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हिडिम्बा देवी मंदिर | Hidimba Devi Temple !!
हिडिम्बा देवी मंदिर को एक नाम और भी दिया गया है जो धुनगिरी मंदिर जो मनाली, हिमाचल प्रदेश में स्थित है. ये माता हिडिम्बा का मंदिर जो पाण्डु पुत्र भीम की पत्नि थी. द्रोपदी से पहले भीम का विवाह हिडिम्बा से हो गया था. ये मंदिर धुनगिरी वन विहार, हिमालय में स्थित है. जिसका निर्माण 1553 में हुआ था. यहां के लोग इन्हे माता दुर्गा से भी अधिक मानते हैं जब नवरात्री आती है तो सभी माता दुर्गा की आराधना करते हैं लेकिन मनाली के निवासी माता हिडिम्बा की पूजा करते हैं. वैसे तो यहां हमेशा ही भीड़ होती है लेकिन नवरात्री के समय यहां का नजारा देखने योग्य होता है.
Hidimba Devi temple Story !!
हिडिम्बा देवी मंदिर का इतिहास | Hidimba Devi temple History in Hindi !!
बात द्वापर युग की है जब पाण्डु और धृतराष्ट्र हुआ करते थे. ये दोनों सौतेले भाई थे लेकिन इनके बीच का प्यार सगे भाइयों से भी अधिक था. धृतराष्ट्र की शादी गांधार नरेश की पुत्री गांधरी से हुआ और पाण्डु का विवाह कुंती भोज की राजकुमारी कुंती से हुआ. जिसके बाद पाण्डु को हस्तिनापुर का महाराज बना दिया गया था. जहां से धृतराष्ट्र के मन में पाण्डु के लिए वैर उतपन्न होने लगा और जिसमे घी का काम उनके सेल सकुनी ने किया.
जब एक बार पाण्डु शिकार को गए तो उनसे गलती से एक ऋषि की मृत्यु हो गयी जिसके कारण उन्होंने राज्य त्याग वन में रहने का फैसला किया जिसमे उनके साथ उनकी दोनों पत्नियां भी गयी. उसके बाद ध्रतराष्ट्र को कार्यकारी राजा घोसित किया गया.
बाद में कुंती को वरदान के जरिये 5 पुत्र की प्राप्ति हुई और वहीं गांधारी को 100 पुत्र और एक पुत्री की माँ बनने अवसर मिला. जिसके बाद सकुनी ने ध्रतराष्ट्र के बड़े बेटे और बाकि बेटों के भीतर पाण्डु पुत्र के लिए वैर पैदा करना शुरू कर दिया.
क्यूंकि सभी पुत्रों में युधिस्ठिर बड़े थे तो दुर्योधन के मन में उन्हें लेके इर्शा उतपन्न हो गयी की वो अब राज्य जे राजा बनेगे और ऐसा ही हुआ भी उन्हें राज्य का राजकुमार घोषित किया गया जिसके चलते दुर्योधन और उनके मामा सकुनी ने पांडवों और उनकी माता कुंती को मारने के लिए एक योजना बनाई. जिसमे उन्हें वारणाव्रत भेजा गया और जिस महल में उन्हें रखा गया वो लाख का बनाया गया था जिसमे जरा सी चिंगारी से भी महल जल के राख हो जाता।
इस बात की जानकारी पांडवों को दुर्घटना घटने से पहले ही मिल गयी थी जिसके कारन वो वहां से एक सुरंग के जरिये बाहर आ पाए. लेकिन उनकी माता कुंती दोबारा हस्तिनापुर नहीं जाना चाहती थी क्यूंकि उन्हें लगता था यदि वो वहां बापस गयी तो फिर से उनके बेटों पे हमला होगा. इसलिए उन्होंने और उनके बेटों ने जंगल में रहने का निर्णय किया.
एक दिन वो भटके भटके हिडिम्ब राक्षस के जंगल पहुंच गए जहां इंसानो का जाना मना था. और ये बचन राक्षस को महामहीम भीष्म ने दिया था की उनकी दुनिया में इंसान हस्तक्षेप नहीं करेंगे. लेकिन गलती से जब पांडव और कुंती वहां पहुंच गए तो उन्हें निकलने का कोई मार्ग नहीं दिख रहा था. जिसका फायदा हिडिम्ब और उसकी बहन हिडिम्बा उठाना कहते थे और उन्हें अपना भोजन बनाना चाहते थे.
फिर हिडिम्ब ने हिडिम्बा को उन्हें मार्ग भटका के हिडिम्ब के पास लाने का आदेश दिया जिससे की वो पांडव और कुंती को अपना भोजन बना सके. लेकिन जब हिडिम्बा उनके पास पहुंची तो उन्होंने भीम को देखा और उनसे प्यार करने लगी. जिसके बाद साडी गतिविधि का अनुमान अर्जुन और युधिस्ठिर को हो गया और उन्होंने भीम और हिडिम्ब का युद्ध कराया जिसमे भीम विजयी हुए और हिडिम्ब का वध हुआ. जिसके बाद राक्षसों की प्रथा के अनुसार भीम को वहां का राजा बनाया गया और हिडिम्बा से शादी करने को कहा गया.
जो भीम और उनके किसी भाई को मंजूर नहीं था की एक रक्षिसी से कैसे विवाह होगा एक मनुष्य का लेकिन बाद में हिडिम्बा के अधिक आग्रह पे कुंती ने हाँ कर दी और हिडिम्बा के एक पुत्र के होते ही बापस जाने की शर्त रखी जिसे हिडिम्बा ने मान लिया जिसके बाद भीम और हिडिम्बा की shadi हुई और वर्ष के भीतर ही एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम घटोत्कक्ष था जिसके खून का टीका लगते ही वो बच्चे से युवा हो गया जिसे भीम की जगह राजा बना दिया गया जिसके बाद हिडिम्बा राक्षसी की जगह मनुष्य बन गयी और सभी बापस लौट आये.
और जब युग परिवर्तन हुआ तो वही हिडिम्बा देवी बन गयी जिनका देवी स्थल मनाली में बनाया गया. जिसके कारण हिडिम्बा देवी का मंदिर प्रशिद्ध हुआ और उनकी पूजा होना शुरू हुई. यही इतिहास है हिडिम्बा मंदिर का.
Hidimba Devi temple Photos !!
बहुत ही अच्छी जानकारी है