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भारतीय संविधान संशोधन, प्रस्तावना, इतिहास, धाराएं, निर्माण, रचना !!

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भारतीय संविधान संशोधन !!

भारतीय संविधान संशोधन का अर्थ है की भारत के संविधान में परिवर्तन कर के कुछ नया जोड़ना या उसमे से हटना इसे भारत संविधान संशोधन कहा जाता है इसे भारत संसद के द्वारा किया जाता है जिसमे संसद के सभी सदनों का उचित मात्रा में बहुमत होना जरूरी है. साथ ही यदि कोई विशिष्ट संशोधन किया जाता है तो उसमे राज्यों की अनुमति की अवस्य्क्ता होती है. इस प्रक्रिया को विवरण संविधान के लेख 368, भाग XX में प्रस्तुत किया गया है.

सबसे पहले हमारा संविधान 1950 में लागु किया गया था जिसमे अभी तक 101 संशोधन किये जा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट का भारतीय संविधान संशोधन को लेके कहना ये है की हर सशोधन को अनुमति देना संभव नहीं है और संविधान में वही संशोधन लाभकारी हैं जिन्हे आसानी से माना जा सके और उनमे कोई परिवर्तन करने की अवस्य्क्ता न हो.

भारतीय संविधान की प्रस्तावना !!

संविधान के उद्देश्यों को लिखित रूप से कार्यरत करने से पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है जिसे भारत संविधान प्रस्तावना भी कहते हैं ये प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है. प्रस्तावना से तात्पर्य भारत के संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन आदि को अच्छे से प्रकट करना होता है. इससे हमे ये पता चलता है की हमारा संविधान सीधे जनता से शक्ति प्राप्त कर के कानून को और हमारे अधिकारों को मजबूत बनाता है.

भारतीय संविधान का इतिहास / निर्माण !!

( भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास) 

जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ उसके बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन सरकार ने भारत के लिए कुछ नई नीतियों की घोषणा की और साथ ही भारत संविधान सभा हेतु एक केबिनेट मिशन को लेके 3 मन्त्री भारत आये. जब 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ उसके बाद एक संविधान सभा की घोषणा की गयी और इसके लिए कार्य 9 दिसम्बर 1947 से शुरू कर दिया गया. संविधान सभा के मेंबर्स भारत के कई राज्यों के सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गए. इस सभा को संभालने के लिए कुछ मुख्य सदस्यों का होना आवश्य्क था जिसके लिए जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि को चुना गया ये सभी सभा के प्रमुख सदस्य थे. इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन लिए और लगभग 114 दिन की बहस के बाद संविधान का निर्णय किया गया. इस संविधान सभा में कुल 12 अधिवेशन हुए और आखिरी दिन 284 सदस्यों द्वारा इस संविधान पे हस्ताक्षर कर इसपर मोहर लगाई। इस संविधान को बनाने में 166 की बहस हुई जिसमे जनता और मीडिया पूरी तरह से भाग लेने के लिए स्वतंत्र थी. और 389 सदस्यो की महत्वपूर्ण भूमिका के बाद 26 जनवरी 1950 भारत का संविधान लागु किया गया.

भारतीय संविधान की धाराएं !!

Source : currentgk.in

 

Source : currentgk.in

भारतीय संविधान के भाग !!

भारत संविधान के कुल २२ भाग हैं जिसमे भाग सात को हटा दिया गया. वैसे तो ये भाग गिनती में ज्यादा हैं लेकिन यदि इन्हे यदि श्रंखला में देखा जाये तो ये कुल २२ भागों में बांटा गया है. भाग ३ और ४ को संविधान की आत्मा तथा चेतना कहा जाता है. क्योंकि ये दोनों भाग मौलिक अधिकार तथा नीति-निर्देश को दर्शाते हैं जो किसी भी स्वतंत्र देश का महत्वपूर्ण हिस्सा है और देश को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नीति निर्देशक तत्व जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं जिन्हे सबसे पहले आयरलैंड ने अपने संविधान में लागु किया था ये कुछ वो तत्व है जो संविधान के आगे बढ़ने के साथ ही पैदा हुए और बढ़े. ये नवीनतम तत्व जनकल्याण के हित में कार्य करता है. इस भाग की यदि बात करे तो संविधान में इस भाग में नीति निर्देशक तत्वों की दिशा को निश्चित किया जाता है और इसमें मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देशक में अंतर तथा नीति निर्देशक तत्वों के महत्व को बताया जाता है.

भारतीय संविधान की रचना !!

भारत संविधान की रचना और कुछ नहीं बल्कि भारत के संबिधान का निर्माण है जो की हमने ऊपर बताया है. भारत संविधान में डॉक्टर भीम राव आंबेडकर की मुख्य भूमिका थी जिन्होंने एक ऐसा संविधान बनाया जिसमे हर एक व्यक्ति समान रूप से स्वतंत्र हो. किसी प्रकार की भी जातिवादी की प्रतारणा को न सहना पड़े इसके लिए उन्होंने सभी को भारत के संविधान में समान स्थान दिया.

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