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वेरिफिकेशन और वेलिडेशन में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको बताने जा रहे हैं V-model के बारे में, जिसे हम “Verification and Validation model” भी कहते हैं. ये अधिकतर टेस्टिंग और डेवलपमेंट प्रोसेस में उपयोग किये जाने वाला मॉडल होता है. जिसमे हम Verification और Validation द्वारा टेस्टिंग कर के सॉफ्टवेयर की पुष्टि करते हैं की वो किस हद तक ठीक है. दोस्तों आज का हमारा टॉपिक भी “Verification और Validation क्या है और इनमे क्या अंतर है?” पे बेस्ड है. लेकिन आज का टॉपिक शुरू करने से पहले हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी अपने पाठकों से जुडी देना चाहते हैं.

दोस्तों हम अपने ब्लॉग में जितने भी जबाब लेके आते हैं वो कहीं न कहीं लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नो के जबाब हैं. जो हमे तब पता चल पाते हैं जब हमारे पाठक हमे वेबसाइट के कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के इनके जबाब पूछते हैं. हम उन सवाल का जबाब अवश्य लेके आते हैं. लेकिन कभी कभी हमे थोड़ा विलम्ब हो जाता है लेकिन आप लोगों द्वारा पूछे गए सवाल के उत्तर हम आपको देने की पूरी कोशिश करते हैं. तो यदि आप लोगों के मन में कोई सवाल हो तो आप भी कमेंट बॉक्स के जरिये हमसे पूछ सकते हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

वेरिफिकेशन क्या है | What is Verification in Hindi !!

वेरिफिकेशन एक प्रकार की प्रोसेस होती है जो किसी भी प्रोडक्ट के डेवलपमेंट फेज को जांचती है और उसका मूल्यांकन करती है और पता लगाती है कि प्रोडक्ट सभी जरूरत को पूरा कर पा रहा है की नहीं। इसका मुख्य उद्देश्य होता है कि हम ये पता लगा पाए कि जिस कारण और जरूरत के लिए इस प्रोडक्ट को बनाया है वो सभी जरूरतों को भलीभांति परिपूर्ण कर रहा है. ये रिव्यु, मीटिंग्स और इंस्पेक्शन जैसी प्रोसेस से मिलके बना होता है.

वेलिडेशन क्या है | What is Validation in Hindi !!

ये प्रोसेस जब मूल्यांकन विकास प्रोसेस खत्म हो जाती है उसके बाद इसके द्वारा मूल्यांकन किया जाता है कि जो प्रोडक्ट बना है. वो कस्टमर की इक्षा और जरूरत के अनुसार बना है की नहीं. इसका मुख्य उद्देश्य ये है कि ये सुनिश्चित करे की जो प्रोडक्ट बन के खड़ा हुआ है वो यूजर की जरूरतों को पूरा तो कर रहा हैं और विनिर्देश पहले सही हैं की नहीं।

Difference between Verification and Validation in Hindi | वेरिफिकेशन और वेलिडेशन में क्या अंतर है !!

वेरिफिकेशन में रिव्यु, मीटिंग और इंस्पेक्शन जैसी प्रोसेस शामिल होती है वहीं वेलिडेशन में टेस्टिंग्स होती है जैसे कि: ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग, वाइट बॉक्स टेस्टिंग और ग्रे बॉक्स टेस्टिंग आदि.

वेरिफिकेशन ये सुनिश्चित करता है कि जो प्रोडक्ट आप बना रहे हो वो ठीक से तो बना रहे हो, वहीं वेलिडेशन ये सुनिश्चित करता है कि जो प्रोडक्ट बना है वो ठीक बना है की नहीं.

# वेरिफिकेशन में QA टीम होती है जो बनने वाले सॉफ्टवेयर की जाँच करती रहती है जबकि वेलिडेशन में टेस्टिंग टीम होती है जो ये जाँच करती है की प्रोडक्ट अर्थात सॉफ्टवेयर ठीक से ग्राहक की जरूरत और उम्मीद के अनुसार बना है.

# वेरिफिकेशन में execution code की आवश्यकता नहीं होती है जबकि वेलिडेशन में execution code की आवश्यकता होती है.

# वेरिफिकेशन की प्रक्रिया द्वारा ये पता लगाया जाता है कि जो आउटपुट मिला है वो इनपुट के अनुसार ही है और वहीं वेलिडेशन ये पता लगाता है कि जो इनपुट दिया जा रहा है वो यूजर द्वारा सॉफ्टवेयर ले रहा है की नहीं.

# वेरिफिकेशन, वेलिडेशन से पहले की प्रक्रिया होती है और वेलिडेशन, वेरिफिकेशन के तुरंत बाद की प्रक्रिया होती है.

# वेरिफिकेशन के दौरान जो प्रक्रियाओं पे ध्यान दिया जाता है वो कुछ इस प्रकार हैं जैसे कि: Plans, Requirement Specifications, Design Specifications, Code, Test Cases आदि और वेलिडेशन के दौरान ये पता करते हैं की बना हुआ प्रोडक्ट टेस्ट को पार कर ले रहा है की नहीं.

# वेरिफिकेशन में मिले एरर की कॉस्ट वेलिडेशन में पाए गए एरर की तुलना में कम होती है।

# वेरिफिकेशन एक प्रकार की मैन्युअल चेकिंग होती है और वेलिडेशन एक प्रोग्राम बेस्ड होती है.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

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