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स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन और डायनामिक मेमोरी एलोकेशन में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Static Memory Allocation & Dynamic Memory Allocation” अर्थात “स्टैटिक मेमोरी एलोकेशन और डायनामिक मेमोरी एलोकेशन” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “स्टैटिक मेमोरी एलोकेशन और डायनामिक मेमोरी एलोकेशन क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. दोनों ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की अलग अलग प्रकार की मेमोरी एलोकेशन होती हैं, जिन्हे आज हम आपको बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन क्या है | What is Static Memory Allocation in Hindi !!

स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन क्या है | What is Static Memory Allocation in Hindi !!

स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन का अर्थ होता है, जब आपका कंप्यूटर प्रोग्राम शुरू होता है तब प्रोग्राम के अंदर वेरिएबल्स को मेमोरी allocate की जाती है. जब भी प्रोग्राम बनाया जाता है, तो साइज पहले से ही निश्चित होता है. इन्हे ग्लोबल वेरिएबल, फाइल स्कोप वेरिएबल्स और उन वेरिएबल को जो functions के अंदर स्टेटिक के रूप में डिफाइन होते हैं पर अप्लाई किया जाता है.

डायनामिक मेमोरी एलोकेशन क्या है | What is Dynamic Memory Allocation in Hindi !!

डायनामिक मेमोरी एलोकेशन क्या है | What is Dynamic Memory Allocation in Hindi !!

डायनामिक मेमोरी एलोकेशन थोड़ा स्टेटिक से अलग होता है, इसके जरिये आप इन मेमोरी लोकेशन के सटीक आकार और लाइफटाइम के लिए नियंत्रित कर सकते हैं. यदि आप इन्हे फ्री नहीं करते हैं, तो आप मेमोरी लीक में जाते हैं, जिसके कारण आपकी एप्लीकेशन क्रैश भी हो सकती है, क्योंकि कभी कभी, सिस्टम अधिक मेमोरी Allocate नहीं कर सकता है।

Difference between Static and Dynamic Memory Allocation in Hindi | स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन और डायनामिक मेमोरी एलोकेशन में क्या अंतर है !!

# स्टेटिक एलोकेशन स्टेटिक या compile टाइम पर परफॉर्म करता है जबकि डायनामिक एलोकेशन डायनामिक या रन टाइम पर परफॉर्म करता है.

# स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन को stack को assign किया जाता है जबकि डायनामिक मेमोरी एलोकेशन को heap को assign किया जाता है.

# स्टेटिक मेमोरी एलोकेशन का साइज compile टाइम पर पता होना चाहिए जबकि डायनामिक मेमोरी एलोकेशन का साइज पता हो भी सकता है और नहीं भी.

# स्टेटिक एलोकेशन stack को assign की जाती है इसलिए इसमें फर्स्ट इन लास्ट आउट का केस चलता है जबकि डायनामिक एलोकेशन में कोई निश्चित आर्डर में असाइनमेंट का होना आवश्यक नहीं होता है.

# स्टेटिक एलोकेशन तब सबसे अच्छा होता है जब मेमोरी की साइज का पता पहले से होना चाहिए जबकि डायनामिक एलोकेशन तब ज्यादा उपयोगकारी होता है जब मेमोरी की साइज का पता पहले से नहीं होता है.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

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