You are currently viewing IPO और FPO में क्या अंतर है !!

IPO और FPO में क्या अंतर है !!

नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “IPO और FPO” के विषय में बताने जा रहे हैं. आज हम बताएंगे कि “IPO और FPO क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. सभी व्यावसायिक संस्थाओं को अपने दिन-प्रतिदिन के संचालन के लिए धन की आवश्यकता होती है। और व्यापार के लिए धन जुटाने के 2 तरीके होते हैं, पहला इक्विटी के रूप में और दूसरा डेब्ट के रूप में. जब बात इक्विटी की आती है, तो कंपनी बहुत से लोगों को अपने शेयर खरीदने के लिए एप्रोच करती है. और जब वो पहली बार एप्रोच करती है तो उसे IPO या initial public offering कहते हैं और जब एक से अधिक बार करती है तो उसका नाम follow-on public offering, (FPO) कर दिया जाता है. दोस्तों आज हम आपको इन्ही दोनों के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.

IPO क्या है | What is IPO in Hindi !!

IPO क्या है | What is IPO in Hindi !!

IPO का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” होता है, जो किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों की पहली सार्वजनिक पेशकश है, जब पहली बार कंपनी अपने इक्विटी शेयर को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करती है, तो वो IPO कहलाता है. ये आम जनता द्वारा अपनी परियोजनाओं के वित्त के लिए धन प्राप्त करने का मुख्य साधन होता है.

इसमें आम जनता (निवेशक) अपना पैसा स्टॉक मार्किट के जरिये कंपनी में लगाती है और कंपनी बदले में निवेशकों को शेयर आवंटित करती है। यह कंपनी के जीवन चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है. ये अधिकतर छोटे से नज़दीकी कंपनी से रूपांतरित होता है, जो अपने व्यवसाय या बड़े निजी स्वामित्व वाली कंपनियों को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करने के लिए विस्तार करना चाहता है।

FPO क्या है | What is FPO in Hindi !!

FPO क्या है | What is FPO in Hindi !!

FPO का फुल फॉर्म “Follow-on Public Offering” होता है, हम नाम से ही अनुमान लगा सकते हैं कि यह सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर निवेशकों को शेयरों का सार्वजनिक मुद्दा है. ये प्रक्रिया IPO के बाद आती है. जिसमे कंपनी अपने इक्विटी के आधार पर विविधता लाने के उद्देश्य से एक बार फिर से शेयर्स को आम जनता के लिए issue करने जाती है. शेयरों को कंपनी द्वारा प्रॉस्पेक्टस नामक एक प्रस्ताव दस्तावेज़ के माध्यम से बिक्री के लिए पेश किया जाता है। सार्वजनिक पेशकश पर अनुसरण के दो प्रकार हैं:

  • दिलकश पेशकश (Dilutive offering)
  • गैर-दिलकश पेशकश (Non-Dilutive offering)

Difference between IPO and FPO in Hindi | IPO और FPO में क्या अंतर है !!

IPO का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” और FPO का फुल फॉर्म “Follow-on Public Offering” होता है.

# IPO, किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों की पहली सार्वजनिक पेशकश है, जब पहली बार कंपनी अपने इक्विटी शेयर को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करती है, तो वो IPO कहलाता है जबकि एक से अधिक बार यदि कोई कंपनी अपने इक्विटी शेयरों की सार्वजनिक पेशकश करती है तो वो FPO कहलाती है.

# IPO कंपनी के शेयरों का पहला सार्वजनिक निर्गम है जबकि, FPO कंपनी के शेयरों का दूसरा या तीसरा सार्वजनिक निर्गम है।

IPO एक असूचीबद्ध कंपनी द्वारा शेयरों की पेशकश है और जब कोई सूचीबद्ध कंपनी यह पेशकश करती है तो उसे फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग के रूप में जाना जाता है अर्थात FPO के रूप में।

# सार्वजनिक निवेश के माध्यम से पूंजी जुटाने के उद्देश्य से IPO बनाया जाता है जबकि FPO बाद के सार्वजनिक निवेश के उद्देश्य से बनाया गया।

आशा हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से कुछ लाभ अवश्य मिला होगा और साथ ही आपको हमारा ब्लॉग पसंद भी आया होगा. यदि फिर भी आपको कोई त्रुटि दिखाई दे, या कोई सवाल या सुझाव आपके मन में हो. तो आप हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम आपकी उम्मीदों पे खरा उतर पाएं। धन्यवाद !!!

Ankita Shukla

✔️ izoozo.com Provide Hindi & English Content Writing Services @ low Cost ✔️अंकिता शुक्ला Oyehero.com की कंटेंट हेड हैं. जिन्होंने Oyehero.com में दी गयी सारी जानकारी खुद लिखी है. ये SEO से जुडी सारे तथ्य खुद हैंडल करती हैं. इनकी रूचि नई चीजों की खोज करने और उनको आप तक पहुंचाने में सबसे अधिक है. इन्हे 4.5 साल का SEO और 6.5 साल का कंटेंट राइटिंग का अनुभव है !! नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में आपको हमारे द्वारा लिखा गया ब्लॉग कैसा लगा. बताना न भूले - धन्यवाद ??? !!

Leave a Reply