आनंद कुमार एक भारतीय गणितज्ञ, एडुकेशनिस्ट और कॉलमनिस्ट हैं कई सारे रास्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मेगज़ीन्स के. इनकी पहचान सबसे ज्यादा इनके द्वारा चलाये गए प्रोग्राम सुपर 30 से हुई जिसे इन्होने पटना, बिहार, भारत में 2002 में शुरू किया. जिसमे ये उन बच्चों को फ्री या कम पैसों में शिक्षा देते है जो IIT-JEE Entrance की तैयारी होती है IIT के लिए होती है. और इतना ही नहीं इनके द्वारा चलाये गए इस अभियान में अभी तक 480 बच्चों में से 422 बच्चे इस परीक्षा को पास करते हुए IIT में सेलेक्ट भी हुए. इनके बारे में डिस्कवरी चैनल में काफी कुछ बताया गया है. इतना ही नहीं इनको मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा भी बच्चों को गाइड करने के लिए बुलाया जा चुका है !!
इनका जन्म 1 जनवरी 1973 को पटना, बिहार में हुआ. इनके पिता जी पोस्टल डिपार्टमेंट में क्लर्क थे. इनके पिता जी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना अफोर्ट नहीं कर सकते थे इसलिए इनकी पढ़ाई हिंदी मध्यम सरकारी स्कूल से हुई थी. और इनका सबसे ज्यादा इंटरेस्ट गणित में था. इनकी बचपन की पढ़ाई Patna High School Patna, बिहार से हुई. अपने ग्रेजुएशन के दौरान इन्होने नंबर थ्योरी के कई सारे पेपर सबमिट किये थे. जिसमे इनके टॉपिक Mathematical Spectrum और The Mathematical Gazette थे.
आनंद कुमार का कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में जाने का योग बना लेकिन उसी समय इनके पिता की मृत्यु हो गयी और इनकी आर्थिक स्तिथि भी ठीक नहीं थी. कुमार जी अपना गणित का कार्य एक तरफ कर रहे थे और खली समय में पापड़ बेचने जाते थे जो की उनकी माता द्वारा एक चलाया गया छोटा सा व्यवसाय था अपनी आर्थिक स्तिथि को सुधारने के लिए. क्यूंकि पटना यूनिवर्सिटी में foreign journals, न उपलब्ध होने के कारन इन्हे वाराणसी अपने भाई के पास जाना पड़ता था जिसमे इन्हे पहुंचने में 6 घंटे लगते थे. वहां इनके भाई वायलिन सीखते थे N. Rajam के अंदर।
Teaching career and Super 30
१९९२ में इन्होने अपनी गणित की कोचिंग इंस्टिट्यूट शुरू किया जिसके लिए ५०० रुपय हर महीने देते थे. जिसका नाम The Ramanujan School of Mathematics (RSM) था. वर्ष के अंत में, उनकी कक्षा दो छात्रों से बढ़कर छत्तीस हो गई, और तीन वर्षों के बाद लगभग 500 छात्र नामांकित हुए। फिर 2000 के आरंभ में, जब एक गरीब छात्र आईआईटी-जेईई के लिए कोचिंग की तलाश में आया, जो गरीबी के कारण वार्षिक प्रवेश शुल्क बर्दाश्त नहीं कर सका, तो कुमार को 2002 में सुपर 30 कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया गया था, जिसके लिए वह अब अच्छी तरह से है -जानने वाला।
इन्होने मई 2002 से एक कम्पटीशन शुरू किया था जिसमे कई सरे बच्चे पार्ट लेते थे और उनमे से केवल होनहार 30 बच्चों को सुपर 30के लिए चुनते थे.जो गरीब परिवार से होते हैं. जिसमे ये उन्हें पढाई का सामान व रहने के लिए जगह और फ्री में एंट्रेंस की तैयारी करवाते हैं. और उन बच्चों के लिए इनकी माता जयंती देवी खाना बनती हैं अपने हाथों से. इनके भाई प्रणव कुमार पूरा मैनेजमेंट संम्भालते हैं.
2003-2017 तक 391 बच्चों ने 450 में से IIT उत्तीर्ण किया। जिसमे में सारे के सारे 30 बच्चों ने IIT JEE Entrance उत्तीर्ण किया. इसे चलाने के लिए इन्होने कोई भी आर्थिक सहायता नहीं ली है न ही किसी सरकारी और न किसी प्राइवेट संस्था से. ये सब कुछ अपनी मेहनत संभाल रहे हैं.