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(उच्च रक्तचाप की परिभाषा) Definition of Hypertension  in Hindi !!

उच्च रक्तचाप की परिभाषा | Definition of Hypertension  in Hindi !!

(HTN) उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन, जिसे आमतौर पर धमनी उच्च रक्तचाप के रूप में भी जाना जाता है, यह एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति होती है जिसके अंतर्गत धमनियों में रक्त का दबाव अधिक होने के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह सामान्य बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य स्थिति से अधिक तेजी से काम करना पड़ता है।

रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक.

जो इन बातो पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) की स्थिति है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर रहता है।

उच्च रक्तचाप की स्थिति पर यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।

उच्च रक्तचाप के प्रकार | Types of Hypertension in Hindi !!

  1. प्राइमरी हाइपरटेंशन: ज्यादातर लोग एसेंशियल हाइपरटेंशन से ही प्रभावित रहते हैं। इस उच्च रक्तचाप का कारण क्या है इसका पता नहीं लग पाता है और उम्र के बढ़ने के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ती चली जाती है और गंभीर रूप ले लेती है.
  2. सैकेंडरी हाइपरटेंशन: ये सैकेंडरी ​हाइपरटेंशर अधिकतर शरीर की किसी अन्य बीमारी के साथ संबंधित होती है। बीमारी का उपचार या दवा से सैकेंडरी हाइपरटेंशन को कंट्रोल करना आसान होता है।
  3. आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन: रक्तचाप को सदैव दो अलग अलग नंबर में मापा जाता है। जिसमे पहला नंबर सिस्टोलिक दबाव अर्थात दिल के धड़कने के दौरान पड़ने वाला दबाव और दूसरा नंबर डायस्टोलिक दबाव अर्थात दिल के धड़कने के दौरान रुकना या आराम करने वाला दबाब। सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg तक का माना गया है। और जब आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन होता है तो इसमें सिस्टोलिक दबाव 140 से ऊपर चला जाता है और डायस्टोलिक दबाव सामान्य या 90 से नीचे ही रहता है। अधिक आयु वाले लोगों में यह समस्या अधिकतर देखी जाती है। वहीं सिस्टोलिक दबाव डायस्टोलिक दबाव की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होता है। चूंकि यह हृदय रोग के खतरों को बढ़ाने में अधिक कारगर होता है।
  4. रिनल हाइपरटेंशन: किडनी की बीमारी के कारण बढ़ने वाले उच्च रक्तचाप को रिनल या रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन का नाम दिया गया हैं। इस हाइपरटेंशन में किडनी तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियां सिकुड जाती हैं। इसे रिनल आर्टरी स्टेनोसिस (Renal Artery Stenosis) भी कहते हैं।
  5. मैलिग्नेंट हाइपरटेंशन: इस ब्लड प्रेशर में आपका डायस्टोलिक दबाव 130 से अधिक हो जाता है तब कहा जा सकता है कि आपको मैलिग्नेंट हाइपरटेंशन किस समस्या है। इसके कारण कभी कभी शरीर के किसी अंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह लोगों को कम प्रभावित करता है.

 

Ankita Shukla

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