नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “Black box testing और White box testing” के बारे में बताने जा रहे हैं. दोस्तों इन टेस्टिंग टेक्निक का प्रयोग अधिकतर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में होता है. लेकिन दोनों टेस्टिंग का तरीका थोड़ा अलग अलग है. तो आज हम वही आपसे डिसकस करने जा रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि “Black box testing और White box testing क्या है और इन दोनों में अंतर क्या क्या होते हैं.” लेकिन आपको ये बताने से पहले हम आपको कुछ अन्य जानकारी देना चाहते हैं जो कि हमारे ब्लॉग से जुडी हुई है.
दोस्तों हम अपने ब्लॉग में जितने भी जबाब लेके आते हैं वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नो के जबाब हैं. जो हमे तब पता चल पाते हैं जब हमारे पाठक हमे वेबसाइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के इनके जबाब पूछते हैं. हम उन सवाल का जबाब अवश्य लेके आते हैं. लेकिन कभी कभी हमे थोड़ा विलम्ब हो जाता है लेकिन आप लोगों द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर हम आपको देने की पूरी कोशिश करते हैं. तो यदि आप लोगों के मन में कोई सवाल हो तो आप भी कमेंट बॉक्स के जरिये हमसे पूछ सकते हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग क्या है | What is Black Box Testing in Hindi !!
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग एक टेस्टिंग टेक्निक होती है जिससे सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग की जाती है. इस टेक्निक में इंटरलनल स्ट्रक्चर, उस सॉफ्टवेयर की डिज़ाइन, कार्यान्वयन आदि का पता टेस्टर को नहीं होता है. वो खुद व खुद सब पता करता है और उस अनुसार टेस्टिंग करता है. ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को क्लोज्ड टेस्टिंग भी कहा जाता है.
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग के प्रकार:
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फंक्शनल टेस्टिंग
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नॉन फंक्शनल टेस्टिंग
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रिग्रेशन टेस्टिंग
वाइट बॉक्स टेस्टिंग क्या है | What is White Box Testing in Hindi !!
वाइट बॉक्स टेस्टिंग भी एक प्रकार की टेस्टिंग टेक्निक होती है जिसमे इंटरनल स्ट्रक्चर, डिज़ाइन और कार्यान्वयन आदि का पता टेस्टर को होता है. इसमें उसे कोई भी जानकारी खुद से एकत्र करने की जरूरत नहीं होती है. वाइट बॉक्स टेस्टिंग को क्लियर बॉक्स टेस्टिंग भी कहा जाता है.
वाइट बॉक्स टेस्टिंग के प्रकार:
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पाथ टेस्टिंग
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लूप टेस्टिंग
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कंडीशन टेस्टिंग
Difference between Black box testing and White box testing in Hindi | ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग और वाइट बॉक्स टेस्टिंग में क्या अंतर है !!
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग में टेस्टर को कोडिंग, प्रोग्राम, इंटरनल स्ट्रक्चर आदि की जानकारी नहीं होती है जबकि वाइट बॉक्स टेस्टिंग में टेस्टर को इन सब चीजों की जानकारी होती है.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग अधिकतर सॉफ्टवेयर टेस्टर करता है जबकि वाइट बॉक्स टेस्टिंग सामान्य रूप से सॉफ्टवेयर डेवलपर करता है.
# कोई भी सॉफ्टवेयर को कैसे बनाया गया इस बात की जानकारी वाइट बॉक्स टेस्टिंग में होना जरूरी है जबकि इसकी जानकारी ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग में होना जरूरी नहीं.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग में प्रोग्रामिंग की जानकारी होना जरूरी नहीं होता जबकि वाइट बॉक्स टेस्टिंग में प्रोग्रामिंग की जानकारी होना जरूरी होता है.
# जब कभी भी किसी सॉफ्टवेयर की बाहर से टेस्टिंग करानी होती है तो ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग का प्रयोग करते हैं और जब कभी भी किसी सॉफ्टवेयर की आंतरिक टेस्टिंग करानी होती है तो वाइट बॉक्स टेस्टिंग करते हैं.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग किसी भी सॉफ्टवेयर का व्यवहार देखने के लिए की जाती है और वाइट बॉक्स टेस्टिंग किसी भी सॉफ्टवेयर का लॉजिक टेस्ट करने के लिए होती है.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को उच्च स्तर की और वाइट बॉक्स को निन्म स्तर की टेस्टिंग माना गया है.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग कम समय लेती है और वाइट बॉक्स टेस्टिंग अधिक समय लेती है.
# वाइट बॉक्स टेस्टिंग अल्गोरिथम के लिए अच्छी होती है जबकि ब्लैक बॉक्स नहीं.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को पहले इस्तेमाल करना होता है उसके साथ एरर निकालने होते हैं जबकि वाइट बॉक्स टेस्टिंग सॉफ्टवेयर को पूरी तरह तैयार करने से पहले ही टेस्टिंग करनी होती है.
# ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग की जानकारी के लिए गूगल सबसे सही विकल्प है और वाइट बॉक्स टेस्टिंग के लिए इनपुट के जरिये लूप को वेरीफाई करना होता है.
उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!