नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Share and Debenture” अर्थात “शेयर और डिबेंचर” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “शेयर और डिबेंचर क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. आज के समय में लोग अपनी मेहनत की कमाई को कुछ इस प्रकार लगाना चाहते हैं, जिससे उन्हें पैसा कमाने और व्यापार करने का एक अच्छा मौका मिले. जिसके लिए कई लोग अपना पैसा शेयर या डिबेंचर में निवेश करते हैं. ये दो ऐसे विकल्प हैं जिसमे समाज का कोई भी व्यक्ति अपना पैसा इनमे निवेश कर सकता है.
इसमें लोग पैसा लगाना इसलिए पसंद करते हैं जिससे उन्हें उनकी मेहनत की कमाई पर एक अच्छा ब्याज प्राप्त हो सके. एक ओर शेयर जो कि किसी कंपनी के कैपिटल का शेयर होता है, और वहीं दूसरी ओर डिबेंचर, जो एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर काम करता है. जिसमे कंपनी एक तय किये गए दर से निवेशकों को लाभ पहुंचाती है. आज हम भी आपको शेयर और डिबेंचर के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
शेयर क्या है | What is the Stock in Hindi !!
कंपनी की अपनी पूंजी का सबसे छोटा विभाजन शेयरों के रूप में विख्यात है। शेयरों को खुले बाजार में बिक्री के लिए पेश कर दिया जाता है, अर्थात कंपनी अपने व्यापार के लिए पूंजी जुटाने के लिए अपने शेयर को शेयर बाजार में लाती है। जिस दर पर शेयर मार्केट में शेयरों की पेशकश की जाती है उसे शेयर की कीमत के रूप में जाना जाता है। यह कंपनी में शेयरधारक के स्वामित्व के हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। जो शेयर पर कंपनी द्वारा घोषित लाभांश (यदि कोई होता है) के हकदार भी होते हैं।
शेयर के दो रूप होते हैं !!
इक्विटी शेयर: ये वो शेयर होते हैं, जो मतदान का अधिकार लेकर आते हैं, जिन पर लाभांश की दर तय नहीं रहती है। ऐसे शेयर स्वभाव से अतार्किक होते हैं। कंपनी इक्विटी को बंद करने की स्थिति में, सभी देनदारियों के भुगतान के बाद शेयरों को चुकाया जाता है।
वरीयता शेयर: वो शेयर होते हैं जो मतदान का अधिकार नहीं रखते हैं, लेकिन इनमे लाभांश की दर पहले से निर्धारित होती है। ऐसे शर प्रकृति में प्रतिदेय होते हैं। कंपनी के घुमावदार होने की स्थिति में, इक्विटी शेयरों से पहले इन शेयरों को चुकाया जाता है।
डिबेंचर क्या है | What is Debenture in Hindi !!
कंपनी की ऋणग्रस्तता को दर्शाने वाले डिबेंचर धारक को उसकी सामान्य मुहर के तहत कंपनी द्वारा जारी एक दीर्घकालिक ऋण साधन है। इसमें कंपनी द्वारा जुटाई गई पूंजी उधार ली गई पूंजी होती है; यही मुख्य कारण होता है, कि डिबेंचर धारक कंपनी के लेनदार होते हैं। डिबेंचर प्रकृति में redeemable या irredeemable हो सकता है। वे स्वतंत्र रूप से हस्तांतरणीय पाए जाते हैं। डिबेंचर पर रिटर्न निश्चित दर पर ब्याज के रूप में होता है।
डिबेंचर के कई प्रकार होते हैं !!
- सुरक्षित डिबेंचर
- असुरक्षित डिबेंचर
- परिवर्तनीय डिबेंचर
- गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर
- पंजीकृत डिबेंचर
- बियरर डिबेंचर
डिबेंचरों को परिसंपत्तियों पर एक शुल्क द्वारा सुरक्षित किया जाता है, हालांकि एक प्रकार का असुरक्षित डिबेंचर भी जारी किया जा सकता है। इन्हे मतदान का कोई अधिकार नहीं होता है।
Difference between Share and Debenture in Hindi | शेयर और डिबेंचर में क्या अंतर है !!
# शेयर किसी भी कंपनी की पूंजी होती है लेकिन एक डिबेंचर किसी कंपनी का डेब्ट रहता है.
# एक शेयरहोल्डर किसी कंपनी का एक हिस्सा होता है, जबकि डिबेंचर होल्डर कम्पनी का हिस्सा नहीं होता है.
# किसी भी शेयर का डिविडेंड कंपनी के तात्कालिक लाभ पर निर्भर होता है, जबकि डिबेंचर के निवेशक को इस बात से अलग ब्याज भी मिलता है कि कंपनी लाभ में है या घाटे में.
# शेयर होल्डर का कंपनी के एसेट पर किसी तरह का चार्ज नहीं होता है, इसके विपरीत एक डिबेंचर होल्डर का किसी कंपनी के सभी एसेट अथवा किसी निश्चित एसेट पर चार्ज होता है.
# डिबेंचर के लिए सिक्यूरिटी चार्ज ज़ारी किये जाते हैं जबकि शेयर के लिए किसी भी तरह के सिक्यूरिटी चार्ज जारी नहीं किये जाते हैं.
# शेयर में एक शेयरहोल्डर को लाभ के तौर पर डिविडेंड प्राप्त रहता है, जबकि डिबेंचर में निवेशक को ब्याज दिया जाता है.
# रेडीमेबल प्रेफेरंस शेयर किसी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही प्राप्त किये जा सकते, जबकि डिबेंचर की राशि एक निश्चित किये समय के पूरे हो जाने पर अपने एक्सपायरी डेट के समय डिबेंचर होल्डर को सौंप दी जाती है.
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