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BPO और KPO में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको बीपीओ और केपीओ के बारे में बताने जा रहे हैं. आज के आलेख में हम आपको ये बताएंगे कि बीपीओ और केपीओ क्या होता है और इनमे क्या क्या अंतर होते है. इस टॉपिक को लिखने का हमारा मुख्य उद्देश्य हमारे पाठकों को उनके मन की जानकारी देना और उनकी दुविधा को दूर करना है. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

बीपीओ क्या है | What is BPO in Hindi !!

BPO का पूरा नाम बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (Business Process Outsourcing) होता है किसी भी तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता को दिया गया एक विशिष्ट व्यवसाय कार्य का कॉन्ट्रैक्ट बीपीओ कहलाता है. इसमें क्या क्या आ सकता है जैसे की: पेरोल, मानव संसाधन (Human Resource) या अकॉउंटिंग( लेखा-जोखा) आदि। बीपीओ वो काम संभालती है जिसका किसी भी बिज़नेस (company) में बड़ा रोल तो होता है लेकिन वो बाजार पर कम्पनी का पद बनाये रखने के लिए काम नहीं करती. बीपीओ के लिए मूल्य-बचत उपाय के अनुसार बनाया जाता है.

बीपीओ दो प्रकार की सेवा देता है जैसे की: बैक ऑफिस आउटसोर्सिंग (Back Office Outsourcing) और फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग (Front Office Outsourcing).

1) बैक ऑफिस आउटसोर्सिंग (Back Office Outsourcing)

इसमें वो कार्य शामिल होते है जो कंपनी के आंतरिक प्रोसेस के अंदर आते हैं जैसे की: बिलिंग या क्रय के आंतरिक व्यावसायिक कार्य और फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग( front office outsourcing),जिसमें ग्राहक से संबंधित सेवाएं जैसे मार्केटिंग या टेक सपोर्ट (tech support) आदि होती हैं. जो की कंपनी का बहुत बड़ा हिस्सा तो हैं लेकिन ये फ्रंट का भाग नहीं है. साथ ये डेटा प्रविष्टि, डेटा प्रबंधन, सर्वेक्षण, भुगतान प्रक्रिया, गुणवत्ता आश्वासन और अकाउंट का लेखा जोखा भी संभालता है.

2) फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग (Front Office Outsourcing)

इसमें वो सेवाएं शामिल होती हैं जिसमे बिज़नेस के लिए लोगो से इंटरैक्शन करना होता है. यदि उदाहरण के रूप में फ्रंट ऑफिस की बात की जाये तो इसमें फोन वार्तालाप, ईमेल, फैक्स और ग्राहकों के इंटरैक्शन आदि सेवाएं शामिल हैं.

केपीओ क्या है | What is KPO in Hindi !!

KPO का पूरा नाम “नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग” है. इसका पूरा काम ज्ञान व उसी ज्ञान से जुड़ी सूचना को संभालना और उनकी सेवाओं को बाटना है. केपीओ में काम करने के लिए आपकी नॉलेज अच्छी होनी चाहिए और आपकी शिक्षा भी अच्छे स्तर की होनी चाहिए. केपीओ में अधिकतर कानूनी सेवा, बौद्धिक सम्पदा एवं पेटेंट से जुडी सेवाएं, अभियांत्रिकी सेवाएं, वेब डेवलपमेंट, कैड/कैम अनुप्रयोग, व्यापार अनुसंधान एवं विश्लेषण, कानूनी अनुसन्धान, चिकित्सा अनुसंधान, प्रकाशन और विपणन अनुसंधान आदि सेवाओं का आदान प्रदान किया जाता है.

ये आमतौर से किसी भी क्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं देता है. जिस भी क्षेत्र के केपीओ में काम करना होता है उस क्षेत्र की बहुत अच्छी जानकारी होना आवश्यक होता है.

Difference between BPO and KPO in Hindi | BPO और KPO में क्या अंतर है !!

# बीपीओ का फुल फॉर्म Business Process Outsourcing है और केपीओ का फुल फॉर्म (Knowledge process outsourcing) है.

# बीपीओ में काम करने के लिए आपको कंप्यूटर की अच्छी जानकारी और आपका इंग्लिश कम्युनिकेशन अच्छा होना चाहिए. जबकि केपीओ में काम करने के लिए आपको उस क्षेत्र की ही अच्छी जानकारी होना आवश्यक है.

# बीपीओ दो भागों में बट के कार्य करता है एक बैक ऑफिस आउटसोर्सिंग और दूसरा फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग और केपीओ फ्रंट ऑफिस के रूप में ही अधिकतर कार्य करता है.

# BPO और KPO दोनों थर्ड पार्टी आउटसोर्सिंग सर्विस की तरह हैं दोनों में अंतर ये है कि BPO बिज़नेस की कॉस्ट को कम करता है और एफिशिएंसी को बढ़ाता है जबकि KPO किसी पर्टिकुलर क्षेत्र की जानकारी देता है और उसी की सर्विस देता है.

# BPO नियमो के अनुसार चलाया जाता है और KPO जजमेंट के अनुसार चलता है.

# BPO, KPO की अपेक्षा सरल होता है क्यूंकि KPO थोड़ा काम्प्लेक्स होता है.

# BPO में प्रोसेस किस प्रकार चलानी है उस बात में एक्सपर्ट होना जरूरी है जबकि KPO में नॉलेज होना जरूरी है.

# BPO लागत की मध्यस्थता को संभालता है और KPO जानकारी की मध्यस्थता को संभालता है.

# BPO में कोर्डिनेशन कम भी हो तब भी चल जाता है लेकिन KPO में ज्यादा कोआर्डिनेशन की जरूरत होती है.

# BPO में कम्युनिकेशन अच्छी होनी चाहिए और KPO में नॉलेज अच्छी होनी चाहिए।

# BPO लौ लेवल प्रोसेस है और KPO हाई लेवल प्रोसेस है.

आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और यदि आपको कोई गलती दिखे हमारे आलेख में या कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमे नीचे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं. धन्यवाद !!

Ankita Shukla

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