नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “कुंभ और अर्धकुंभ” के विषय में बताने जा रहे हैं. कुंभ का आयोजन प्रत्येक तीन साल के बाद होता है और ये चार पावन स्थानों पे ही होता है. ये उज्जैन, प्रयागराज, नासिक और हरिद्वार में आयोजित होता है। एक स्थान पे 12 वर्ष बाद ही दोबारा कुंभ आयोजित होता है. क्यूंकि ये एक साइकिल की तरह चलता है. और एक ही दिशा में गति करता है. ये तो कुछ छोटा सा वर्णन था कुंभ का. लेकिन आज का हमारा टॉपिक कुंभ नहीं बल्कि “कुंभ और अर्धकुंभ में क्या अंतर है?” है. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
सूची
कुंभ क्या है | What is Kumbh in Hindi !!
कुंभ का अर्थ होता है कलश या घड़ा. इस पर्व का आयोजन समुद्र मंथन के बाद से हुआ. जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ तो उसमे एक अमृत का कलश निकला. जिसके लिए असुर और देवताओं में छीनाझपटी शुरू हो गयी थी, उसी दौरान अमृत की कुछ बूंदे धरती की तीन नदियों में जा गिरी थीं. और जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब ही से कुंभ का आयोजन होता है. और जिन तीन नदियों में बूंदें गिरी थी वो गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा थी।
अर्धकुंभ क्या है | What is Ardh Kumbh in Hindi !!
जैसा कि हम जानते ही हैं अर्ध का अर्थ आधा होता है. हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के मध्य छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है. बात ये केवल आधुनिक युग की ही नहीं है बल्कि पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ एवं अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण पाया जाता है। कुंभ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से प्रारम्भ होता है. हरिद्वार के बाद ये प्रयाग, नासिक और उज्जैन में आयोजित होता है. प्रयाग और हरिद्वार और प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में 3 वर्ष का अंतर होता है. यहां माघ मेला संगम पर आयोजित एक वार्षिक समारोह के रूप में मनाया जाता है. यदि आसान भाषा में समझाया जाये तो कुम्भ 12 वर्ष बाद एक स्थान पे आयोजित होता है और अर्धकुंभ 6 वर्ष बाद एक ही स्थान पे आयोजित होता है.
Difference between Kumbh and Ardh Kumbh in Hindi | कुंभ और अर्धकुंभ में क्या अंतर है !!
# कुंभ का अर्थ घड़ा है और अर्धकुंभ का अर्थ आधा भरा घड़ा है.
# कुंभ समान स्थान पे 12 वर्ष बाद आयोजित होता है जबकि अर्धकुंभ समान स्थान पे 6 वर्ष के बाद आयोजित होता है.
# कुंभ माघ माह तक ही चलता है लेकिन अर्धकुंभ लम्बे समय के लिए भी चल सकता है.
# नाम से ही समझ आ जाता है कि अर्धकुंभ का अर्थ कुंभ का आधा है जो कुम्भ के आधे समय में ही आयोजित किया जाता है.
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