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महाकाव्य और खण्ड काव्य में क्या अंतर है !!

Difference between Mahakavya and Khand Kavya in Hindi | महाकाव्य और खण्ड काव्य में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “महाकाव्य और खंडकाव्य” के विषय में बताने जा रहे हैं. ये दोनों ही काव्य के भेद होते हैं. लेकिन अक्सर लोग इन्हे अच्छे से समझ नहीं पाते हैं, और कंफ्यूज हो जाते हैं. इसलिए आज हम अपनी छोटी सी कोशिश के जरिये आपको दोनों के बीच के अंतर समझाने का प्रयत्न्न करेंगे कि “महाकाव्य और खंडकाव्य क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

महाकाव्य और खण्ड काव्य में क्या अंतर है !!

महाकाव्य क्या है | What is Mahakavya in Hindi !!

काव्य को तीन भागों में बाटा गया है, जिसमे पहला महाकाव्य, दूसरा खण्ड-काव्य और तीसरा मुक्तक काव्य है. महाकाव्य में कथा को होना अनिवार्य माना गया है. महाकाव्य को प्रबंध काव्य के नाम से भी जाना जाता है, जिसमे घटना और चरित्र को बहुत महत्व दिया गया है. प्रबंध काव्य में घटनाओं और चरित्रों के संबंध में भावों की योजना होना अनिवार्य होती है. महाकाव्य में मुख्य चरित्र के जीवन को विविधता और विस्तार के साथ वर्णित किया जाता है.

महाकाव्य सर्गों में पूर्णतः बंधा रहता है, और सर्ग सदैव आठ से अधिक पाए जाते हैं और ये न बहुत छोटे होते है न बहुत बड़े. प्रत्येक सर्ग में एक छंद होता है लेकिन संग का जो भी अंतिम पद्य होता है वो भिन्न पाया जाता है. इसमें सदैव अगली कथा की थोड़ी सी सूचना जरूर होती है. इसमें उच्च कुल का क्षत्रिय या देवता नायक होता है और ये श्रृंगार, वीर और शांत रस में से कोई एक रस अंगी होता है और अन्य रस गौण होते हैं.

महाकाव्य में नाटक की सभी संधियां होती है. कथा सदैव ऐतिहासिक या लोक प्रसिद्ध रहती हैं. इसमें धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष में से किसी को फल के रूप में दर्शाया जाता है. साथ ही बुरे और सज्जनों के गुणों को वर्णित किया गया रहता है. इसमे संध्या, सूर्य,चंद्रमा,रात्रि, दिन ,मृगया ,पर्वत,ऋतु, वन, समुद्र, संयोग,वियोग,स्वर्ग, नरक,नगर, यज्ञ,संग्राम,यात्रा,विचाह आदि वर्णन पूर्ण रूप से रहता है.

खण्ड काव्य क्या है | What is Khand Kavya in Hindi !!

काव्य के यदि दूसरे भाग या भेद की बात की जाये, तो वो खण्ड काव्य होता है. इसमें भी महाकाव्य की भांति कथा का होना अनिवार्य होता है, इसलिए इसे भी प्रबंध काव्य कहा जाता है. क्यूंकि प्रबंध काव्य में घटना और चरित्र को अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए इसमें घटनाओं और चरित्रों के संबंध में भावों की योजना का होना आवश्यक है. खण्ड काव्य में मुख्य चरित्र का वर्णन तो होता है, लेकिन उसके किसी एक प्रमुख विशेषता का ही चित्रण किया जाता है जिसके कारण इसमें विविधता और विस्तार नहीं हो पाता है.

खण्ड काव्य में भी महाकाव्य की तरह सर्ग होते हैं और इसमें भी सर्ग में छंद का बंधन तो होता है लेकिन छंद में परिवर्तन का होना आवश्यक नहीं होता है. खण्ड काव्य में प्रकृति का वर्णन हो सकता है लेकिन ये भी अनिवार्य नहीं होता है. ये एक देशानुसारी माना गया है.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

 

Ankita Shukla

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