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पटना साहिब गुरुद्वारा का इतिहास !!

पटना साहिब गुरुद्वारा परिचय !!

नमस्कार दोस्तों , आपके आलेख में हम तख्त श्री पटना साहिब के इतिहास और इनकी लोगों में मान्यता के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे । तख़्त श्री पटना साहिब को श्री हरमंदिर साहिब जी भी कहा जाता है । तख्त श्री पटना साहिब जी भारत के पटना शहर में स्थित है । भारत के पटना शहर में बने हुए तख्त श्री हरमंदिर साहिब जी कि लोगों में बहुत ही ज्यादा मान्यता है । श्री हरमंदिर साहिब जी सिख धर्म के लोगों का तीर्थ स्थल माना जाता है। तख्त श्री पटना साहिब में श्री गुरु गोविंद सिंह जी जो सिख धर्म के दसवें गुरु थे यह उनकी जन्मस्थली है। पुराने शास्त्रों के मुताबिक सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1666 ईस्वी वार शनिवार माता गुजरी देवी के गर्भ से हुआ था । श्री गुरु गोविंद सिंह जी का बचपन का नाम गोविंद राय था । श्री तख़्त पटना साहिब जी का निर्माण पटना शहर के महाराजा रणजीत सिंह के द्वारा करवाया गया था । यह गुरुद्वारा स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जा सकता है।

पटना साहिब का इतिहास !!

श्री हरमिंदर साहिब जी के इस मंदिर में वैसे बहुत ही इतिहास जुड़े हुए हैं जिनमें से सबसे मुख्य सिख धर्म के लोगों के दसवें श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान तथा यहां पर सिक्खों के गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविंद सिंह जी की रुकने तथा यहां भ्रमण संबंधी इतिहास जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जब आनंदपुर जा रहे थे इससे पहले तकरीबन 1 साल तक गुरु गोविंद सिंह जी श्री पटना साहिब जी में रुके थे । श्री तख्त पटना साहिब जी सिखों के महत्वपूर्ण 5 तीर्थ स्थलों में से यह एक है। एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा माना जाता है जिसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था उन दिनों के साथ साथ पाकिस्तान में भी कुछ गुरुद्वारो का निर्माण महाराजा रणजीत सिह द्वारा करवाया गया था ।

श्री हरमंदिर साहिब जी शुरुआत से ही बिहार के पटना शहर में बना हुआ है इसका निर्माण पहले था शताब्दी के अंदर रोक दिया गया था परंतु 1836 के अंदर का निर्माण से शुरू कर दिया गया। इन सब के बाद श्री हरमंदिर साहिब जी का निर्माण 19 नवंबर 1954 को पूर्ण रूप से खत्म हो गया था गुरुद्वारा पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया था। इसके अंदर सिख वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है तथा यह स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। गुरुद्वारा बनने से पहले श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी इस गुरुद्वारे के स्थान पर बंगाल और असम की ओर जाते समय यहां पर रुके थे । साथ ही साथ गुरु साहिब जी यहां पर सासाराम और गया की ओर जाते हुए रुके थे । गुरु साहिब जी के साथ माता गुजरी जी और उनके भाई कृपाल दास जी भी यहां रुके थे । गुरु साहिब जी आगे की यात्रा अकेले तय करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार को यहां पर छोड़कर जाना उचित समझा । इन सब के बाद आगे की यात्रा के लिए चल दिये । इस गुरुद्वारे के स्थान पर पहले श्री सलिसराय का घर बना हुआ था। श्री सलिसराय पेशे से एक जौहरी थे | श्री सलिसराय गुरु गोविंद सिंह जी के बहुत बड़े भक्त भी थे । श्री गुरु गोविंद सिंह जी अपने जन्म के तकरीबन 5 साल तक यहां पर रहे थे| श्री पटना साहिब जी में आज भी माता गुजरी देवी जी का कुआं यहां पर विद्यमान है। जिसे देखने के लिए यात्रियों की भीड़ लगी रहती है । श्री गुरु गोविंद सिंह जी जो कि सिखों के दसवें गुरु थे वह बहुत ही महान पुरुष थे उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन कमजोर हो की सहायता करने के लिए बिता दिया । गुरु गोविंद सिंह जी ने आंतकवादी , देशद्रोहियों , नशे को फैलाने वाले संगठनों का खात्मा कर दिया था इसके साथ-साथ उन्होंने धर्म में न्याय की लड़ाई भी लड़ी थी | गुरु गोविंद सिंह जी हमेशा कहते थे कि ” मुझे परमेश्वर नहीं दूसरों के नाश करने के लिए भेजा है तथा यहां पर भाईचारे और सद्भाव की भावना उत्पन्न करने के लिए मैं आया हूं

पटना साहिब गुरुद्वारा का इतिहास | Takht Sri Patna Sahib history in hindi !!

गुरुद्वारे का दार्शनिक महत्व !!

दुनिया भर के गुरुद्वारों में से श्री पटना साहिब जी का बहुत ही ज्यादा महत्व है। यह गुरुद्वारा सिखों के लिए हरमिंदर साहिब जी के पांच प्रमुख तख्तो में से एक माना जाता है । यह गुरुद्वारा दुनिया भर के सिख लोगों को उनके दसवीं गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की याद दिलाता है तथा वह इसे बहुत ही ज्यादा पवित्र स्थान मानते हैं। यहां पर सलीसराय जौहरी का जो महल हुआ करता था उसके स्थान पर एक धर्मशाला का निर्माण करवा दिया गया था। भवन के कुछ हिस्सों को मिलाकर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया। गुरुद्वारे के अंदर बहुत ही पुरानी वस्तुएं रखी हुई है जिनका बहुत ही ज्यादा महत्व है। यहां पर श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म के समय उनके बचपन का पंगूरा यानी की पालना, लोहे के अस्त्र शास्त्र, लोहे की तेज धार वाली तलवार, पादुका तथा हुकमनामा अभी भी इस गुरुद्वारे में संभाल कर रखे गए हैं।

हमें आशा है कि हमारे द्वारा दिए गए इस आलेख को पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा। अगर आप इस आलेख में कोई गलती पाते हैं तो हमें कमेंट कर कर जरूर बताएं ताकि आगे आने वाले आलेख में हम एक बेहतरीन जानकारी आपको उपलब्ध करवा सके |

Ankita Shukla

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