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हेमकुंड साहिब परिचय !!
दोस्तो नमस्कार , आज के आलेख में हम हेमकुंड साहिब से जुड़े पुराने इतिहास और इसकी संस्कृति के बारे में चर्चा करने वाले हैं । भारत के उत्तराखंड राज्य में चमोली नामक जिले हेमकुंड साहिब बना हुआ है । हेमकुंड साहिब पूरे भारत में सिख धर्म के लोगों का एक बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है । हेमकुंड साहिब हिमालय के अंदर 4632 मीटर यानी कि 15200 फुट की खड़ी ऊंचाई पर बनी बर्फीली झील के किनारे सात बड़ी चट्टानों वाली पहाड़ों के बीच बना हुआ है। कहा जाता है कि इन साथ पहाड़ों पर निशान साहिब झूलते हैं । यहां पर चढ़ाई करने के लिए आपको अपने पैरों का ही सहारा लेना पड़ेगा क्योंकि यहां पर कोई भी वहीकल नहीं चल पाता है । हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए आपको ऋषिकेश से बद्रीनाथ रास्ते पर बने हुए गोविंदघाट से होकर ही पहुंचा जा सकता है। श्री हेमकुंड साहिब जी वास्तव में एक संस्कृत का शब्द है अगर इसका हिंदी में अर्थ देखा जाए तो हेम का मतलब बर्फ से है और कुंड माने कटोरा है | हेमकुंड साहिब के यहां बोली जाने वाली भाषाएं मुख्यतः दो प्रकार की ही है जिनमें हिंदी और पंजाबी सम्मिलित है। जहां पर हेमकुंड साहिब बना हुआ है उस स्थान का पोस्टकार्ड पिन नंबर 249401 है।
हेमकुंड साहिब इतिहास !!
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे में पर्यटक भारत के अलावा भी अन्य देशों से घूमने के लिए यहां आते हैं। यहां गुरुद्वारा हरदम विभिन्न प्रकार की लाइटों से सुशोभित रहता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे का वर्णन सिख धर्म के ग्रंथों में किया गया है। साथ ही साथ इनका उल्लेख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा लिखित दसम ग्रंथ मैं भी आता है। जो लोग दसम ग्रंथ में अपनी श्रद्धा रखते हैं वह लोग पूरे विश्वास के साथ इस गुरुद्वारे में हर साल मत्था टेकने आते हैं। श्री हेमकुंड साहिब की एक पुरानी मान्यता भी है। जो इस के पुराने इतिहास के पन्नों से जोड़ती है । प्राचीन समय में श्री हेमकुंड साहिब में एक मंदिर बना हुआ करता था । जिसका निर्माण भगवान राम छोटे भाई भगवान लक्ष्मण ने करवाया था । उसके बाद सिख धर्म के दसवें गुरुजी श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने इस मंदिर में कुछ साल पूजा अर्चना व तपस्या की थी। बाद में इस प्राचीन मंदिर को एक गुरुद्वारे के रूप में प्रतिस्थापित कर दिया गया । श्री हेमकुंड साहिब हरदम चारों तरफ से बर्फीली चट्टानों से घिरा रहता है ।
हेमकुंड साहिब : भौगोलिक सरचना !!
यहां पर एक विशालकाय झील भी बनी हुई है जिसके अंदर बर्फ की ऊंची चोटियों का रोमांस से भरा हुआ प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है जिसे देखने से दिल में सुकून मिल जाता है । इस झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत की बर्फीली पहाड़ियों से पानी आता है । इसके साथ-साथ यहां पर एक छोटी जलधारा भी इस झील से निकलती है । जिस जलधारा को हिमगंगा के नाम से जाना जाता है । यहां पर झील के किनारे पर भगवान राम के अनुज श्री लक्ष्मण जी का मंदिर बना हुआ है। जो हेमकुंड साहब पर घूमने आते हैं वह लोग भी इस मंदिर पर जरूर ही घूमने आते हैं । यहां की पहाड़ी की ऊंचाई बड़ी होने के कारण तकरीबन 7 से 8 महीनों के अंदर अंदर यहां झील के अंदर बर्फ जम जाती है और झील का पानी फर्श नुमा आकार ले लेता है।
यहां का एक पुराना इतिहास है कि श्री हेमकुंड साहिब जी के इस स्थान को बहुत ही पवित्र, असामान्य, आस्था का प्रतीक माना जाता है | यहां पर स्थानीय लोग जो दिल के आस पास रहते हैं उन लोगों को लोकपाल कहा जाता है जिसका सामान्य भाषा में अर्थ निर्वाहक से है।
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