल का जबाब अवश्य लेके आते हैं. लेकिन कभी कभी हमे थोड़ा विलम्ब हो जाता है लेकिन आप लोगों द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर हम आपको देने की पूरी कोशिश करते हैं. तो यदि आप लोगों के मन में कोई सवाल हो तो आप भी कमेंट बॉक्स के जरिये हमसे पूछ सकते हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

Difference between Blood and Lymph in Hindi | रुधिर और लसीका में क्या अंतर है !!
Blood : रुधिर / रक्त

रुधिर / रक्त क्या है | What is Blood in Hindi !!

रक्त एक द्रव होता है जो लाल रंग का होता है. ये सजीव के शरीर में पाया जाता है और इसी के सर्कुलेशन से इंसान स्वस्थ और जीवित रहता है. रक्त में लाल रक्त कणिकाएँ अधिक मात्रा में और श्वेत रक्त कणिकाएँ कम मात्रा में होती है. रक्त में फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक होती है जिससे रक्त में थक्का आसानी से जमने लगता है. रक्त में रंजक होते हैं जो ऑक्सीजन ले जाते हैं। इसलिए, विभिन्न प्रकार के जीवों में विभिन्न रंगों में रक्त पाया जा सकता है।

Difference between Blood and Lymph in Hindi | रुधिर और लसीका में क्या अंतर है !!
Lymph : लसीका

लसीका क्या है | What is Lymph in Hindi !!

लसीका एक द्रव होता है जो लसीका तंत्र में घूमता रहता है. ये तब बनना शुरू होता है जब लिम्फ (लसीका) केशिकाओं के माध्यम से अंतरालीय द्रव (सभी शरीर के ऊतकों के अंतर में निहित द्रव) के रूप में एकत्र हो हो जाता है. इसमें लाल रक्त कणिकाएँ कम पाई जाती है और श्वेत रक्त कणिकाएँ अधिक पाई जाती हैं. इसमें फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम होती है लेकिन फिर भी ये कभी कभी थक्का बनाने लगता है.

Difference between Blood and Lymph in Hindi | रुधिर और लसीका में क्या अंतर है !!

# लसीका और रुधिर दोनों तरल पदार्थ अर्थात द्रव होते हैं. जिसमे लसीका स्वेत और रुधिर लाल होता है.

# लसीका में श्वेत रक्त कणिकाएँ अधिक पाई जाती हैं और रक्त अर्थात रुधिर में कम पाई जाती हैं.

# लसीका में लाल रक्त कणिकाएँ कम पाई जाती हैं और रुधिर में लाल रक्त कणिकाएँ अधिक पाई जाती हैं.

# लसीका पुरे लसीका तंत्र में घूमती रहती है और रक्त पुरे शरीर की नसों से प्रसारित होता है.

# लसीका में फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम पाई जाती है जबकि रुधिर में फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक पाई जाती है.

# लसीका थक्के कम बनाती है क्यूंकि उसमे फाइब्रिनोजेन की मात्रा कम होती है लेकिन रुधिर आसानी से थक्के बना लेती है क्यूंकि इसमें फाइब्रिनोजेन की मात्रा अधिक होती है.

# रुधिर अलग अलग रंग के होते है अलग अलग जीवों में लेकिन लसीका सदैव स्वेत होता है.

# रक्त श्वेत रक्त कणिकाएं, लाल रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स , प्लाज्मा की रचना करता है जबकि लसीका केवल श्वेत रक्त कणिकाएं और तरल पदार्थ की ही रचना करता है.

# रक्त, रक्त वाहिकाओं के अंदर circulate होता है जबकि लसीका, लसीका वाहिकाओं के अंदर circulate होता है।

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

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