नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “ध्रुपद और ख्याल” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे “ध्रुपद और ख्याल क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि हम सब जानते हैं कि ध्रुपद और ख्याल दोनों ही संगीत के दो अलग अलग प्रकार हैं. जिन्हे अक्सर लोग अच्छे से समझ नहीं पाते हैं, और दोनों को एक समझने लगते हैं. इसलिए आज हम आपको इनके विषय में बताने जा रहे हैं, जिससे हो सकता है कि आपके मन की कुछ दुविधा कम हो पाए. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
ध्रुपद क्या है | What is Dhrupad in Hindi !!
ध्रुपद एक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक प्राचीन शैली है, जिसे भारतीय संगीत की पुरानी रचनाओं में से एक माना जाता है. ये मुख्य रूप से कर्नाटक परंपरा में पाया जाता है. ये ध्रुपद शब्द संस्कृत का शब्द है जो कई अन्य शब्दों से मिलकर बना है. जैसे कि ध्रुवा जिसका अर्थ अचल या स्थायी है और पद जिसका अर्थ स्तंभ है. ध्रुपद बहुत प्राचीन होने के कारण इसके विषय में हिंदू संस्कृत पाठ नाट्यशास्त्र (~ 200 ईसा पूर्व – 200 ईस्वी) में भी बताया गया है.
ध्रुपद का वर्णन अन्य प्राचीन और मध्ययुगीन संस्कृत ग्रंथों में भी किया गया है, जैसे कि भागवत पुराण (~ 800-1000 ईस्वी) में पुस्तक के 10वें अध्याय 33, जहां कृष्ण के लिए संगीत और भक्ति गीतों के सिद्धांतों को सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया गया है। एक ध्रुपद में कम से कम चार श्लोक होते हैं, जिन्हें स्थाई (या अस्थायी), अंतरा, संचारी और अभागा कहा जाता है। जो सभी अपने अपने स्थान पे अलग अलग महत्व रखते हैं.
ख्याल क्या है | What is Khyal in Hindi !!
ख़्याल उत्तर भारत में शास्त्रीय गायन की आधुनिक शैली के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि यह ध्रुपद से विकसित होने के बाद इसमें बार-बार तान और अलंकार को जोड़ा गया. ये ध्रुपद क तुलना में आधुनिक है और ये हाल में ही विकसित हुआ है. ये अधिक स्वतंत्र और लचीला और आशुरचना के लिए अधिक गुंजाइश प्रदान करने की प्रवत्ति रखता है. ख़याल में छोटे छोटे गीत (दो से आठ पंक्तियों) होती हैं. इन गीतों को बंदिश नाम से भी जाना जाता है. हर एक गायक बंदिश को अलग अलग रूप में प्रस्तुत कर सकता है और करता भी हैं, इसमें केवल पाठ और राग समान होते है.
परंपरागत रूप से, ख्याल तबला, हारमोनियम और तानपूरा के साथ संगत के रूप में नियुक्त होते हैं, लेकिन आप आसानी से इन्हे उन performances के साथ पा सकते हैं, जहां वायलिन और सारंगी को भी संगत के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
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