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कुश्ती का इतिहास (Kusti History & Wikipedia in Hindi)
कुस्ती हमारे बाबा पर बाबा के जमाने से खेला जाने वाला खेल है जिसे आज भी लोग उतनी ही लगन से खेलते और देखते हैं जैसे पहले के जमाने में देखा जाता था. बहुत से बड़े बड़े दिग्गज जिन्होंने कुस्ती के बल पे हमारे देश का नाम भी रौशन किया है. जैसे की: दारा सिंह, सुल्तान, गुलाम मोहम्मद , उदय चन्द, सुशिल कुमार सोलंकी, साक्षी मालिक, गीता फोगट आदि. इन सभी के अपने कुछ नियम व कानून थे जिसके दम पे उन्होंने अपने नाम झंडा पुरे विश्व पे फैराया। क्या आप भी चाहते हैं उनके जैसा बनना यदि हाँ तो आपको कुछ कुस्ती के नियम और कानून को ध्यान में रखते हुए कुस्ती सीखनी व खेलनी पड़ेगी. वैसे तो हम बहुत बड़े ज्ञानी नहीं है लेकिन हमारी पूरी कोशिस रहेगी की आपको कुछ सीखा सकें और आप खुद को कुस्ती में निपुण कर पाए.
कुश्ती की अवधि Wrestling Period
समय के अनुसार कई बार कुश्ती खेलने की अवधि में बदलाव किये जा चुके हैं पहले कुस्ती की अबधि १५ मिनट थी. उसके बाद उसे बदल के ९ मिनट कर दी गयी कुछ समय बाद उसमे फिर से बदलाव लेट हुए इसकी अवधि ६ मिनट की गयी. आज के समय में १६ वर्ष की आयु से ज्याद के लोगों की कुस्ती की अवधि ५ मिनट व उससे काम वालों के लिए ४ मिनट कर दी गयी है.
यदि इस अवधि में अगर कोई भी प्रतियोगी विजयी घोषित नहीं हो पता तो इन्हे ३ मिनट का समय और दिया जाता है जिसे सडेन डैथ कहा जाता है.
अखाड़े का आकर: 9 x 9 मीटर
अखाड़े का बार्डर: 1.50 x 1.80 मीटर
निष्क्रियता क्षेत्र: 1 मीटर
प्लेटफॉम गद्दे की ऊंचाई: 1.10 मीटर
दंगल के कोने पर चिह्न: लाल या नीला
कुश्ती की शैली
1. फ्री स्टाइल|
2. ग्रीको-रोमन|
कुश्ती की पोशाक
प्रतियोगी द्वारा लाल और नीले रंग के जांघिया और एक बनिआन पहनना की प्रथा है या एक लंगोट बांधा जाता है| खेल के दौरान कहीं किसी को चोट न लगे इसके लिए जोड़ों पर हलके पैड को पहनने की सलाह व नियम है| इसके दौरान कोई भी खिलाड़ी ऐसी कोई भी चीज नहीं पहन सकता, जिससे चोट पहुंचने की उम्मीद हो| कुस्ती के दौरान आपकी दाढ़ी बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए।
कुश्ती खेलने का नियम और तरीका
सबसे पहले दोनों प्रतियोगी गद्दे पे आ जाते हैं और एक दूसरे से हाथ मिलते हैं उसके बाद रेफरी की जिम्मेदारी होती है की वो ये देखे की दोनों के पास कोई भी ऐसी चीज तो नहीं है जो कुस्ती के दौरान नहीं होनी चाहिए. उसके बाद रेफरी दोनों को अलग अलग कोने में भेज देता है उसके बाद वो सीटी बजता है और दोनों को निर्देश देता है की अब कुस्ती शुरू करो.
कुश्ती का निर्णय
उसके बाद एक के बाद एक तरीके से दोनों प्रतियोगिओं के बीच कुस्ती होती है और उसी के हिसाब से अंक दिए जाते है जिसके आधार पे विजयी प्रतियोगी नाम बताया जाता है. अंक मिलने के भी कुछ नियम है ये अंक एक पहलवान दूसरे पहलवान को जितनी बार चित करता है उसी के आधार पे ये निर्णय होता है की किसको कितने अंक मिले और बाद में उन्ही अंक के आधार पे विजयी का नाम घोसित होता है.
द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता
अर्जुन पुरस्कार विजेता
कुश्ती के दांव-पेंच
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कुस्ती Player Photo’s