नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Author and Writer” अर्थात “लेखक और ग्रंथकार” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बतायंगे कि “लेखक और ग्रंथकार क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. लोग अक्सर ऑथर को राइटर के स्थान पर और writer को author के स्थान पर प्रयोग कर लेते हैं. लेकिन असल में दोनों में बहुत बड़ा अंतर है, जिसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
लेखक क्या है | What is the Author in Hindi !!
लेखक मुख्य रूप से उस व्यक्ति को कहते है, जो अपने विचारों द्वारा, कथानक या उसकी सामग्री की उत्पत्ति करता है। कई बार लेखक और ग्रंथकार एक ही व्यक्ति हो सकता है। परन्तुआत्मकथा के मामले में, एक व्यक्ति स्वयं के जीवन के बारे में लिखता है। इसलिए लेखक अपने विचारों और मानसिकता को व्यक्त करता है। लेकिन जब बात जीवनी की आती है तो इसके लिए एक ग्रंथकार को हम एक लेखक नहीं कह सकते है। क्योंकि इसमें दूसरे के विचारों के ऊपर लिखा जाता है. जो एक ग्रंथकार करता है.
ग्रंथकार क्या है | What is the Writer in Hindi !!
एक ग्रंथकार वह व्यक्ति होता है, जो किताबें, आर्टिकल या साहित्य के विषय में लिखता है. यदि कोई व्यक्ति किसी और के विचारों को किताब में उतारने की क्षमता रखता है, तो वह ग्रंथकार अर्थात writer कहलाता है जैसे बाल्मीकि, जिन्होंने रामायण को लिखा था और इस कारण वह एक ग्रंथकार कहलायेंगे, क्योंकि उन्होंने दूसरों की जीवनी और उनके जीवन के ऊपर अपनी कथा लिखी थी.
Difference Between Author and Writer in Hindi | लेखक और ग्रंथकार में क्या अंतर है !!
# जब कोई व्यक्ति स्वयं के विचारों द्वारा कोई कथानक लिखता है तो वह लेखक कहलाता है और यदि कोई व्यक्ति किसी और के विचारों को साहित्य के रूप में लिखता है तो वह ग्रंथकार या साहित्यकार कहलाता है.
# एक आत्मकथा लिखने वाला लेखक और दूसरे की जीवनी लिखने वाला ग्रंथकार कहलाता है.
# एक लेखक और एक ग्रंथकार एक भी हो सकते हैं लेकिन आत्मकथा और जीवनी के मामले में दोनों अलग अलग हो जाते हैं.
# यदि आप स्वयं द्वारा विकसित किसी भूखंड पर आधारित उपन्यास या लघु कहानी लिख रहे हैं, तो आपको उपन्यास के लेखक के रूप में जाना जाता है। और यदि आप किसी और के विचारों या कहानियों पर कम कर रहे हैं, तो आपको ग्रंथकार के रूप में जाना जायेगा.
# एक ग्रंथकार बनना एक लेखक बनने से सरल होता है.
# एक लेखक को खुद के विचारों के ऊपर बहुत काम करना पड़ता है और उसको फिर शब्दों में उतारना पड़ता है जबकि एक ग्रंथकार को किसी दूसरे के विचारों को शब्दों में उतारना पड़ता है.
# ग्रंथकार के लेखन कौशल में भाषा पर कमांड और शब्दों के खेल के साथ अभिव्यक्तता शामिल है। ये कौशल निरंतर लेखन के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं और कुछ में यह एक जन्मजात प्रतिभा हो सकती है और एक कुशल लेखक और ग्रंथकार शब्दों के उपयोग के माध्यम से विचारों, घटनाओं और चित्रों को चित्रित करने में सक्षम है।
# यदि आप अपने विचारों का प्रयोग करके भी किसी साहित्य को लिखते हैं और वह पब्लिश नहीं हो पाता है तो आपको एक ग्रंथकार ही कहा जायेगा नाकि लेखक। जब तक आपकी किताब पब्लिश नहीं होती तबतक आपको author नहीं कहा जा सकता भले ही आपकी किताब आपके खुद के विचार पर ही क्यों न हो.
धन्यवाद !!