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दोहा और चौपाई में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “दोहा और चौपाई” के बारे में बताएंगे. आज हम आपको बताएंगे कि “दोहा और चौपाई क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि कई लोग जानते हैं कि दोहा और चौपाई साहित्य से जुड़ी होती है. लेकिन इनमे अंतर करना थोड़ा confusing हो जाता है. इसलिए अधिकतर लोगों के मन में इन्हे लेके कुछ प्रश्न उत्तपन्न होते रहते हैं, जिनका समाधान करने की कोशिश आज हम करेंगे. और हम उम्मीद करते हैं कि हम इसमें सफल भी होंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

दोहा क्या है | What is Doha in Hindi !!

दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होते हैं. इन्हे चार चरणों में विभाजित किया गया है. जिसमे इसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं और इसके द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं. प्रथम और तृतीय चरण के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) का प्रयोग करना टाला जाता है. लेकिन यदि कोई दोहा बड़ा हुआ तो उसमे पंक्ति के शुरुआत में ज-गण का प्रयोग किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ द्वितीय तथा चतुर्थ चरण के आखिरी में एक गुरु और एक लघु मात्रा होना अनिवार्य होता है.

उदाहरण :

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥

बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंग |
डोर तोड़ अनजान पथ, उड़कर चली पतंग ||

चौपाई क्या है | What is Chaupai in Hindi !!

चौपाई एक मात्रिक सम छन्द का एक भेद माना गया है. ये प्राकृत और अपभ्रंश की 16 मात्राओं के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पे बनाया गया हिंदी का सबसे पसंदीदा छंद होता है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गयी रामचरित मानस है, जिसमे चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह दर्शाया गया है. चौपाई भी चार चरणों में विभाजित होती हैं जहाँ सभी में 16-16 मात्राएँ और अंत में गुरु मौजूद होता है.

उदाहरण :

“मधुवन में ऋतुराज समाया।
पेड़ों पर नव पल्लव लाया।।
टेसू की फूली हैं डाली।
पवन बही सुख देने वाली।।

Difference between Doha and Chaupai in Hindi | दोहा और चौपाई में क्या अंतर है !!

दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होते हैं और चौपाई एक मात्रिक सम छन्द का एक भेद होता है.

# दोहा और चौपाई दोनों को चार चरणों में बाटा गया है लेकिन दोहा में प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ और द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं जबकि चौपाई में चारों चरणों में 16-16 मात्राएँ होती हैं.

# दोहा में द्वितीय तथा चतुर्थ चरण के आखिरी में एक गुरु और एक लघु मात्रा होना अनिवार्य होता है जबकि चौपाई में अंत में गुरु मौजूद होता है.

# दोहा कबीरदास द्वारा कई सारे लिखे गए हैं और चौपाई अधिकतर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गयी रामचरित मानस में आपको मिलेंगे.

# उदाहरण (दोहा) :

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥

# उदाहरण (चौपाई) :

“मधुवन में ऋतुराज समाया।
पेड़ों पर नव पल्लव लाया।।
टेसू की फूली हैं डाली।
पवन बही सुख देने वाली।।

आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी। और इसके जरिये आपको काफी सहायता भी मिली होगी. लेकिन यदि आपको हमारे ब्लॉग में कोई गलती नजर आये या कोई सवाल या सुझाव आपके मन में हो तो आप हमसे पूछ व बता सकते हैं नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट के जरिये। हम पूरी कोशिश करेंगे आपकी उम्मीदों पे खरा उतरने की. धन्यवाद !!

Ankita Shukla

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