सूची
महाकाव्य की परिभाषा | Definition of Epic in Hindi !!
महाकाव्य संस्कृत काव्यशास्त्र का भाग है जिसका प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह द्वारा प्रस्तुत किया गया था और बाद में परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अलग अलग तरीके से इसके लक्षण को प्रस्तुत किया. महाकाव्य के भीतर भारत को भारतवर्ष अर्थात भरत का देश कहा गया है और इस देश में निवास करने वालों को भारती या भरत की संतान कहा गया है.
महाकाव्य के लक्षण !!
कथानक – महाकाव्य के भीतर कथानक ऐतिहासिक या इतिहासाश्रित होता है.
विस्तार – कथानक का कलवेर जीवन के अलग अलग रूपों तथा वर्णनों से समृद्ध होता है। इसके अंदर प्राकृतिक, सामाजिक और राजीतिक क्षेत्रों का वर्णन इस प्रकार संबंद्ध होता कि इनके द्वारा मानव जीवन का पूर्ण चित्र उसके संपूर्ण वैभव, वैचित्र्य एवं विस्तार के साथ दिख सके।
विन्यास – विन्यास में कथानक की संघटना नाट्य संधियों के विधान से भरपूर होता है जिसमे महाकाव्य के कथानक का विकास क्रमिक होता है।
नायक – महाकाव्य का नायक देवता या सदृश क्षत्रिय होता है, इसका चरित्र धीरोदात्त गुणों से भरपूर तोता है.
रस – इस काव्य के भीतर शृंगार, वीर, शांत एवं करुण में से किसी एक रस की स्थिति या एक से अधिक रस का होना शामिल हो सकता है.
फल – महाकाव्य सद्वृत रहता है जिसके अंदर शिव एवं सत्य की प्रवत्ति होती है और इसका उद्देश्य चतुवर्ग की प्राप्ति से होता है।
शैली – इसकी शैली में संस्कृत के आचार्यों ने प्राय: अत्यंत स्थूल रूढ़ियों का उल्लेख किया है।