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धर्म और धम्म में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “धर्म और धम्म” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “धर्म और धम्म क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि हम जानते हैं कि धर्म शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु “धरी” से हुई है वहीं दूसरी ओर धम्म शब्द की उत्पत्ति पाली भाषा से हुई है. जिनके विषय में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

धर्म क्या है | What is Dharma in Hindi !!

धर्म क्या है | What is Dharma in Hindi !!

धर्म शब्द कोई आज कल का शब्द नहीं है बल्कि ये कई युगों से चला आ रहा है. वैसे तो प्रत्येक भाषा में धर्म की व्याख्या की गयी है लेकिन इस शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द “धरी” से हुई है जिसका अर्थ “वह चीज़ जिसके द्वारा स्थिरता आती है और पूरे विश्व में सामंजस्य स्थापित होता है”. धर्म हमारे गुणों, कर्म, कर्तव्य, स्वभाव, व्यवहार, रिलिजन, आदि जैसे कई गतिविधियों के ऊपर आधारित है. एक छोटी वस्तु से लेके मानव, जानवर, ऋतु, सूर्य, आदि सभी के अपने अपने धर्म होते हैं. जैसे मानव का धर्म उसके कर्म है, उसी प्रकार हर किसी के अपने अपने धर्म हैं. धर्म को देखा नहीं जा सकता है, ये केवल हमारी बातचीत में मौजूद हैं लेकिन असल में इसका अस्तित्व हम सबसे भी ऊंचा होता है. महाभारत के दौरान भगवान विष्णु ने भी अर्जुन को धर्म के विषय में कई ज्ञान दिए और असली अर्थ समझाया था.

धम्म क्या है | What is Dhamma in Hindi !!

धम्म क्या है | What is Dhamma in Hindi !!

धम्म शब्द पाली शब्द है जिसकी उत्पत्ति गौतम बुद्ध द्वारा की गयी थी, ये धर्म से भिन्न होता है, धम्म हमारे सामाजिक व्यवहार को व्यक्त करता है, इसका अर्थ सदाचरण होता है. इसमें प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से साथ अच्छा व्यवहार करता है. ये कभी भी अकेले संभव नहीं होता है. धम्म के लिए एक से अधिक व्यक्ति का होना आवश्यक होता है क्यूंकि ये आपके सामने वाले व्यक्ति के साथ आपके व्यवहार को व्यक्त करता है. धम्म के लिए हमे अपने जीवन में कोई स्थान बनाने की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि जब हमारे साथ एक से अधिक व्यक्ति होते हैं, तो धम्म खुद अपना स्थान आपके व्यवहार के रूप बना लेता है. एक समाज में धम्म का होना आवश्यक होता है और इसके बिना समाज का होना सम्भव नहीं है.

Difference between Dharma and Dhamma in Hindi | धर्म और धम्म में क्या अंतर है !!

# धर्म संस्कृत भाषा से जन्म है और धम्म पाली शब्द है.

# धर्म को देखा या सुना नहीं जा सकता है इसे अपने कर्मो के जरिये बस किया जा सकता है जबकि धम्म को व्यवहार के रूप में देखा जा सकता है.

# धर्म प्रत्येक व्यक्ति का अपना अपना होता है जबकि धम्म एक सार्वजानिक वस्तु है जिसके लिए एक से अधिक का होना अनिवार्य है.

# धर्म का समाज से कोई लेना देना नहीं होता है जबकि धम्म समाज का महत्वपूर्ण अंग है.

# धर्म में बातचीत, कर्म, कर्तव्य, रिलिजन, गुण, आदि होते हैं जबकि धम्म के दो प्रधान तत्व है प्रज्ञा और करुणा।

# धर्म और धम्म दोनों बहुत भिन्न हैं एक दूसरे से.

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Ankita Shukla

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