हेलो दोस्तों….आज हम आपको ledger balance और available balance क्या होता है और इनमे क्या अंतर होता है बताने जा रहे हैं. जैसा कि हम सब जानते है की ये दोनों शब्द बैंकिंग ट्रांसक्शन से जुड़े हैं जिनका ताल्लुक आपके बैंक बैलेंस से है. लेकिन कौन शब्द की स्थान के लिए है और उसका क्या अर्थ है इस बात पे गौर करेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
लेजर बैलेंस क्या है | What is Ledger Balance in Hindi !!
किसी भी बैंक ग्राहक की दिन के शुरुआत से अंत तक के सारे ट्रांसक्शन की जानकारी और उसके बाद बचा balance “Ledger Balance” कहलाता है. जिसे हम बैंक स्टेटमेंट पे प्रदर्शित करवाते हैं. जिसमे सारे डेबिट और क्रेडिट की जानकारी होती है. Ledger Balance को हम हिंदी में बही खाता के रूप में जानते है जिसमे सारी जानकारी खाता पुस्तक में दी जाती है जिसके जरिये आराम से अपने बैंक बैलेंस का स्टेटमेंट पाया जा सकता है. इसके जरिये ग्राहक और बैंक के बीच अच्छा सांमजस्य बना रहता है.
Available Balance क्या है | What is Available Balance in Hindi !!
जब किसी भी बैंक ग्राहक द्वारा जितना भी पैसा निकाला जाता है और खाते में डाला जाता है तो balance की संख्या बदल जाती है जिसे जब चेक किया जाता है तो जितना भी खाते में राशि शेष होती है उसे Available Balance कहलाता है. Available Balance का संदेश अब बैंक ग्राहक के रजिस्टर्ड फ़ोन नंबर पे, एटीएम मशीन पे भी पता चल जाता है.
Difference between Ledger Balance and Available Balance in Hindi | लेजर बैलेंस और अवेलेबल बैलेंस में क्या अंतर है !!
# Ledger Balance एक तरह से पुरे दिन का ट्रांसक्शन स्टेटमेंट होता है जबकि Available Balance केवल बची हुई राशि होती है बैंक एकाउंट की.
# Ledger Balance में डेबिट, क्रेडिट, टैक्स आदि सभी की पूरी जानकारी मिलती है और Available Balance केवल बची हुई राशि को दिखाता है लास्ट ऑपरेशन के बाद का अर्थात आपने कितना पैसा डाला या निकाला अपने अकाउंट से.
# Ledger Balance को बैंक स्टेटमेंट पे चढ़ाया जाता है जबकि Available Balance का कोई ऐसा सीन नहीं है.
# Available Balance अब बैंक धारक के रजिस्टर्ड फ़ोन नंबर पे संदेश से पता चल जाता है लेकिन Ledger Balance फ़ोन नंबर से पता नहीं चल पाता।
# Available Balance आपको आखिरी ट्रांजेक्शन के बाद का अपडेटेड बैलेंस बताएगा और Ledger Balance आपको पुराने रिकॉर्ड का व्योरा भी देता है.
# दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये होता है कि जब कोई कम्पनी या कोई व्यक्ति किसी भी बैंक में दूसरी बैंक का चेक लगाता है और तो जिसके अकाउंट के लिए चेक लगाया गया है उसे राशि तब तक नहीं मिलती जब तक चेक जिस बैंक का है वो बैंक ग्राहक की बैंक को चेक का पैसा ट्रांसफर नहीं कर देती और जब चेक वाली बैंक से पैसा ग्राहक की बैंक को मिल जाता है तो उसका बैंक बैलेंस अपडेट हो जाता है और उसे उसकी राशि मिल जाती है.
उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!