महान ज्ञानी चाणक्य का कहना था कि कभी भी किसी अच्छे व्यक्ति की दुश्मनी लेना भला होता है एक बुरे व्यक्ति की कुसंगति करने से. क्यूंकि कोई भी कुसंगति आपको कुछ समय के लिए सुख देगा लेकिन आपके जीवन में बहुत सारी हानियां देगा। ये बात तो कुछ उसी प्रकार हो गयी की की गंदगी को साफ़ न करना तो सबको अच्छा लगता है क्यूंकि उसमे शर्म लगता है लेकिन बाद में बीमारियां भी उसी गंदगी से ही फैलती है.
कोई भी व्यक्ति किसी की संगति के बिना नहीं रह सकता है चाहें वो अच्छी हो या बुरी लेकिन हम दुनिया में अकेले कोई भी सफर नहीं शुरू कर सकते हैं. हमे किसी न किसी की जरूरत अवश्य पड़ती है. बस अंतर् ये है की यदि हम किसी की अच्छी संगति में रहते हैं तो हम हमेशा कुछ अच्छा करते हैं और यदि हम किसी की बुरी आदतों को अपना दोस्त बना लेते हैं तो हो सकता है की हमे कुछ समय के लिए अच्छा लगे लेकिन हम अंदर से कभी भी संतुस्ट नहीं हो पाते.
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कुसंगति से होने वाली हानियां (kusangati se hani)
ऐसे तो आपको हम कुछ समझाते हैं तो शायद उतना अच्छा समझ में न आये इस लिए हम आपको कुछ उदाहरण देते हैं जो आपके मन की सारी दुविधाओं को दूर करने में काफी कारगर होगा.
जब दुर्योधन ने महाभारत के दौरान अपने दादा भीष्म पितामह का सत्य का मार्ग न पकड़ के अपने मामा सकुनी को अपना मार्गदर्शक माना जिसके परिणाम तो हम सबको पता हैं जिसमे पूरे कुरु राज्य को महाभारत जैसा बड़ा युद्ध करना पड़ा और अपनी अपनी जान गवानी पड़ी और वहीं दूसरी तरफ अर्जुन और उनके भाइयों ने हमेशा सत्य का मार्ग अपनाया और अच्छे लोगों की संगति की जिसके फल स्वरुप उन्हें कठनाइयां तो उठानी पड़ी लेकिन बाद में उन्हें विजय मिली और सम्पूर्ण राज्य पे राज करने का अवसर प्राप्त हुआ.
कुसंगति से होने वाले लाभ (kusangati se labh)
यदि कुसंगति से होने वाले लाभ की बात करें तो कुसंगति एक प्रकार का श्राप है जो बाद में समझ में आता है इसके कोई भी लाभ नहीं होते।
उदाहरण: गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्व्थामा जिन्होंने दुर्योधन से दोस्ती करके ये सोचा की उन्हें उसका लाभ होगा जबकि उनकी संगति कभी भी अच्छी नहीं थी. लेकिन बाद में परिणाम स्वरूप उन्हें भी दुनिया के कई सारी तकलीफों का सामना करना पड़ा जो असलियत में बहुत कस्टदाई है.
इसलिए हमे कभी भी किसी बुरे व्यक्ति की मित्रता नहीं करनी चाहिए चाहे उसके लिए कितने ही शत्रु का सामना करना हो. अच्छी संगति हमेशा फल देती है चाहे वो आज दे या कल.