हम सभी जानते हैं कि भारत में कई देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं, जहां पर सैकड़ों हजारों साल पुरानी मंदिर हैं। जिनमें कुछ ना कुछ रहस्य छुपा हुआ है। यह मंदिर ऐसे होते हैं । जिन्हें विज्ञान भी चुनौती नहीं दे सकता, और जिससे कि आप लोग अभी तक वंचित है। मैं आप लोगों को बताना चाहूंगा कि एक ऐसा मंदिर जिसमे लोगों की श्रद्धा बहुत जुड़ी हुई है और वहां पर लाखों की संख्या में विदेशों से भी भक्त जाते हैं।
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कामाख्या मंदिर(Kamakhya Mandir) कहां पर स्थित है
आसाम के गुवाहाटी में लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसा मंदिर है, जिनका उल्लेख 51 शक्तिपीठों में है। नीलांचल पर्वत पर स्थित एक ऐसा मंदिर जिसका नाम कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) है।
रजस्वला माता के नाम से यह प्रसिद्ध मंदिर लोगों को काफी आकर्षित करता है। आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यह एक ऐसा चट्टान है, जहां पर एक योनि से रक्त निकलता है और इस मंदिर में से जुड़ी बहुत सारी कथाएं हैं जो कि मैं आप लोगों को बताऊंगा।
वहां की अलौकिक और चमत्कारिक कथाएं हैं, लेकिन मैं आप लोगों को जो कथा के बारे में बताऊंगा आपको जानने के बाद बहुत ही आनंद महसूस होगा। वैसे तो हम सभी जानते हैं। कथा सुनने से मन को बहुत ही शांति मिलती है। और आपके अंदर एक अलग उर्जा उत्पन्न होती है, जिससे कि आपको बहुत ही अच्छा का अनुभूति होती है।
एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने जब माता देवी सती से विवाह किया था, और माता देवी के पिता राजा दक्ष काफी दुखी रहते थे। जब राजा दक्ष यज्ञ कराने के लिए सोचे, लेकिन उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया।
जब भगवान शिव उस यज्ञ में सम्मिलित हुए। भगवान शिव को राजा दक्ष ने बहुत ही अपमान किए ।
जिसको देखकर माता सती बहुत दुखी हुई और उस यज्ञ में कूद गई।
और जब यह बात भगवान शिव को पता चला तब भगवान शिव वहां पहुंचे और देवी सती का शरीर लेकर तांडव करने लगे जिन को रोकने के लिए भगवान विष्णु जी ने अपना सुदर्शन चक्र चलाए, जिससे कि माता सती का पार्थिव शरीर 51 टुकड़ों में कटकर जगह-जगह गिर गया ।
जहां माता सती का योनि और गर्भ गिरा वहीं पर कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) बन गया। और इस कामाख्या मंदिर को 16वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन 17वीं शताब्दी में इस स्थान पर बिहार का राजा नारा नारायण ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जो कि अभी तक यह मंदिर सुरक्षित है ।
दूसरी कथा यहां से शुरू होती है कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir)
कथा जितनी सुने उतना ही खुशी का अनुभूति होता है। उसी संदर्भ में मैं आज आपको दूसरी कथा कामाख्या मंदिर की सुनाता इस कथा को पढ़ने के बाद आपको बहुत ही आनंद महसूस होगा। और आपके बिगड़े काम भी बन जाएंग।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) की एक कथा काफी चर्चित है, यहां पर कहा जाता है कि एक बार जब कामदेव ने अपना अस्तित्व खो दिए थे, तब कामदेव को जहां पर माता सती का गर्व और योनि गिरा था वहीं से उनका अस्तित्व मिला इसीलिए इस जगह को कामाख्या मंदिर नाम पड़ा।
अगर आपको नहीं पता है तो मैं बताना चाहूंगा कि कामाख्या देवी को बहते रक्त की देवी, भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक मान्यता है कथा है । जिसे भी आप जरूर सुनेंगे क्या मारा जाता है कि यह देवी एकमात्र ऐसे रूप में है, जो कि नियमित रूप से प्रति वर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है। और देवी के भक्तों का मानना है । कि यहां पर हर वर्ष जून के महीने में कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं। और उनकी बहते इस रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी ही लाल हो जाती है ।
इस दौरान पूरे 3 दिन तक मंदिर को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है लेकिन मंदिर के आसपास एक पर्व जो कि काफी प्रचलित है। उसे मनाया जाता है। जिसका नाम अम्बूवाची पर्व है। इस दौरान यहां पर भारी संख्या में देश-विदेश से काफी लोग आते हैं। और यही समय होता है जब तांत्रिक साधु शक्ति पूजा करते हैं। और इस मेले में शामिल होते हैं। जिसमें बहुत ही बड़ा और भव्य मेला लगता है और यहां पर काफी लोग आते हैं ।
यहां पर यह भी मानना है, कि यहीं पर जो साधु लोग होते हैं, वह तंत्र साधना करते हैं और नई-नई ज्योतिष मंत्र को सीखते हैं।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) में प्रसाद किस तरह मिलता है ?
यहां पर एक और भी विचित्र बात है । जिसे जानने के बाद आप चौक जायेंगे यहां पर प्रसाद के रूप में रक्त में डूबा कपड़ा दिया जाता है, जब (Kamakhya Mandir) मंदिर के द्वार 3 दिन तक बंद हो जाते हैं । तब एक मंदिर में सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है और वहां पर मंदिर के पट खुलने तक वह कपड़ा पूरी तरह से लाल हो जाता है। ऐसा बताया जाता है। कि वह कपड़ा देवी मां के रक्त से लाल हो जाता है, और उसी कपड़े से ही इस मेले में आए हुए भक्तों को प्रसाद भेंट किया जाता है।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) में पूजा किसकी होती है ?
यह सवाल आपके भी मन में होगा कि इस मंदिर में किसकी पूजा होती है। तो आपको बताना चाहूंगा, कि इस कामाख्या मंदिर में आपको कहीं भी एक भी मूर्ति नहीं मिलेगी। और यहां पर एक चट्टान पर योनि रूप बना एक चट्टान है, जिसकी पूजा होती है। और इस मंदिर में पशुओं की बलि भी दी जाती है और यहां पर एक बात याद रखना कि मादा पशु की बलि यहां पर स्वीकार नहीं होती है। श्रद्धालु यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए पशुओं की बलि भी देते है।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) कथा का क्या है महत्व जानिए ?
मैंने बहुत ही श्रद्धा से और अपने मन से लोगों के द्वारा सुनी गई बातों को अपने शब्दों में कामाख्या मंदिर के बारे में लिखा मैं आशा करता हूं । कि आपको भी कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) के रहस्य को, और वहां पर चमत्कारिक अलौकिक जगहों के बारे में जानकारी मिली आप इसे जरूर दूसरों को भी भेजिएगा ताकि आपकी मनोकामना पूर्ण हो।
लोग भी जान सके कि कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) की उस रहस्य के बारे में जिसे बहुत ही कम ही लोग जानते हैं। जिसके बारे में कम ही लिखा गया है और कामाख्या मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसे लोगों द्वारा बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाता है। और आप भी अगर वहां नहीं गए हैं तो एक बार जरूर जाएं और जाकर कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) में दर्शन करें।